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सैम मानेकशॉ, जिन्होंने चीन युद्ध के समय बटालियन को भेज दी थीं चूड़ियां

सैम मानेकशॉ, जिन्होंने चीन युद्ध के समय बटालियन को भेज दी थीं चूड़ियां
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27 जून 2008 का ही वो दिन था जब भारतीय सेना के फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. मानेकशॉ अपने सैन्य कारनामों के साथ अपने स्टाइल, हाजिर जवाबी के लिए भी जाने जाते थे. उन्हीं के नेतृत्व में भारत ने साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में जीत हासिल की थी. जिसके बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ था.
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सैम मानेकशॉ का पूरा नाम होरमुसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ था. उनका जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर में एक पारसी परिवार में हुआ था. बचपन से ही निडर और बहादुरी की वजह से उनके चाहने वाले इन्हें सैम बहादुर कहते थे. वो भारतीय सेना के पहले ऐसे जनरल बने जिनको प्रमोट कर फील्ड मार्शल की रैंक दे दी गई थी.
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बताया जाता है कि सेना में शामिल होने से पहले उनके पिता ने इस बात का विरोध किया था. लेकिन उन्होंने पिता के खिलाफ जाकर इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा दी. वह 1932 में पहले 40 कैडेट्स वाले बैच में शामिल हुए.
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भारत-पाकिस्तान के बीच जब 1971 की लड़ाई शुरू होने वाली थी. तब उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से पूछा था कि क्या लड़ाई की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं? इस पर मानेकशॉ ने तपाक से कहा- "I am always ready Sweetie". एक तरफ जहां इंदिरा से दिग्गज कांग्रेसी और मंत्री भी खौफ खाते थे, वहीं मानेकशॉ बेझिझक उनसे बात करते थे. माना जाता है कि वह पारसी कनेक्शन होने की वजह से भी ऐसे बोलते थे, क्योंकि इंदिरा के पति फिरोज गांधी पारसी थे.
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साल 1942 में बर्मा में जापान से लड़ाई में उन्हें 7 गोलियां लगी थीं. उनका बचना लगभग नामुमकिन हो गया था. जिसके बाद उन्हें गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया. इस दौरान एक सर्जन ने उनका ऑपरेशन करने से पहले उनसे पूछा- आपके साथ क्या हुआ था? तो उन्होंने हंसते हुए कहा "मुझे एक खच्चर ने लात मार दी है".
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बटालियन को भेज दी थीं चूड़ियां

ये बात 1962 की है जब मिजोरम की एक बटालियन ने भारत-चीन युद्ध से दूरी बनाने की कोशिश की तो मानेकशॉ ने उस बटालियन को पार्सल में चूड़ी के डिब्बे के साथ एक नोट भेजा. जिस पर लिखा था कि अगर लड़ाई से पीछे हट रहे हो तो अपने आदमियों को ये पहनने को बोल दो. फिर उस बटालियन ने लड़ाई में हिस्सा लिया और भरपूर वीरता दिखाई.
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सैम मानेकशॉ को अनेक सम्मान प्राप्त हुए. साल 1972 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया. इससे पहले वह पद्म भूषण से भी सम्मानित हो चुके थे. 27 जून 2008 में वो सब को हमेशा के लिए अलविदा कह गए.
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फील्ड मार्शल मानेकशॉ की सर्विस 1934 से 2008 तक थी. जिसमें उन्होंने दूसरे वर्ल्ड वॉर, 1962 के भारत-चाइना वॉर, 1965 के भारत-पाकिस्तान वॉर और 1971 के भारत-पाकिस्तान वॉर में हिस्सा लिया. भारत-चाइना वॉर और उसके बाद की सारी लड़ाइयां मानेकशॉ की लीडरशिप में लड़ी गई थीं.
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बन रही है फिल्म

डायरेक्टर मेघना गुलजार फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ पर फिल्म बना रही है और विक्की इस फिल्म में मुख्य किरदार निभाते नजर आएंगे.
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