43 साल से अमेरिकी जेल में बंद था भारतीय मूल का शख्स, अदालत से बरी होते ही फिर पहुंचा हिरासत में

अमेरिका की एक जेल में 43 सालों से बंद भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम को इस महीने रिहा किया गया है, रिहाई के तुरंत बाद ICE ने वेदम को एक 1999 के निर्वासन आदेश के चलते सीधे संघीय हिरासत में ले लिया गया. उनके वकीलों का कहना है कि जेल में बिताए गए 43 साल इस मामले में महत्वपूर्ण हैं। प्रशासन इस प्रयास का विरोध कर रहा है.

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सुब्रमण्यम वेदम. (photo: AP) सुब्रमण्यम वेदम. (photo: AP)

aajtak.in

  • वॉशिंगटन,
  • 30 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST

अमेरिका की एक अदालत ने 4 चार दशकों बाद भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम को हत्या के दोषसिद्धि को खारिज कर दिया और उन्हें जेल से रिहा करना का आदेश दिया, लेकिन 3 अक्टूबर को जेल से रिहा होते ही उन्हें (वेदम) अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने हिरासत में ले लिया. बताया जा रहा है कि 64 वर्षीय वेदम को भारत निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अब वेदम निर्वासन के खिलाफ एक और बड़ी कानूनी लड़ाई का सामना कर रहे हैं.

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वेदम पर ये निर्वासन आदेश 1980 के दशक के एक ड्रग दोषसिद्धि के कारण लागू हो रहा है. वेदम के वकीलों को अब आव्रजन न्यायालय को ये समझाना होगा कि गलत तरीके से जेल में बिताए गए 43 साल इस ड्रग दोषसिद्धि पर भारी पड़ने चाहिए.

इमिग्रेशन वकील अवा बेनाच ने कहा कि वेदम एक गहरे अन्याय का शिकार हुए हैं. एक वक्त था जब आव्रजन कानून लोगों को माफी मांगने की इजाजत देता था, लेकिन हत्या की दोषसिद्धि के कारण वेदम ने तब इसका पीछा नहीं किया था.

जेल में वेदम का 'उल्लेखनीय अनुभव'

इमिग्रेशन वकील ने कहा कि जेल में बिताए वेदम के 43 साल एक कोरी स्लेट नहीं हैं. उन्होंने जेल के अंदर एक उल्लेखनीय अनुभव जिया. वेदम ने सलाखों के पीछे रहते हुए कई डिग्रियां हासिल कीं, सैकड़ों साथी कैदियों को ट्यूशन दिया और लगभग आधी सदी तक सिर्फ एक बार नियमों का उल्लंघन किया जो बाहर से लाए गए चावल से जुड़ा था.

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उनके वकील ने उम्मीद की कि आव्रजन न्यायाधीश उनके पूरे मामले पर विचार करेंगे. हालांकि, प्रशासन इस प्रयास का विरोध कर रहा है.

अभियोजक के सवाल और रंगभेद का आरोप

वेदम के 1988 के पुनर्विचार ट्रायल के दौरान, सेंटर काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी रे ग्रिकार ने असामान्य सवाल पूछे थे. ग्रिकार ने पूछा था, 'वेदम, आपका जन्म कहां हुआ था? और आप कितनी बार भारत जाते थे?' पेन स्टेट डिकिंसन लॉ के प्रोफेसर गोपाल बालचंद्रन, जिन्होंने दोषसिद्धि को खारिज कराया, का मानना है कि ये सवाल उन्हें पूरी तरह से सफेद ज्यूरी से अलग करने के लिए तैयार किए गए थे, जिसने दूसरी बार भी उन्हें दोषी ठहराया था.

उनके वकील पूरे मामले को ध्यान में रखते हुए इमिग्रेशन कोर्ट में छूट की मांग कर रहे हैं, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को दाखिल हलफनामे में इसका विरोध किया. वेदम के वकील तर्क देते हैं कि गलत कैद के वर्षों को नजरअंदाज करना अन्याय होगा. वहीं, वेदम के समर्थक freesubu.org के जरिए लोग अभियान चला रहे हैं.

'अपराधी का अमेरिका में स्वागत नहीं'

डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) के एक प्रवक्ता ने ईमेल के माध्यम से इस मामले पर कहा है, 'आपराधिक अवैध एलियंस का अमेरिका में स्वागत नहीं है.'

वेदम अभी-भी मध्य पेंसिल्वेनिया में एक यूएस इमीग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) सुविधा में बंद हैं. जिस देश को उन्होंने 9 महीने की उम्र में छोड़ दिया था, आज उन्हें उसी देश से निर्वासित किए जाने का खतरा है.

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बता दें कि सुब्रमण्यम वेदम का जन्म भारत में हुआ था, लेकिन उनके माता-पिता पेंसिल्वेनिया के पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के फैकल्टी सदस्य थे. वे वेदम को मात्र 9 महीने की उम्र में अमेरिका ले आए. दिसंबर 1980 में 19 वर्षीय वेदम और उनके दोस्त थॉमस किनसर (जो भी पेन स्टेट फैकल्टी के बच्चे थे) के साथ एक घटना घटी. किनसर लापता हो गए और उनकी लाश मिली. वेदम आखिरी व्यक्ति थे, जिन्हें किनसर के साथ देखा गया. गवाहों या मकसद के अभाव में भी 1983 में उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. जिसे अब एक अमेरिकी अदालत ने खारिज कर दिया.

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