तुर्की और सीरिया में आए भूकंप ने भारी तबाही मचा दी है. एक के बाद एक आए कई भूकंपों ने अब तक 3400 से ज्यादा लोगों की जानें ले ली हैं. जैसे-जैसे रेस्क्यू ऑपरेशन तेज हो रहा है, मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. अब इस समय रेस्क्यू ऑपरेशन भी तुर्की और सीरिया में एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. जरूरी संसाधन तो मौजूद हैं, दूसरे देशों से भी सहायता मिली है, लेकिन मौसम साथ नहीं दे रहा है. एक तरफ तुर्की में कड़ाके की ठंड और शून्य से नीचे चल रहा पारा दोनों रेस्क्यू टीम और पीड़ितों की परीक्षा ले रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सीरिया में हो रही बारिश कई रुकावटें पेश कर रही है.
ठंड का कहर, बर्फबारी और मलबे के नीचे दबीं जिंदगियां
तुर्की में भूकंप का पहला झटका सोमवार सुबह करीब सवा चार बजे आया. भूकंप का केंद्र गजियांटेप इलाके में था, जो सीरिया बॉर्डर से सिर्फ 90 किलोमीटर दूर है. इसके बाद तुर्की में चार और भूकंप के झटके महसूस किए गए जहां पर दोपहर चार बजे वाला भूकंप सबसे ज्यादा विनाशकारी साबित हुआ. अब भूकंप के तुरंत बाद रेस्क्यू ऑपरेशन तो शुरू कर दिया गया लेकिन मलबे के नीचे से लोगों को निकालना आसान नहीं है. स्थानीय लोगों के मुताबिक कई इलाकों में लगातार बारिश हो रही है जिस वजह से ठंड भी बढ़ती जा रही है. उस स्थिति में लोगों का रेस्क्यू करना मुश्किल है. इसके अलावा चिंता का विषय ये भी है कि तुर्की में कई जगह ऐसी भी हैं जहां पर इंटरनेट की सुविधा ठीक नहीं है. वहीं भूकंप की वजह से क्योंकि सड़के भी टूट गई हैं, ऐसे में उन प्रभावित क्षेत्रों तक मदद पहुंचाना भी आसान नहीं है.
मौसम नहीं रहेगा मेहरबान, बढ़ने वाली हैं मुश्किलें
मौसम विभाग के मुताबिक कुछ इलाकों में आने वाले दिनों में तापमान और ज्यादा गिरने वाला है. इसके ऊपर सोमवार को हुई बारिश ने जमीन पर उन लोगों के लिए मुश्किलें और ज्यादा बढ़ा दी हैं जो कई घंटों से मलबे के नीचे दबे हुए हैं. अभी तक दोनों सीरिया और तुर्की की सरकार के पास इस बात का स्पष्ट जवाब नहीं है कि कितने लोग मलबे के नीचे फंसे हुए हैं. लेकिन न्यूज एजेंसी के मुताबिक 11 हजार से ज्यादा लोग बुरी तरह जख्मी हुए हैं. हालात इसलिए ज्यादा खराब हो रहे हैं क्योंकि कई लोग कड़ाके की ठंड के बीच मलबे के नीचे फंसे हुए हैं. स्थानीय लोगों बता रहे हैं कि कुछ इलाकों में पूरी की पूरी इमारतें जमींदोज हुई हैं जिस वजह से कुछ सेकेंड में एक ही परिवार के सभी लोगों की मौत हुई है.
सीरिया में हालात बेकाबू, गृह युद्ध के बीच दूसरा झटका
अब तुर्की और सीरिया के हालात में एक बड़ा फर्क है. तुर्की में राजनीतिक स्थिरता है, ऐसे में इस मुश्किल परिस्थिति में भी सभी एकजुट होकर लड़ रहे हैं. लेकिन सीरिया तो पिछले कई सालों से गृह युद्ध से त्रस्त चल रहा है. हर दूसरे दिन हो रहे हमलों ने पहले ही सीरिया में रह रहे कई लोगों को परेशान कर दिया है. वे सिर्फ सुरक्षित स्थानों की आस में पलायन करते रहते हैं. लेकिन अब इस विनाशकारी भूकंप ने सीरिया को और बड़े संकट में डाल दिया है. जो देश पहले ही कई चुनौतियों से घिरा हुआ है, इस भूकंप ने उन्हें अप्रत्याशित रूप से बढ़ाने का काम कर दिया है.
मदद को आगे आए कई देश, भारत का भी ऐलान
तुर्की और सीरिया में मौसम कितना खराब है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रेस्क्यू करने वाले कर्मचारी भी ठंड से ठिठुर रहे हैं. कई जगहों पर बर्फबारी की वजह से रेस्क्यू टीम को लोगों को मलबे के नीचे से बाहर निकालने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अभी के लिए तुर्की और सीरिया की मदद के लिए कई देश आगे आए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि दो एनडीआरएफ की टीमें वहां जा रेस्क्यू में मदद करने वाली हैं. वहीं पाकिस्तान की तरफ से भी डॉक्टरों की एक टीम विमान के जरिए रवाना कर दी गई है. रूस की तरफ से भी मदद का ऐलान हुआ है.
भूकंप का एपीसेंटर बना तुर्की, कई बार देखी तबाही
जानकारी के लिए बता दें कि तुर्की की भौगोलिक स्थिति के चलते यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं. यहां 1999 में आए भूकंप में 18,000 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं अक्टूबर 2011 में आए भूकंप में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. बता दें कि सीमावर्ती सीरिया में भी भूकंप ने तबाही मचाई, जिसकी खौफनाक तस्वीरें सामने आईं. तुर्की और सीरिया में भूकंप से अब तक 3400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं, जबकि 10,000 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं.
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