इंडोनेशिया में पलटी रोहिंग्या मुसलमानों को ले जा रही नाव, मछुआरों ने छह को बचाया

इंडोनेशिया के उत्तरी तट पर रोहिंग्या मुसलमानों से भरी एक नाव पलट गई. स्थानीय मछुआरों ने छह लोगों को बचा लिया है. बचाए गए लोगों ने बताया कि अभी भी दर्जनों लोग डूबी हुई नाव पर सवार हैं.

Advertisement
प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 11:15 PM IST

रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर जा रही एक नाव बुधवार को इंडोनेशिया के उत्तरी तट पर पलट गई. स्थानीय मछुआरों ने छह शरणार्थियों को बचा लिया है जिनका कहना है कि नाव पर अभी भी और लोग सवार हैं. बचाए गए छह लोगों में चार महिलाएं और दो पुरुष शामिल हैं, जिन्हें समतिगा सब-डिस्ट्रिक्ट में एक अस्थायी शेल्टर में ले जाया गया है. 

Advertisement

मछुआरों ने न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि शरणार्थियों की नाव आचे प्रांत में कुआला बुबोन समुद्र तट से लगभग 25 किमी दूर पलट गई. आचे बारात जिले में मछली पकड़ने वाले आदिवासी समुदाय के एक नेता अमीरुद्दीन ने कहा कि बचाए गए लोगों ने बताया कि नाव में जब लीकिंग शुरू हुई तब वह पूर्व की ओर जा रही थी फिर तेज लहरों ने उसे पश्चिम में आचे की तरफ धकेल दिया.

बांग्लादेश के शिविरों से भाग रहे रोहिंग्या

उन्होंने स्थानीय लोगों को यह भी बताया कि अन्य लोग अभी भी पलटी हुई नाव पर जीवित रहने की कोशिश कर रहे हैं. अपनी मातृभूमि म्यांमार में सुरक्षा बलों की क्रूरता से बचने के लिए करीब 7,40,000 रोहिंग्या बांग्लादेश में बसे थे. लेकिन हजारों की संख्या में लोग बांग्लादेश के भीड़भाड़ वाले शिविरों से भागकर पड़ोसी देशों में शरण लेने का प्रयास कर रहे हैं. नवंबर के बाद से इंडोनेशिया में शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, जिसने मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगाई है.

Advertisement

शरणार्थियों को अपनाने लिए बाध्य नहीं है इंडोनेशिया

इंडोनेशिया के आचे पहुंचने वाले रोहिंग्याओं को मुसलमानों से बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ता है. इंडोनेशिया थाईलैंड और मलेशिया की तरह संयुक्त राष्ट्र के 1951 रिफ्यूजी कन्वेंशन का हिस्सा नहीं है जो शरणार्थियों की कानूनी सुरक्षा को रेखांकित करता है और इसलिए यह उन्हें स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है. हालांकि उसने अब तक संकट में फंसे शरणार्थियों को अस्थायी शेल्टर प्रदान किया है.

सीमाएं पार करते हुए गंवा देते हैं जान

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल करीब 4500 रोहिंग्या म्यांमार और बांग्लादेश के शरणार्थी शिविर छोड़कर भाग गए थे, जिनमें दो तिहाई महिलाएं और बच्चे थे. उनमें से 569 बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर को पार करते समय मारे गए थे या लापता हो गए थे. 2014 के बाद से यह मरने वालों की सबसे अधिक संख्या है. म्यांमार में सुरक्षित वापसी लगभग असंभव है क्योंकि सेना ने 2021 में म्यांमार की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंक दिया था.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement