बांग्लादेश में नई सरकार आ गई है और इस नई सरकार के साथ-साथ कट्टरपंथी संगठनों के हौसले भी बुलंद हो रहे हैं. जिन संगठनों पर शेख हसीना की सरकार ने बना लगाए थे, अब वही बंगाली समाज के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा में खलल डालने की कोशिश में जुट गए हैं. दरअसल, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय हाल ही में हुई हिंसा से उबरने की कोशिश करने के साथ-साथ आगामी दुर्गा पूजा की तैयारी में जुट गया है. लेकिन हालत चिंताजनक हो रहे हैं क्योंकि कट्टरपंथी संगठन अब दुर्गा पूजा पर्व के खिलाफ सड़कों पर उतरने लगे हैं.
ढाका समेत बांग्लादेश के अलग-अलग इलाकों में मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन अल्पसंख्यक हिंदुओं के पर्व दुर्गा पूजा के खिलाफ मुहिम छेड़ रहे हैं. ढाका के कई इलाकों में कट्टरपंथी संगठनों के लोग हाथों में बैनर पोस्टर लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिन पर लिखा है, 'पूजा पाठ के नाम पर सड़कों को बाधित करने की इजाजत नहीं दी जाएगी.'
कट्टरपंथी संगठनों का कहना है कि मंदिरों में मदिरापान की अनुमति नहीं दी जाएगी. साथ ही प्रदूषण से बचने के लिए नदी तालाब में मूर्तियों का विसर्जन भी नहीं होने दिया जाएगा. इतना ही नहीं, जिन सार्वजनिक मैदानों में वर्षों से दुर्गा पूजा के लिए बड़े पंडाल बनते रहे हैं और जहां पर्व मनाया जाता रहा, वहां अब पर्व मनाने की अनुमति न देने के लिए भी मुस्लिम संगठन मार्च कर रहे हैं. बांग्लादेश में कई जगहों पर पंडाल और मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है. खुलना जैसे इलाके में कई मंदिरों में पर्चे फेके गए हैं, जहां उन्हें कहा गया है कि अगर दुर्गा पूजा मनानी है तो 5 लाख टका देना होगा.
आगामी दुर्गा पूजा को लेकर इंसाफ कीमकारी छात्र-जनता नामक संगठन ने 16 सूत्री मांगें उठाई हैं. जो इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि बांग्लादेश में आने वाला दुर्गा पूजा का पर्व हिंदू समुदाय के लिए बेहद मुश्किल भरा हो सकता है. ये मांगें हैं-
1. धर्म अलग है, त्यौहार भी अलग है. इसलिए किसी भी मंदिर में दुर्गा पूजा को सार्वजनिन बताने वाला कोई साइन बोर्ड नहीं लगाया जा सकता.
2. हर जगह सड़क जाम कर पूजा करने की इजाजत नहीं होगी. पूजा मंदिर के अंदर ही करनी चाहिए.
3. सार्वजनिक अशांति उत्पन्न करने वाला कोई भी कार्य नहीं किया जायेगा.
4. बांग्लादेश में शराब पर प्रतिबंध है. इसलिए किसी भी मंदिर में पूजा के दौरान शराब का सेवन नहीं करना चाहिए.
5. किसी भी मंदिर में अधिक संख्या में मूर्तियां बनाने या मूर्तियों को मनमानी ऊंचाई देने की अनुमति नहीं है.
6. प्रतिमा में ऐसी किसी भी सामग्री का प्रयोग नहीं किया जाएगा, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हो.
7. जल प्रदूषण को रोकने के लिए खुले पानी में मूर्तियों का विसर्जन प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.
8. राहत राशि का उपयोग आपदा पीड़ितों के लिए किया जाएगा, न कि पूजा-पाठ के लिए. अवामी लीग के दौर में राहत कोष के पैसे से लगभग 32,000 मंडपों को 500 किलोग्राम प्रति मंडप के हिसाब से चावल दिया गया था. इसे बंद किया जाना चाहिए.
9. दुर्गा पूजा की छुट्टियां आम नहीं, बल्कि वैकल्पिक हैं. दो प्रतिशत से भी कम आबादी वाले हिंदुओं की खातिर 98 प्रतिशत मुस्लिम आबादी को काम से बाहर रखकर देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए.
10. पूजा के अवसर पर किसी प्रकार की जबरन वसूली नहीं की जाएगी. पूजा के लिए किसी भी मुसलमान से कोई योगदान नहीं लिया जा सकता, क्योंकि शरीयत में मुसलमानों के लिए हिंदुओं की पूजा में आर्थिक योगदान देना वर्जित है.
11. पूजा की मालाएं सड़क पर नहीं खड़ी की जा सकतीं. क्योंकि पूजा के गुलदस्ते में हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें होती हैं. उन देवी-देवताओं की तस्वीरों के नीचे यात्रा करने से मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं.
12. पूजा एक हिंदू अनुष्ठान है. इसलिए यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी मुस्लिम व्यक्ति कार्यक्रम में प्रवेश न कर सके.
13. बांग्लादेश निर्यात नीति 2021-24 के अनुसार हिल्सा निर्यात योग्य मछली नहीं है. लेकिन फिर भी उस नीति को तोड़ते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूजा के मौके पर भारत को 3 हजार टन हिल्सा निर्यात करने की घोषणा की है. सरकार को राज्य की नीति के विरुद्ध इस निर्णय को तुरंत वापस लेना चाहिए और निर्यात बंद करना चाहिए.
14. बांग्लादेश में कई खास जमीनों पर कब्जा कर मंदिर बनाए गए हैं. उन सभी मंदिरों को खास भूमि से हटाया जाए और खास भूमि को शीघ्र मुक्त कराया जाए.
15. बांग्लादेश की आजादी और संप्रभुता के खिलाफ 'अखंड भारत' की स्थापना के लिए कई मंदिरों में उग्रवादियों द्वारा बैठकें करने की खबरें आ रही हैं. अगर किसी मंदिर पर ऐसे 'देशद्रोह' का आरोप लगे तो उस मंदिर को बंद घोषित कर देना चाहिए. अखंड भारत की स्थापना के संबंध में 'देशद्रोही' बयान देने वाले हिंदू धर्मगुरुओं को तुरंत गिरफ्तार कर दंडित किया जाना चाहिए.
16. "हिन्दू भारत का एजेंट है" - इस बदनामी को बांग्लादेश के हिन्दुओं को ही अस्वीकार करना चाहिए.
कुछ दिन पहले मंदिर को मिली थी चेतावनी
कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश में खुलना के डकॉप में स्थित कई मंदिरों को गुमनाम धमकी भरी चिट्ठी मिली थी. इन चिट्ठियों में मांग की गई थी कि मंदिर प्रबंधक 5 लाख टका का टोल चुकाएं. नहीं तो उन्हें दुर्गा पूजा मनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ये चिट्ठी दुर्गा पूजा आयोजन समितियों के नेताओं को भेजी गई थी और उनमें चेतावनी दी गई थी कि अगर वे मांगे पूरी नहीं करेंगे तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. इसके खिलाफ मंदिर प्रबंधकों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.
आशुतोष मिश्रा