पाकिस्तान इस समय गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके चलते सरकार ने 1,000 अरब पाकिस्तानी रुपये से अधिक लागत वाली 118 से ज्यादा विकास परियोजनाओं को रद्द कर दिया है. सरकार अब केवल जरूरी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है. हालांकि आर्थिक तंगी के बावजूद, भारत के डर से पाकिस्तान ने अपने रक्षा बजट में 18% की बढ़ोतरी की है.
पहले भी पाकिस्तान लगातार अपने नागरिकों की भलाई के मुकाबले सैन्य खर्च को प्राथमिकता देता रहा है. ये सख्त कदम 10 जून को पेश होने वाले बजट से पहले उठाए गए हैं और इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की सख्त शर्तों को पूरा करना है, जिनमें खर्च में कटौती और राजस्व बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है.
विकास परियोजनाओं के लिए नहीं फंड
IMF के 7 अरब डॉलर के लोन प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान से अपने बजट घाटे को कम करने और कर्ज की स्थिति बेहतर करने को कहा गया है. 2025-26 के लिए आगामी बजट में अब केवल 880 अरब पाकिस्तानी रुपये (लगभग 26,400 करोड़ भारतीय रुपये) ही विकास योजनाओं के लिए आवंटित किए गए हैं.
असल में यह बजट शुरुआत में 1,000 अरब रुपये था, लेकिन योजना मंत्री एहसान इकबाल को इसे घटाना पड़ा क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बलूचिस्तान में एन-25 हाईवे (जो चमन से कराची को क्वेटा के रास्ते जोड़ता है) के लिए 120 अरब रुपये की मांग की थी. लिहाजा सार्वजनिक क्षेत्र की विकास योजनाओं के लिए अब केवल 880 अरब रुपये ही बचे हैं.
18 प्रतिशत बढ़ाया डिफेंस बजट
विकास परियोजनाओं में कटौती ऐसे समय की गई है जब शहबाज सरकार ने रक्षा बजट बढ़ाने की योजना बनाई है. अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में भारत के साथ सैन्य तनाव और सिंधु जल संधि को लेकर दिल्ली के कदम को देखते हुए रक्षा खर्च में बढ़ोतरी जरूरी मानी गई.
पहलगाम आतंकी हमले के तुरंत बाद, पाकिस्तान की गठबंधन सरकार ने अगले बजट में रक्षा बजट को 18% बढ़ाकर 2.5 ट्रिलियन रुपये (PKR) से अधिक करने को मंजूरी दे दी. PML-N के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने सहयोगी दल PPP को कुल 17.5 ट्रिलियन रुपये की बजट रूपरेखा सौंपी है, जिसमें रक्षा खर्च में 18% की बढ़ोतरी को मंजूरी मिल गई है.
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