कराची में 'सिंधुदेश' बनाने की मांग पर बवाल... पुलिस ने दागे आंसू गैस के गोले, 45 लोग गिरफ्तार

हिंसा का यह दौर जिए सिंध मुत्तहिदा महाज़ (JSSM) के बैनर तले रैली निकालने के कुछ ही घंटों बाद शुरू हुआ. पुलिस के अनुसार, जब अधिकारियों पर पथराव हुआ तो उन्होंने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया.

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प्रदर्शनकारी बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतर आए और 'आजादी', 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' जैसे नारे लगाए. (Photo- Screengrab/Social Media) प्रदर्शनकारी बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतर आए और 'आजादी', 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' जैसे नारे लगाए. (Photo- Screengrab/Social Media)

सुबोध कुमार

  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:33 AM IST

पाकिस्तान के कराची शहर में रविवार को 'सिंधी कल्चर डे' के अवसर पर को अलग सिंधुदेश की मांग के चलते हिंसा भड़क उठी. पुलिस द्वारा रैली का मार्ग बदलने के फैसले के बाद भीड़ भड़क गई और देखते ही देखते पत्थरबाज़ी और तोड़फोड़ शुरू हो गई.

पुलिस के अनुसार, जब अधिकारियों पर पथराव हुआ तो उन्होंने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया. इस दौरान कई लोग मौके पर ही हिरासत में लिए गए. कराची पुलिस ने अब तक इस हिंसा में शामिल 45 लोगों को गिरफ्तार किया है.

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हिंसा का यह दौर जिए सिंध मुत्तहिदा महाज़ (JSSM) के बैनर तले रैली निकालने के कुछ ही घंटों बाद शुरू हुआ. प्रदर्शनकारी बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतर आए और 'आजादी', 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' जैसे नारे लगाए. साथ ही उन्होंने सिंध को स्वतंत्र सिंधुदेश के रूप में आज़ाद कराने की मांग की.

पाकिस्तानी मीडिया में बड़ा खुलासा

इसी बीच, पाकिस्तानी मीडिया में एक बड़ा खुलासा सामने आया. एक न्यूज चैनल की बहस के दौरान यह दावा किया गया कि MQM नेता और ब्रिटिश-पाकिस्तानी राजनेता अल्ताफ हुसैन ने सिंध के पूर्व गृह मंत्री ज़ुल्फिकार मिर्जा से कहा था कि 18वें संशोधन के बाद सिंधुदेश का कार्ड अब हमारे हाथ में है.

सिंधुदेश की मांग और हिंसक घटनाओं ने पाकिस्तान के अंदरूनी राजनीतिक तनाव को फिर से उजागर कर दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे नारे और प्रदर्शन पाकिस्तान की संघीय संरचना और सुरक्षा के लिए चिंता का विषय हैं.

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भारत में हाल ही में 'सिंधी समाज सम्मेलन' में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि उनकी पीढ़ी के कई सिंधी हिंदू कभी पूरी तरह से 1947 के विभाजन को स्वीकार नहीं कर पाए. उन्होंने यह भी कहा कि सिंध हमेशा सांस्कृतिक रूप से भारत का हिस्सा रहा है और भविष्य में सीमाओं में बदलाव संभव है, जिससे सिंध एक बार फिर भारत का हिस्सा बन सकता है.

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