CPEC में कौन है वो तीसरा देश जिसे लेकर भड़का भारत

चीन और पाकिस्तान ने सीपीईसी में तीसरे देश के रूप में अफगानिस्तान को शामिल करने की इच्छा जताई है. इसे लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत भी हो सकी है. ऐसे में भारत ने इस कदम पर विरोध जताते हुए इसे पूरी तरह से अवैध बताया है.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST
  • चीन, पाकिस्तान ने सीपीईसी में अफगानिस्तान को शामिल करने पर चर्चा की
  • भारत ने सीपीईसी में तीसरे देशों के शामिल होने का जताया विरोध

चीन और पाकिस्तान ने अरबों डॉलर की चीन, पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना में तीसरे देश के रूप में अफगानिस्तान को शामिल करने की इच्छा जताई है. हालांकि, भारत ने सीपीईसी में तीसरे देश को शामिल करने का कड़ा विरोध किया है.

पाकिस्तान के विदेश सचिव सोहेल महमूद ने सोमवार को अफगानिस्तान को लेकर चीन के विशेष राजदूत यू शियाओयोंग से मुलाकात की थी.

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इसके बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान की राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति, पाकिस्तान और चीन के जरिए अफगानिस्तान को मानवीय मदद और आपसी हितों के अन्य मामलों पर बातचीत हुई. क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के संदर्भ में दोनों देशों ने सीपीईसी परियोजना में विस्तार कर अफगानिस्तान को इसमें शामिल करने पर चर्चा की. 

चीन और पाकिस्तान का कहना है कि आपसी सहयोग के लिए सीपीईसी एक खुला और समावेशी प्लेटफॉर्म है. हालांकि, भारत सरकार ने चीन और पाकिस्तान के इस कदम का पुरजोर विरोध किया है.

भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने सीपीईसी परियोजना में तीसरे देशों के शामिल होने की रिपोर्ट्स देखी हैं. किसी भी पक्ष के जरिए इस तरह की कोई भी कार्रवाई प्रत्यक्ष तौर पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत तथाकथित सीपीईसी की इन परियोजनाओं का लगातार विरोध कर रहा है. सीपीईसी परियोजना भारतीय क्षेत्र में है, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है. इस तरह की गतिविधियां अवैध, गैरकानूनी और अस्वीकार्य है और भारत अपने अनुरूप इस पर कार्रवाई करेगा.

क्या है सीपीईसी?

बता दें कि सीपीईसी चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड (Belt And Road) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया के तटीय देशों के साथ उसके ऐतिहासिक व्यापारिक मार्गों में फिर से जान फूंकना है.

चीन ने 2015 में सीपीईसी परियोजना का ऐलान किया था. यह परियोजना 46 अरब डॉलर की है. इस परियोजना के पीछे चीन का उद्देश्य पाकिस्तान और मध्य एवं दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव को बढ़ाना है ताकि अमेरिका और भारत के बढ़ रहे प्रभावों का कम किया जा सके.

सीपीईसी दरअसल पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ेगा. इसके तहत चीन और मध्यपूर्व के बीच कनेक्टिविटी में सुधार के लिए सड़क, रेल और तेल पाइपलाइनों का निर्माण किया जाना है.

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद इस्लामिक समूह जबिउल्लाह मुजाहिद के प्रवक्ता ने सीपीईसी से जुड़ने की इच्छा जताई थी. 

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