भारत के कड़े विरोध के बाद भी कनाडा खालिस्तानियों पर लगाम कसता नजर नहीं आ रहा है. दिवाली की रात कनाडा में रह रहे खालिस्तानियों ने शर्मनाक काम किया है. उन्होंने दिवाली सेलिब्रेशन कर रहे भारतीय समुदाय के लोगों के बीच पहुंचकर हंगामा किया. हालांकि, वहां मौजूद भारतीयों ने खालिस्तानियों को मुंहतोड़ जवाब दिया.
भारतीयों और खालिस्तानियों के बीच बवाल कनाडा के ओंटारियो राज्य के ब्रैम्पटन शहर में हुआ है. दिवाली की रात 24 अक्टूबर को भारत सहित दुनियाभर में सेलिब्रेशन चल रहा था. इस दौरान ही कनाडा के ब्रैम्पटन में भी भारतीय समुदाय के लोग इकट्ठा हुए.
भारतीय समुदाय के मुताबिक जब वे लोग सेलिब्रेट कर रहे थे, तभी वहां एक खालिस्तान समर्थक गुट आ गया. भारतीय समुदाय और खालिस्तान गुट के लोग सेलिब्रेशन के बीच आमने-सामने आ गए. दोनों गुटों के सामने आने से वहां तनाव की स्थिति बन गई. भारतीय समुदाय के लोगों ने इस दौरान 'भारत माता की जय' के नारे लगाए.
विवाद के कई वीडियो भी सामने आए थे, जिसमें एक तरफ सेलिब्रेशन के दौरान भारतीय समुदाय के लोग भारत का झंडा हाथ में लेकर आतिशबाजी करते नजर आ रेह हैं. वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोग खालिस्तानी झंडा हाथ में लेकर नारेबाजी करते दिखाई दे रहे हैं. हंगामे के बीच कनाडा पुलिस पहुंचती है और किसी तरह बीच-बचाव करती है.
बता दें कि कनाडा में खालिस्तानी पहले भी इस तरह की हरकत करते रहे हैं. इससे पहले खालिस्तानियों चरमपंथियों ने ब्रैम्पटन के स्वामीनारायण मंदिर जैसे भारतीय मंदिरों में तोड़फोड़ की थी. इस घटना को लेकर कनाडा पुलिस की जांच अभी पूरी नहीं हुई है.
6 नवंबर को होने वाला है जनमत संग्रह
कनाडा में मौजूद खालिस्तानियों ने 6 नवंबर को कनाडा में खालिस्तान को लेकर जनमत संग्रह करने का ऐलान किया है. हालांकि, भारत सरकार इसे लेकर पहले ही अपनी आपत्ति जता चुकी है. जनमत संग्रह को लेकर भारत ने कहा था कि यह भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा है. इस जनमत संग्रह का उपयोग कट्टरपंथियों द्वारा भारत में सिख समुदाय के खिलाफ गैर-मौजूद अत्याचारों के नाम पर अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी से धन उगाही करने के रूप में किया जाता है.
पन्नू का संगठन SFJ यहां एक्टिव
भारत ने इससे पहले भी सिख चरमपंथी जे एस पन्नू द्वारा संचालित एसएफजे ( Sikh for Justice) मुद्दे को उठाया था. भारत ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इस जनमत संग्रह का उपयोग भारतीय प्रवासियों को बांटने के लिए किया जाएगा. जिसके बाद 16 सितंबर को कनाडा की सरकार ने कहा था कि वह भारत की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करती है और तथाकथित जनमत संग्रह की अनुमति नहीं देती है.
ब्रैम्पटन में हो चुका है जनमत संग्रह
इसके बावजूद 18 सितंबर को ओंटारियो के ब्रैम्पटन में भारत विरोधी खालिस्तानी मूवमेंट का जनमत संग्रह आयोजित किया गया था. यह जनमत संग्रह एक निजी कॉन्वेंशन सेंटर में हुआ था. इस पर ट्रूडो सरकार ने सफाई देते हुए कहा था कि उनके देश में किसी भी व्यक्ति को कानून के दायरे में रहकर शांतिपूर्ण तरीके से अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है.
अरविंद ओझा