Ground Report: युद्ध ने बस्ते की जगह कंधे पर लाद दी जिम्मेदारी, लेबनान में मजदूरी को मजबूर बच्चे

लेबनान में युद्ध के बीच बच्चे बाल मजदूरी को मजबूर हैं. युद्ध के बीच लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है और शहरी इलाकों और सीमाई इलाकों में शरण लेना पड़ा है और कई देश छोड़कर भाग रहे हैं. इस बीच सीरिया की सीमाई इलाकों में पहुंचे आजतक के पत्रकार अशरफ वानी ने पाया कि किस तरह जंग बाल मजदूरी को जन्म देती है.

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लेबनान से आजतक की ग्राउंड रिपोर्ट लेबनान से आजतक की ग्राउंड रिपोर्ट

अशरफ वानी

  • बेरूत,
  • 01 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 7:09 PM IST

गाजा के बाद लेबनान में इजरायली युद्ध ने बच्चों को बाल मजदूरी में धकेल दिया है. दुनियाभर में जहां बाल मजदूरी के खिलाफ वैश्विक संस्थाएं अभियान चला रही हैं, तो वहीं इन युद्धग्रस्त देशों में बच्चे मजदूरी करने को मजबूर हैं. आजतक युद्धग्रस्त लेबनान और सीरिया की सीमाई इलाकों में पहुंचा, जहां पाया कि जिन बच्चों के कंधों पर बस्ते होने चाहिए उनके कंधों पर अब जिम्मेदारी आ गई है.

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लेबनान से सीरिया जाने वाली सीमा पर पहुंची आजतक की टीम ने यहां बच्चों से भी बात की, और यह जानने की कोशिश की कि आखिर इस युद्ध के बीच वे क्या कर रहे हैं. उनके साथ मौजूद एक शख्स ने सभी का परिचय कराया और बताया कि वे वहां मजदूरी में लगे हैं. वे सभी लेबनानी हैं और युद्ध के बाद पैदा होने वाली चाइल्ड लेबर समस्या के शिकार हैं.

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इजरायल का लेबनान को लेकर क्या प्लान है?

इजरायल ने लेबनान में हिज्बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत के बाद ग्राउंड अटैक शुरू कर दिया है. इजरायली सेना टैंकों और भारी हथियारों के साथ लेबनान में घुस गई है. पीएम नेतन्याहू का प्लान है कि उन्हें इजरायल की सीमाओं से पीछे हटाने की है, जिससे उन्हें उम्मीद है कि शांति कायम होगी. नेतन्याहू ने पहले ही अपने एक बयान में कहा था कि वह नॉर्दर्न क्षेत्र में शांति चाहते हैं और वह अपनी इसी योजना के साथ लेबनान में सेना भेज दी है.

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लेबनान में बढ़ रही मौतें, अस्पताल में भारी भीड़

लेबनान सरकार के मुताबिक, हमलों की इस की वजह से 1,000 से ज़्यादा लेबनानी मारे गए हैं और लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है. इजरायली हवाई हमलों के कारण हताहतों की संख्या में बढ़ोतरी की वजह से अस्पताल मरीजों से भर गए हैं. लेबनान में मौजूद एकमात्र भारतीय रिपोर्टर इंडिया टुडे टीवी के अशरफ वानी दक्षिणी बेरूत के बाहरी इलाके में स्थित रफीक हरीरी यूनिवर्सिटी अस्पताल पहुंचे और बताया कि डॉक्टर स्वास्थ्य सेवा संकट से कैसे निपट रहे हैं.

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