ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत पर दुनिया के तमाम देश अपनी संवेदनाएं जाहिर कर रहे हैं. इस हादसे में ईरानी राष्ट्रपति के अलावा ईरान के विदेश मंत्री और गवर्नर की भी मौत हुई है. तेहरान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तेहरान से करीब 600 किलोमीटर (375 मील) उत्तर-पश्चिम में अजरबैजान प्रांत की सीमा पर जोल्फा के पास घने कोहरे के कारण उनका हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था.
63 वर्षीय इब्राहिम रईसी 2021 में ईरान के राष्ट्रपति चुने गए थे. उनकी मौत की खबर के बाद से ईरान और उनके परिवार में शोक का माहौल है.
राष्ट्रपति रईसी का जन्म 1960 में ईरान के शहर मशहद में एक धार्मिक परिवार में हुआ था. उनके पिता मौलवी थे और उन्होंने अपने पिता को 5 साल की उम्र में ही खो दिया था. पिता की मौत के बाद वह भी मौलवी बनने के लिए उनके नक्शेकदम पर चले और रूढ़िवादी और सिद्धांतवादी राजनीतिज्ञ के रूप में उभरे. राष्ट्रपति रईसी की फैमिली में उनकी पत्नी और 2 बेटियां हैं.
कौन हैं रईसी की पत्नी?
इब्राहिम रईसी की पत्नी 58 साल की जमीलेह अलमोल्होदा (Jamileh Alamolhoda) हैं.1965 में ईरान के मशहद में जन्मीं जमीलेह ने शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी से 'फिलॉसफी ऑफ एजुकेशन' में पीएचडी की है. फिलॉसफी (दर्शनशास्त्र) की प्रोफेसर जमीलेह साइंस और टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट की हेड भी हैं.
उनकी दो बेटियां हैं. एक बेटी का नाम जमीलेह-सआदत अलमोल्होदा (Jamileh-Sadat Alamolhoda) है. हालांकि, उनकी दूसरी बेटी को लेकर ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है.
करीब 40 साल पहले उन्होंने इब्राहिम रईसी से शादी की थी. तब उनकी उम्र 18 साल थी. उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई के साथ ही अपनी दोनों बेटियों को पाला और आठ किताबें भी लिखीं.
जमीलेह अलमोल्होदा ने ईरान के राष्ट्रपति की पत्नियों की पारंपरिक छवि से हटकर काम किया है. पहले ईरान के राष्ट्रपतियों की पत्नियां सार्वजनिक रूप से काफी कम देखी जाती थीं और देश की राजनीति में उनकी सक्रियता ना के बराबर होती थी. ईरान के ज्यादातर राष्ट्रपतियों की पत्नियों की तुलना में रईसी की पत्नी अलामोल्होदा ज्यादा शिक्षित भी हैं. जमीलेह अपने पति रईसी के साथ आधिकारिक यात्राओं पर भी जाती रही हैं और विदेशी मीडिया को इंटरव्यू भी देती रही हैं.
फाइनेंसिअल टाइम्स से इंटरव्यू के दौरान जमीलेह ने कहा था, 'मैं एक शिक्षक हूं और मैं फिलॉसफिकल थ्योरीज पर फोकस करती हूं. मैं लंबे समय से ये कर रही हूं लेकिन अब ऐसा लगता है कि मेरे पास एक मंच है जहां मेरी एक्टिविटीज दिखाई दे रही हैं.
जमीलेह ने यूरोपीय लीडर्स की पत्नियों को लेटर लिखकर गाजा में हो रहे युद्ध को रोकने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए भी कहा था.
जमीलेह ने यूरोपीय लीडर्स की पत्नियों को लेटर में लिखा था, 'प्लीज अपने पतियों से असहाय फिलिस्तीनी बच्चों और महिलाओं की हत्याओं की निंदा करने और शांति बनाने के लिए तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहें.
2021 में रईसी के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से जमीलेह की सार्वजनिक भूमिका बढ़ गई थी. इसे लेकर ईरान के कई कट्टरपंथी सवाल भी करने लगे थे. इसके बाद जमीलेह ने सफाई देते हुए कहा था कि उन्होंने कभी भी कोई फैसला अपने पति की इजाजत के बिना नहीं किया.
रूढ़िवाद से जुड़ी हैं जेमीलेह की जड़ें
वह एक रूढ़िवादी परिवार से आती हैं. साइंस की पढ़ाई करने के बावजूद, जमीलेह की जड़ें रूढ़िवाद से जुड़ी हुई हैं. उनका मानना है कि एक महिला की सबसे पहली भूमिका मां और पत्नी बनना होती है.
महिलाओं और अभिव्यक्ति की आजादी के मुद्दों पर अपने रूढ़िवादी विचारों के कारण वह लगातार विवादों में भी रहती हैं.
एक रैली के दौरान जेमीलह ने कहा था, 'महिलाओं का स्त्रीत्व कहीं खो गया है और महिलाएं पुरुषों की तरह व्यवहार करती हैं. ये यूरोपीय सभ्यता की विरासत थी. यूरोप में महिला वर्कर्स की जरूरत थी इसलिए उन्होंने महिलाओं को भी श्रमिक बनने के लिए कहा.'
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में जमीलेह ने कहा था, "हम चाहते हैं कि औरतें औरतों की तरह ही रहें, वे मर्द क्यों बनना चाहती हैं? हमें पुरुषों की तरह पढ़ाई-लिखाई और कामकाज क्यों करना है, हम उनकी तरह क्यों रहें? ये तो हिंसा का ही एक रूप है."
विवादित हिजाब कानून की कठोर समर्थक रही है जेमिलेह
1979 की क्रांति के बाद ईरान जब रूढ़िवादी इस्लामिक देश बना तब महिलाओं के लिए हिजाब अनिवार्य बना दिया गया. उसके बाद से ही ईरान की सरकार हिजाब को सख्ती से लागू करवाती आई है. रईसी के शासनकाल में हिजाब नियमों को और सख्त बना दिया गया. हिजाब न पहनने वाली महिलाओं को जेल में डालने और उन पर जुर्माने की रकम बढ़ा दई गई.
ईरान की बहुत सी महिलाओं ने हिजाब कानूनों का सख्ती से विरोध किया लेकिन राष्ट्रपति रईसी की पत्नी जमीलेह ने सार्वजनिक रूप से इसका बचाव किया. उनका दावा है कि कई ईरानी महिलाएं सिर ढकने की समर्थक हैं.
जमीलेह ने कहा था, 'हर जगह ड्रेस कोड हैं. यूनिवर्सिटी और स्कूल से लेकर हर जगह. हिजाब एक धार्मिक परंपरा थी जिसे काफी बड़े स्तर पर स्वीकारा गया था.'
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