75 साल बाद रावलपिंडी में अपने पुश्तैनी घर में रहने पहुंचीं रीना, क्या कह रहा पाकिस्तानी मीडिया?

पिंडी गर्ल के नाम से सुर्खियां बटोर रहीं भारतीय महिला रीना छिब्बर वर्मा को दोनों मुल्कों की मीडिया में खूब कवरेज मिल रही हैं. वह पाकिस्तान के मीडिया में लगातार छाई हुई हैं. उन्हें टीवी, प्रिंट से लेकर वेब मीडिया तक में जोर शोर से कवर किया जा रहा है. रावलपिंडी में उनके घर से लेकर, मरी की उनकी यात्रा, लाहौर के कॉलेज समेत उनकी तकरीबन हर यात्रा मीडिया में छाई हुई है.

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रावलपिंडी के अपने पुश्तैनी घर से बाहर झांकती रीना छिब्बर वर्मा रावलपिंडी के अपने पुश्तैनी घर से बाहर झांकती रीना छिब्बर वर्मा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:07 PM IST
  • 1947 में बंटवारे के बाद परिवार के साथ भारत आ गई थीं रीना छिब्बर वर्मा
  • 75 साल के इंतजार के बाद रावलपिंडी अपने घर पहुंचीं

भारत की रीना छिब्बर वर्मा पाकिस्तान में अपने पुश्तैनी घर को देखने की ख्वाहिश पूरी कर भारत लौट रही हैं. 90 साल की रीना छिब्बर रावलपिंडी में अपने उस पुश्तैनी घर को देखने गईं जिसे उनके परिवार को भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद छोड़ना पड़ा था. 75 साल बाद जब वह पाकिस्तान पहुंचीं तो उनकी इस यात्रा को दोनों मुल्कों में खूब कवरेज मिली. पाकिस्तान के मीडिया में वह लगातार छाई रहीं. अखबारों से लेकर टीवी और सोशल मीडिया तक में वह ट्रेंड करती रहीं. पाकिस्तानी मीडिया में तो उन्हें 'पिंडी गर्ल' के नाम से मशहूर कर दिया गया. कुछ चैनलों में इस दौरे को भारत और पाकिस्तान के बीच की दूरियों को मिटाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है.

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75 साल बाद रावलपिंडी के अपने पुश्तैनी घर लौटकर बचपन की यादों में खोने वाली रीना से जुड़ी खबरों को पाकिस्तान में जोर शोर से कवर किया जा रहा है. रावलपिंडी में उनके घर से लेकर, टूरिस्ट प्लेस मरी की उनकी यात्रा, लाहौर के कॉलेज समेत उनकी तकरीबन हर यात्रा को मीडिया में तवज्जो दी गई.

पाकिस्तान की वेबसाइट डॉन ने लगातार रीना छिब्बर वर्मा से जुड़ी खबरों को जगह दी. डॉन ने '75 साल बाद अपने पुश्तैनी घर पहुंचीं भारतीय महिला हुई भावुक' शीर्षक से रीना के रावलपिंडी के अपने घर पहुंचने की खबर को प्रकाशित किया. 

डॉन की खबर के मुताबिक, रीना वर्मा ने इस हफ्ते 75 साल में पहली बार अपने बचपन के घर का दौरा किया. वह बंटवारे के बाद अपने पुश्तैनी घर पहुंचने वाली अपने परिवार की एकमात्र सदस्य रहीं.

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इस खबर में बताया गया कि किस तरह रीना ने पहले भी कई बार रावलपिंडी आने की कोशिश की थी लेकिन आ नहीं पाईं.

रिपोर्ट में पाकिस्तानियों के ट्वीट टैग कर कहा गया कि ये रीना का सपना नहीं बल्कि भारत, पाकिस्तान का सपना सच हुआ है. रीना के दोनों देशों के बीच शांति के संदेश को लेकर रिपोर्ट में कहा गया कि दूरियां कम होने से दोनों देशों को लाभ होगा.

पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने रीना वर्मा के पाकिस्तान की यात्रा और उनके मरी दौरे को कवर किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय महिला कई दशकों के इंतजार के बाद अपने होमटाउन रावलपिंडी पहुंचीं. यहां पहुंचने पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया. वह शनिवार को फेमस हिल स्टेश मरी भी पहुंचीं. 

रिपोर्ट में बताया गया कि मरी में टूरिस्ट्स ने उनके साथ सेल्फी खिंचवाईं. वह कुछ देर के लिए मॉल रोड कैफे ठहरी और बाद में जीपीओ चौक का भी दौरा किया.

ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि रीना की यह यात्रा एक सकारात्मक संदेश है. यह ध्यान देने योग्य है कि पाकिस्तान और भारत ने 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को वीजा देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे लागू नहीं किया गया.

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पाकिस्तान के अखबार डेली लीड पाकिस्तान भी लगातार कई दिनों से रीना छिब्बर के रावलपिंडी दौरे की कवरेज कर रहा है.

अखबार ने 'भारतीय महिला रीना वर्मा अपनी यादों को ताजा करने मरी पहुंचीं' शीर्षक से इस खबर को जगह दी.

रिपोर्ट में कहा गया, रीना वर्मा शनिवार को लोकप्रिय हिल स्टेशन मरी पहुंचीं. वह कुछ दिनों पहले ही रावलपिंडी अपना पुश्तैनी घर देखने पहुंची थीं. 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मरी होटल ऑनर्स एसोसिएशन ने उनका यहां गर्मजोशी से स्वागत किया. रीना बचपन में परिवार के साथ यहां गर्मियों की छुट्टियों के दौरान आती थीं. वह अभी भी इस हिल स्टेशन के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं.

लाहौर के वेब पोर्टल 24 न्यूज एचडी ने अपनी रिपोर्ट में 90 साल की भारतीय महिला रीना छिब्बर की पाकिस्तान यात्रा को दोनों मुल्कों के लिए शांति का पैगाम बताया है. 

रिपोर्ट में रीना के हवाले से बताया गया कि बॉर्डर के दोनों तरफ के लोग एक दूसरे से बेपनाह प्यार करते हैं और दोनों मुल्कों को एक साथ रहना चाहिए. पुश्तैनी घर पहुंचकर वर्मा का ढोल और नगाड़ों से स्वागत किया गया. उन्होंने बड़े प्यार से अपने घर का एक-एक कोना देखा और साथ में उनसे जुड़ी यादों को भी शेयर किया.

रावलपिंडी के अपने घर का दौरा करने के एक दिन बाद पाकिस्तानी टीवी चैनल पीटीवी न्यूज ने रीना छिब्बर वर्मा का इंटरव्यू किया था.

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इस इंटरव्यू में रीना छिब्बर ने दोनों देशों के बीच अमन की बहाली का संदेश दिया था. उनके इस संदेश को चैनल के एंकर्स ने दोनों मुल्कों के बीच कड़वाहट कम होने का प्रयास बताया था. 

इस दौरान रीना ने कहा था कि लोग कहीं भी खराब नहीं होते, हालात खराब होते हैं. हालात को ठीक करने के लिए मेहनत करनी चाहिए. दोनों मुल्क पहले एक ही थे इसलिए सबसे पहले हुक्मरानों को दोनों देशों के बीच आवाजाही को आसान बनाना चाहिए. 

पाकिस्तान के वॉयस ऑफ अमेरिका के उर्दू चैनल ने रीना के रावलपिंडी के घर की कवरेज की, जिसमें 75 साल बाद उनके रावलपिंडी आने के संघर्ष और पाकिस्तान के लिए इस यात्रा के मायने पर बात की. 

रिपोर्ट में बताया गया कि किस तरह से पाकिस्तान ने रीना वर्मा का दिल खोलकर स्वागत किया है. उन्हें बेशुमार प्यार देकर एक मिसाल पेश की है.

पाकिस्तान के पब्लिक न्यूज चैनल ने रीना छिब्बर वर्मा की पाकिस्तान यात्रा पर खुशी जताई. 

चैनल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पाकिस्तानी अवाम उनके यहां आने पर खुश है. उनके यहां आने की इतनी खुशी है कि लोग उनसे लगातार मिलने आ रहे हैं. रीना वर्मा से मिलकर उनका इंटरव्यू करने की लगातार रिक्वेस्ट आ रही थीं. उनका यहां आना पाकिस्तान में खुशी का माहौल लेकर आया है.

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जियो टीवी चैनल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि किस तरह से रीना वर्मा ने दोनों देशों से वीजा व्यवस्था को और आसान बनाने की अपील की है ताकि दोनों देशों के लोगों का मिलना आसान हो जाए. 

रावलपिंडी के अपने पुश्तैनी घर पहुंचने पर रीना छिब्बर वर्मा ने नई पीढ़ी से मिलकर काम करने की अपील की थी. उन्होंने कहा कि इंसानियत किसी भी धर्म से ऊपर है. सभी धर्म में इंसानियत का पाठ पढ़ाया जाता है और यह किसी भी धर्म से बड़ी चीज है.

उन्होंने शांति का पैगाम देते हुए कहा, अब बंटवारे को 75 साल हो गए हैं. नई पीढ़ी बड़ी हो गई है. इस नई पीढ़ी को प्यार का पैगाम मिलना चाहिए. वे मिलकर कोशिश करें कि सब कुछ आसान हो. युवा ही बदलाव ला सकता है. हमारी संस्कृति एक जैसी है, सब कुछ एक जैसा है तो हमें शांति और भाईचारे से एक साथ रहना चाहिए. 

बता दें कि महज 15 साल की रीना अपने परिवार के साथ मई से जुलाई 1947 में भारत पहुंची थीं. उस समय सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे. पाकिस्तान के रावलपिंडी के अपने घर से 75 सालों से जुदा रही रीना कहती हैं, मैं अपने पुश्तैनी घर, मेरे पड़ोस और पिंडी की गलियों की यादें कभी नहीं मिटा पाई.

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फेसबुक पर इंडिया-पाकिस्तान हेरिटेज क्लब (India Pakistan Heritage Club) की मुहिम से रीना छिब्बर वर्मा आखिरकार अपनी जन्मभूमि पाकिस्तान पहुंची. वह इससे पहले दो बार पाकिस्तान जाने की असफल कोशिश कर चुकी थीं.

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