निज्जर आतंकी था और ISI का प्यादा भी... ट्रूडो फिर भी बचाते रहे, ये रहे सबूत

कनाडा की सरकार को इस बात की जानकारी थी कि हरदीप सिंह निज्जर पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई का प्यादा है और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल है. भारत ने बार-बार निज्जर के प्रत्यर्पण की मांग की थी, फिर भी कनाडा ने उसे बचाने के लिए उसे नो-फ्लाई लिस्ट में डाल दिया था.

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खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर. (फाइल फोटो) खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर. (फाइल फोटो)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 7:15 AM IST

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खुलेआम निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाते आ रहे हैं. वहीं, भारत ने ट्रूडो के इन आरोपों को बेतुका बताया है. भारत ने साफ कर दिया है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़ने के एकमात्र जिम्मेदार ट्रूडो हैं.

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लेकिन कनाडा ये सब हरकतें तब कर रहा है जब निज्जर के आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने की बात किसी से छिपी नहीं है. निज्जर पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई का प्यादा है. भारत ने कई बार निज्जर के प्रत्यर्पण की मांग की थी, लेकिन उसके बावजूद कनाडा ने उसे अपने यहां न सिर्फ शरण दी, बल्कि नागरिकता भी दी.

कनाडा की सरकार को निज्जर की हर हरकत के बारे में पता था और उसका प्रत्यर्पण रोकने के लिए उसे नो-फ्लाई लिस्ट में डाल दिया था.

पाकिस्तान की आईएसआई ने भारत को अस्थिर करने के मकसद से खालिस्तान समर्थकों को ट्रेन्ड करने के लिए निज्जर को चुना था. खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि 2014 में निज्जर पाकिस्तान गया था और वहां उसने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए जिम्मेदार खालिस्तानी आतंकी जगतार सिंह हवारा से मुलाकात की थी. इसी बैठक में आईएसआई ने उसे चुना था.

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भारत की तरफ से निज्जर के प्रत्यर्पण की बार-बार मांग किए जाने के बावजूद कनाडा की सरकार ने उसका बचाव किया. निज्जर की क्रिमिनल हिस्ट्री 1995 में तब शुरू हुई, जब उसे भारत में गिरफ्तार किया गया था. 1997 में निज्जर ने रवि शर्मा के नाम से नकली पासपोर्ट बनवाया और भाग गया, लेकिन कनाडा के अधिकारियों ने उसे टोरंटो एयरपोर्ट पर पकड़ लिया.

निज्जर ने भारतीय पुलिस पर क्रूरता और अत्याचार का आरोप लगाते हुए राजनीतिक शरण मांगी थी, लेकिन उसका आवेदन खारिज कर दिया गया. बाद में उसने ब्रिटिश कोलंबियाई लड़की से शादी की और इमिग्रेशन स्पॉन्सरशिप के लिए आवेदन किया, जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि ये शादी महज छलावा है. फिर भी, आखिरकार कनाडा ने उसे नागरिकता दे दी.

खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि 2015 तक आईएसआई ने ब्रिटिश कोलंबिया में सिख चरमपंथियों को ट्रेनिंग देने के लिए निज्जर का खुलकर साथ दिया था. निज्जर के संबंध बब्बर खालसा के आतंकी जगतार सिंह हवारा और 1981 में इंडियन एयरलाइंस का विमान हाईजैक करने वाले संगठन दल खालसा से जुड़े गजिंदर सिंह से भी थे.

कनाडा की सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) ने कनाडा में भारत के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए खालिस्तानी तत्वों का साथ दिया. 2018 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्रूडो को मोस्ट वांटेड आतंकियों की एक लिस्ट सौंपी थी, जिसमें निज्जर का नाम भी था.

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2014 में भारत ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था. भारत के बार-बार अनुरोधों के बावजूद 2017-18 में कनाडा ने उसे नो-फ्लाई लिस्ट में इसलिए डाल दिया, ताकि उसे प्रत्यर्पण से बचाया जा सके. कनाडा के इस रुख के बावजूद भारत ने निज्जर के प्रत्यर्पण की मांग जारी रखी.

हालांकि, निज्जर को लेकर विवाद पिछले साल तब ज्यादा बढ़ गया जब ट्रूडो ने उसकी हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने का आरोप लगाया. पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सर्रे में एक गुरुद्वारे के बाहर निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच तनाव बहुत बढ़ गया. हालांकि, गुरुवार को कनाडा चुनाव में विदेश हस्तक्षेप की जांच कर रही समिति के सामने पेश हुए ट्रूडो ने माना है कि कनाडा ने भारत से सिर्फ खुफिया जानकारी साझा की थी और उनके पास भारतीय एजेंटों के शामिल होने के कोई ठोस सबूत नहीं थे. 

निज्जर का मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे सिख वोटों को बंटोरने के मकसद से कनाडा ने आईएसआई से संबंध रखने वाले एक आतंकवादी को बचाया. भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था कि ट्रूडो ये सब वोट बैंक की राजनीति के लिए कर रहे हैं. भारत ने साफ कर दिया है कि इन बिगड़े रिश्तों के लिए ट्रूडो जिम्मेदार हैं.

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