रूस से सस्ता तेल खरीद भारत कर रहा ये काम, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

फिनलैंड स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) ने हाल ही में 'लॉन्ड्रोमैट: हाउ द प्राइस कैप एलायंस वाइटवॉश रशियन ऑयल इन थर्ड कंट्रीज' नाम से एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत लूपहोल का फायदा उठा कर रूसी तेल को रिफाइन कर यूरोपीय देशों को निर्यात कर रहा है.

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फाइल फोटो (रॉयटर्स) फाइल फोटो (रॉयटर्स)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2023,
  • अपडेटेड 6:18 PM IST

अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं. आर्थिक प्रतिबंध का मकसद रूसी आय के स्रोत में कमी लाना है. इसी मकसद से यूरोपीय देश रूस से कच्चा तेल नहीं खरीद रहे हैं. अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए यूरोपीय देश भारत, चीन, तुर्की, यूएई और सिंगापुर से तेल खरीद रहे हैं. लेकिन ये देश भी रूस से ही खरीदे गए तेल को रिफाइन कर यूरोपीय देशों को निर्यात कर रहे हैं. 

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सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस पर लागू आर्थिक प्रतिबंध के कारण यूरोपीय देश भारत, चीन, तुर्की, यूएई और सिंगापुर से भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहे हैं. रूसी तेल को यूरोपीय देशों को बेचने वाले इन पांच देशों को रिपोर्ट में 'Laundromat' (लॉन्ड्रोमैट) कंट्री कहा गया है. भारत इस लिस्ट में सबसे ऊपर है. यानी इन पांच देशों में सबसे ज्यादा रूसी तेल का निर्यात भारत ने किया है. 

रूसी तेल खरीदकर दूसरे देशों को बेचने में आगे भारत: रिपोर्ट

यूरोपीय कंट्री फिनलैंड की राजधानी हेलंस्की बेस्ड CREA की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 की पहली तिमाही में भारत लॉन्ड्रोमैट कंट्री को लीड कर रहा है, जो रूसी तेल खरीदते हैं और इसे रिफाइन कर यूरोपीय प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए बेचते हैं. 

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अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट और एनालिटिक्स फर्म Kpler की रिपोर्ट भी CREA की रिपोर्ट से मेल खाती है. रिपोर्ट में यह बताया गया है कि यूरोपीय यूनियन के वो देश जो रूसी तेल पर प्राइस कैप लागू करने का समर्थन करते हैं और तय सीमा से ऊपर तेल व्यापार और बीमा पर रोक लगाते हैं. वही देश प्राइस कैप से ऊपर कीमत पर रूसी तेल खरीद रहे भारत, चीन, तुर्की, यूएई और सिंगापुर से रिफाइन तेल खरीद रहे हैं. 

रिपोर्ट में भारतीय तेल कंपनियों और यूरोपीय खरीदारों पर प्राइस कैप को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया है. उनका आरोप है कि गुजरात स्थित रिफाइनरी रूसी तेल को रिफाइन कर यूरोपीय देशों में बेचने में अहम भूमिका निभा रही है. दरअसल, गुजरात स्थित एक रिफाइनरी को रूसी ऑयल कंपनी रोजनेफ्ट (Rosneft) भी को-ओन (सह-मालिक) करती है. 

रूस पर लागू आर्थिक प्रतिबंध को नजरअंदाज करते हुए भारत भारी मात्रा में रूसी तेल आयात कर रहा है. लगातार पिछले छह महीनों से रूस भारत के लिए नंबर एक तेल सप्लायर बना हुआ है. क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ने के कारण भारत भी प्राइस कैप से ऊपर भुगतान कर रहा है. जबकि अमेरिका समेत कई यूरोपीय देश यह चेतावनी दे चुके हैं कि सभी कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि रूसी तेल की खरीद प्राइस कैप के भीतर हो.

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प्राइस कैप लगाने वाले देश ही खरीद रहे रूसी तेल

रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइस कैप लगाने वाले संगठन के देशों ने उन देशों से तेल आयात में बढ़ोतरी की है, जो देश यूक्रेन युद्ध के बाद से रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक बन गए हैं. सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि रूसी तेल पर लागू प्राइस कैप में यह एक बड़ा लूप होल है, जो रूस पर लागू प्रतिबंधों के प्रभाव को कमजोर कर सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय देश जो पहले रूस से सीधे तेल खरीदते थे, आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बाद वो अब तीसरे देशों से खरीद रहे हैं. 

तथाकथित 'लॉन्ड्रोमैट' देशों में भारत ने अप्रैल महीने में सबसे ज्यादा रूसी तेल आयात किया है. यह लगातार पांचवां महीना है, जब भारत ने सबसे ज्यादा रूसी तेल आयात किया है. लॉन्ड्रोमैट में शामिल देश प्राइस कैप लगाने वाले देशों को लगभग 3.8 मिलियन टन तेल निर्यात करते हैं. इन देशों में यूरोपीय यूनियन, जी-7 कंट्री, ऑस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल है. 

भारत का डीजल निर्यात तीन गुना बढ़ा

तेल निर्यात में भारत रूसी तेल का कैसे फायदा उठा रहा है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत का डीजल निर्यात तीन गुना बढ़ा है. मार्च 2023 में भारत ने लगभग 1,60,000 बैरल प्रति दिन डीजल निर्यात किया है. वर्तमान में डीजल का निर्यात भारत-यूरोपीय संघ के बीच एक बड़ा ट्रेड व्यापार बन गया है. 

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CREA की रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात स्थित दो बंदरगाहों से सबसे अधिक तेल उत्पादों का निर्यात किया जा रहा है. पहला सिक्का बंदरगाह जो रिलायंस के स्वामित्व वाली जामनगर रिफाइनरी की सेवा है. दूसरा वाडिनार बंदरगाह जो नायरा एनर्जी से तेल उत्पादों को निर्यात करता है. नायरा एनर्जी का आंशिक स्वामित्व लगभग 49.13% रूसी कंपनी रोजनेफ्ट के पास है. ये दोनों बंदरगाह रूसी तेल उद्योग के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है.

'प्लेस ऑफ ऑरिजन सर्टिफेकेशन' की मांग

रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि, किसी तीसरे देश में स्थित तेल रिफाइनरी की मालिक रूसी कंपनी है, तो ऐसे में रोजनेफ्ट या कोई अन्य तेल कंपनियां अपने कच्चे तेल को वाडिनार ले जाने के लिए स्वतंत्र है. वाडिनार में तेल को रिफाइन किया जाता है. भारत इस तेल उत्पाद को प्राइस कैप लगाने वाले देश को ही निर्यात कर सकता है. इसलिए यूरोप को बेचे जाने वाले तेल उत्पाद के लिए 'प्लेस ऑफ ऑरिजन सर्टिफेकेशन' लागू की जानी चाहिए. जिससे रूस को अप्रत्यक्ष लाभ ना मिले.

हालांकि, भारत के पेट्रोलियम मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है. वहीं, तेल की खरीद पर अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के बाद बिजनैसमेन आनंद महिंद्रा ने ट्वीट करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर को टैग करते हुए लिखा, "Hypocrisy की बड़ी कीमत होती है. भारत शुरू से ही अपनी मजबूरियों को लेकर पारदर्शी था. 

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मामूली निर्यातक से नंबर 1 सप्लायर बना रूस

यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले रूस भारत के लिए एक मामूली तेल निर्यातक देश था. मार्च 2022 से पहले भारत रूस से लगभग एक प्रतिशत कच्चा तेल ही आयात करता था. लेकिन एक ही साल में यह आंकड़ा 35 फीसदी तक पहुंच गया है. फिलहाल रूस लगभग 1.64 मिलियन बैरल प्रति दिन तेल निर्यात के साथ नंबर एक सप्लायर है.

 

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