कई महीनों के प्रदर्शन के आगे आखिरकार हांगकांग सरकार झुक गई है. स्थानीय मीडिया के अनुसार, हांगकांग की विधायिका ने विवादास्पद प्रत्यर्पण बिल को वापस लेने का फैसला किया है. बिल के लिए दूसरा रीडिंग बुधवार दोपहर को फिर से शुरू हुआ. इस दौरान सुरक्षा सचिव जॉन ली ने ऐलान किया कि बिल वापस ले लिया गया है.
हांगकांग में बीते 20 सप्ताहों से प्रदर्शन चल रहे थे और राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई थी. हांगकांग फ्री प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यह कदम विधान परिषद में मुख्य कार्यकारी के संबोधन के दौरान विरोध प्रदर्शन के कारण एक सप्ताह देरी से उठाया जा सका.
विधेयक की दूसरी रीडिंग बुधवार को फिर से शुरू की गई. सुरक्षा सचिव जॉन ली ने इसके बाद सदन से विधेयक वापस लेने का आग्रह किया.
3 महीने तक चला प्रदर्शन
विधेयक के खिलाफ हुए प्रदर्शन में हांग कांग में एक हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी देखने को मिले, जिनमें सैकड़ों लोग जख्मी भी हुए हैं.
इन प्रदर्शनों पर अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों ने चिंता जताई थी. लेकिन चीन इसे अपना अंदरूनी मसला बताकर बाहर से किसी भी तरह की दखल से साफ इनकार कर चुका है .
बता दें कि किसी व्यक्ति को चीन को प्रत्यर्पित किए जाने संबंधी विधेयक को लेकर भड़के गुस्से के बाद हांग कांग के लाखों लोग सड़कों पर उतर आए थे . ब्रिटेन ने 1997 में हांगकांग को चीन को सौंपा था. अब इतने साल बाद चीनी सरकार के सामने यह मुद्दा बड़ी चुनौती बनकर उभरा था.