ट्रंप का टैरिफ प्रेम कैसे धरती को पहुंचा रहा नुकसान? कोका कोला ने भी कर दिया ये ऐलान

डोनाल्ड ट्रंप ने एल्यूमिनियम पर 25% टैरिफ लगा दिया है जिस कारण अमेरिका में प्लास्टिक के अधिक इस्तेमाल का खतरा बढ़ गया है. कोका कोला ने कह दिया है कि टैरिफ की वजह से एल्यूमिनियम कैन महंगे होंगे जिसे देखते हुए वो अपना ड्रिंक बेचने के लिए और अधिक प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल करेगा.

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डोनाल्ड ट्रंप के एल्यूमिनियम पर टैरिफ से प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल बढ़ेगा (Photo- Reuters) डोनाल्ड ट्रंप के एल्यूमिनियम पर टैरिफ से प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल बढ़ेगा (Photo- Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 5:05 PM IST

डोनाल्ड ट्रंप के स्टील और एल्यूमिनियम पर 25% टैरिफ के बाद अमेरिका की शीर्ष सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी कोका कोला ने कहा है कि वो ड्रिंक बेचने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ा सकती है. कंपनी ने कहा है कि ट्रंप के टैरिफ की वजह से एल्यूमिनियम कैन महंगे हो जाएंगे जिसे देखते हुए वो प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ाएगी.

अमेरिका में कैन डिंक्स और फूड्स का भारी मात्रा में इस्तेमाल होता है लेकिन ट्रंप के टैरिफ को देखते हुए ये एल्यूमिनियम कैन काफी महंगे हो जाएंगे. कंपनियां इससे बचने के लिए प्लास्टिक बोतलों के इस्तेमाल को बढ़ाने जा रही हैं.

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कोका कोला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेम्स क्विन्सी ने निवेशकों के साथ बातचीत में कहा कि अगर अमेरिका में एल्यूमिनियम महंगे हुए तो कंपनी को अमेरिका में प्लास्टिक की बोतलों में अधिक ड्रिंक्स बेचने पड़ सकते हैं.

उन्होंने कहा, 'अगर एल्यूमिनियम के कैन और महंगे हो जाएंगे तो हम प्लास्टिक में अपनी ड्रिंक बेचने पर जोर देंगे.'

कोका कोला कंपनी पहले से ही भारी मात्रा में प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल करती आई है, ट्रंप के टैरिफ की वजह से इसमें और बढ़ोतरी होगी. कोका कोला पिछले छह सालों से दुनिया का सबसे बड़ा प्लास्टिक प्रदूषक बना हुआ है यानी यह दुनिया में सबसे अधिक प्लास्टिक का कचरा पैदा करता है.

पर्यावरण समूहों की तरफ से आलोचनाओं को देखते हुए कोका कोला ने ड्रिक्स बेचने के लिए अधिक से अधिक एल्यूमिनियम कैन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था. एल्यूमिनियन की कैन प्लास्टिक बोतलों की अपेक्षा महंगी होती हैं लेकिन उन्हें रिसाइकल कर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है.

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ट्रंप ने अमेरिका में प्लास्टिक स्ट्रॉ के इस्तेमाल को भी दी मंजूरी

डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक आदेश पर हस्ताक्षर किया जिसका उद्देश्य अमेरिकी सरकार और अमेरिकी लोगों को प्लास्टिक के स्ट्रॉ खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना है. ट्रंप के पहले की जो बाइडेन प्रशासन ने पर्यावरण का हवाला देते हुए प्लास्टिक स्ट्रॉ और सिंगर यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगा दिया था.

बाइडेन प्रशासन ने एक वैश्विक संधि को भी अपना समर्थन दिया था जिसका लक्ष्य प्लास्टिक के उत्पादन को नियंत्रित करना था. बाइडेन प्रशासन में अमेरिका में पेपर स्ट्रॉ का इस्तेमाल बढ़ गया था लेकिन ट्रंप के आने से एक बार फिर प्लास्टिक स्ट्रॉ और सिगल यूज प्लास्टिक की वापसी हो रही है.

ट्रंप ने प्लास्टिक स्ट्रॉ को वापस लाने के आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए मीडिया से कहा, 'हम प्लास्टिक के स्ट्रॉ को वापस ला रहे हैं. कागज के स्ट्रॉ काम नहीं करते हैं. मुझे नहीं लगता कि प्लास्टिक शार्क को बहुत अधिक प्रभावित करेगा.'

ट्रंप ने 2020 में भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने कैंपेन के दौरान कहा था, 'वो लोग (जो बाइडेन और उनके साथी डेमोक्रेट्स) प्लास्टिक स्ट्रॉ को बैन करना चाहते हैं. क्या किसी ने उन पेपर स्ट्रॉ का इस्तेमाल किया है. वो सही से काम नहीं करते. जब आप उनसे अपना ड्रिंक पीते हैं तो वो घुल जाते हैं.'

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ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन की उस नीति को भी रद्द कर दिया है कि अमेरिकी राज्यों में 2032 तक सभी तरह के सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों का इस्तेमाल खत्म कर दिया जाएगा.

दुनिया के दर्जनों देशों ने अलग-अलग तरह के सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है जो शॉपिंग बैग, बोतलें और अन्य डिस्पोजेबल प्रोडक्ट्स को बनाने में इस्तेमाल किए जाते हैं.

धरती पर बेतहाशा बढ़ रहा प्लास्टिक का कचरा

पिछले साल प्रकाशित आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) के शोध के अनुसार, अगर सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर नियंत्रण नहीं लगाया गया तो धरती पर प्लास्टिक कचरे की मात्रा 2040 में बढ़कर 11.9 करोड़ टन होने का अनुमान है. 2020 में यह प्लास्टिक कचरा 8.1 करोड़ मीट्रिक था.

दुनिया भर में प्लास्टिक का इस्तेमाल 2000 के बाद से काफी बढ़ गया है. हर साल दुनिया में लगभग 46 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है और अनुमान है कि 2050 तक यह चार गुना हो जाएगा.

समुद्र में हर मिनट एक ट्रक प्लास्टिक का कचरा फेंका जा रहा है. इसमें प्लास्टिक की थैलियां, टूथब्रश, बोतलें और खाने को पैकिंग वाला प्लास्टिक का कचरा होता है. समुद्र में पड़ा प्लास्टिक कचरा छोटे-छोटे प्लास्टिक कणों, माइक्रोप्लास्टिक में टूटता है. यहां से यह मछलियों, पक्षियों और दूसरे जीवों के शरीर में जाता है.

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मछलियों के जरिए यह माइक्रोप्लास्टिक इंसानों के शरीर में भी पहुंच रहा है. हाल ही में नेचर जर्नल पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया था कि इंसानी दिमाग में एक चम्मच नैनोप्लास्टिक्स हो सकता है.

वर्तमान में, 10% से भी कम प्लास्टिक कचरे का रिसाइकल किया जाता है. बाकी प्लास्टिक कचरा पर्यावरण को प्रदूषित करता है. स्ट्रॉ जैसे सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स कुल प्लास्टिक उत्पादन का लगभग 40% है.

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