पाकिस्तान में चीन के नागरिकों पर बढ़ते आतंकी हमलों ने चीन की टेंशन बढ़ा दी है, इन हमलों के बाद चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) प्रोजेक्ट में शामिल इंजीनियरों और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए चीन अब अपने सैनिकों को तैनात करने पर भी विचार कर रहा है. इसके लिए चीन ने एक निजी सुरक्षा और सैन्य अनुबंध को लेकर समझौता किया है. चीन ने पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए संयुक्त सुरक्षा व्यवस्था के लिए अपनी तीन निजी कंपनियों अर्थात् डेवे सिक्योरिटी फ्रंटियर सर्विस ग्रुप, चाइना ओवरसीज सिक्योरिटी ग्रुप और हुआक्सिन झोंगशान सिक्योरिटी सर्विस को नियुक्त किया है.
बता दें कि पाकिस्तान में चीन के नागरिकों पर पिछले दिनों कई हमले हुए हैं, सबसे हालिया हमला 6 अक्टूबर को हुआ, जब बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के उग्रवादियों के आत्मघाती बम विस्फोट में दो चीनी नागरिक मारे गए थे, जिससे पाकिस्तान में चीन के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
खुफिया रिपोर्टों से यह भी जानकारी मिली है कि चीन CPEC परियोजनाओं में शामिल अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान में अपने स्वयं के सैनिकों को तैनात कर सकता है,
चीन की बढ़ती चिंताओं के जवाब में पाकिस्तान सरकार ने अपने सिक्योरिटी बजट में बढ़ोतरी की है, अगस्त में पाकिस्तान ने अपने 2.1 ट्रिलियन के रक्षा बजट के तहत “ऑपरेशन आज़म-ए-इस्तेखाम” के लिए 60 बिलियन रुपये आवंटित किए थे. हाल ही में चीन की सरकार के कहने पर पाकिस्तान ने CPEC फेज-2 प्रोजेक्ट से जुड़े चीनी नागरिकों और उनकी प्रॉपर्टी की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त 90 बिलियन रुपये मंजूर किए है.
दरअसल, चीन बेहतर सुरक्षा उपायों के लिए दबाव बढ़ा रहा है, उसने CPEC पर काम कर रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के साथ एक संयुक्त सुरक्षा कंपनी स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है. इसने बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में चीन की मौजूदगी के बढ़ने की अटकलों को हवा दी है, जहां अलगाववादी उग्रवादी सक्रिय रूप से चीनी हितों को निशाना बना रहे हैं. इसके अतिरिक्त चीन ने पाकिस्तान से आतंकवाद विरोधी सहयोग पर एक समझौता करने का सुझाव दिया है. इसके बाद पाकिस्तान में चीनी निवेश और चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए चीन के सैनिकों की संभावित आधिकारिक उपस्थिति पर सवाल उठ रहे हैं.
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