ट्रूडो ने माना कनाडा में खालिस्तानी समर्थक मौजूद, कहा- सभी हिंदू मोदी समर्थक नहीं

ओटावा के पार्लियामेंट हिल में दिवाली समारोह के दौरान भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने कहा, "कनाडा में खालिस्तान के कई समर्थक हैं, लेकिन वे पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. कनाडा में मोदी सरकार के समर्थक हैं, लेकिन वे सभी हिंदू कनाडाई लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं."

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कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो (फाइल फोटो) कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो (फाइल फोटो)

मिलन शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने देश में खालिस्तानी समर्थकों की मौजूदगी की बात स्वीकार की है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ये खालिस्तानी समर्थक कनाडा में सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. खालिस्तानी समर्थकों की मौजूदगी ट्रूडो द्वारा स्वीकारे जाना भारत के इस रुख की पुष्टि करता है कि कनाडा सरकार खालिस्तानी तत्वों को पनाह दे रही है.

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उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिंदू समर्थक हैं, लेकिन वे भी कनाडा में पूरे हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.

ओटावा के पार्लियामेंट हिल में दिवाली समारोह के दौरान भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने कहा, "कनाडा में खालिस्तान के कई समर्थक हैं, लेकिन वे पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. कनाडा में मोदी सरकार के समर्थक हैं, लेकिन वे सभी हिंदू कनाडाई लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं." 

ट्रूडो की यह टिप्पणी खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच बढ़ते कूटनीतिक विवाद के बीच आई है. सितंबर 2023 में दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव तब आया, जब ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की भूमिका का आरोप लगाया. 

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बता दें कि भारत सरकार द्वारा वांछित आतंकवादी निज्जर को 18 जून, 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया के सर्रे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मार दी गई थी. पिछले महीने, संबंधों में तब और तनाव बढ़ गया जब कनाडा ने निज्जर की हत्या की जांच में भारतीय उच्चायुक्त का हाथ बताया. हालांकि भारत ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया था और ओटावा स्थित अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया था. साथ ही भारत 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया.

विदेश मंत्रालय ने बार-बार कहा है कि कनाडा सरकार ने बार-बार अनुरोध के बावजूद निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के सबूत साझा नहीं किए. साथ ही सरकार ने ट्रूडो पर वोट बैंक की राजनीति करने और कनाडा की धरती पर अलगाववादी तत्वों से निपटने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का भी आरोप लगाया.

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