क्या ट्रूडो को देना पड़ेगा इस्तीफा? भारत से लौटे कनाडाई PM की बढ़ीं मुश्किलें

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत दौरे को लेकर वहां की मीडिया पहले ही उन पर हमलावर थी और अब घरेलू मामलों को लेकर उन पर सवाल उठ रहे हैं. कनाडा में महंगाई काफी ज्यादा हो गई है जिससे लोग परेशान हैं. ट्रूडो से इसे लेकर जवाब मांगा जा रहा है.

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जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं (Photo- Reuters) जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं (Photo- Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:08 PM IST

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. भारत में उपेक्षा झेल स्वदेश लौटे ट्रूडो के लिए घरेलू राजनीति में उथल-पुथल का दौर चल रहा है. कनाडा की मीडिया अपने प्रधानमंत्री ट्रूडो की कड़ी आलोचना कर रही है और कह रही है कि उन्हें विदेश नीति के संबंध में थोड़ी सी भी जानकारी नहीं है, उन्होंने कनाडा के विदेशी संबंधों को खराब कर दिया है. देश के घरेलू मुद्दों को लेकर ट्रूडो पहले से ही घिरे हुए हैं और उनसे इस्तीफे की मांग की जा रही है.

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ट्रूडो कनाडा के हालिया सर्वे में अपने विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी से पिछड़ गए हैं. सर्वे में ट्रूडो को अपने मुख्य प्रतिद्व्ंद्वी पियरे पोइलिवरे से 14 अंक कम मिले हैं जिसे लेकर पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि क्या वो अपना पद छोड़ देंगे. जवाब में ट्रूडो ने कहा कि उन्हें अभी बहुत काम करना है. हालांकि, उन्होंने लोगों की उन शिकायतों को जरूर स्वीकार किया जिसमें वो कह रहे हैं कि उनके रहने, खाने-पीने का खर्च काफी बढ़ गया है.

सर्वे से पता चलता है कि नौ साल तक सत्ता में रहने के बाद, वामपंथी झुकाव वाली लिबरल पार्टी विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी से बुरी तरह पिछड़ रही है और अगर अभी चुनाव हुए तो पार्टी सत्ता से बाहर हो जाएगी.

हालांकि, ट्रूडो की लिबरल पार्टी को वामपंथी न्यू डेमोक्रेट्स का समर्थन हासिल है और उसके साथ एक समझौते के तहत वो अक्टूबर 2025 तक सत्ता में बने रह सकते हैं. हालांकि, यह समझौता पहले भी टूट सकता है.

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'मुझे अभी बहुत काम करना है'

लोगों का विश्वास खोते ट्रूडो से ओंटारियों में पत्रकारों ने जब पूछा कि क्या वो अपना पद छोड़ देंगे तो उन्होंने कहा, 'अगले चुनावों में दो सालों का फासला है. मैं अपना काम करना जारी रख रहा हूं. बहुत सारे बड़े काम करने हैं... और जब मुझे लगता है कि मुझे वो सब काम करने हैं तो मेरे अंदर उत्साह आ जाता है और मैं आराम करना भूल जाता हूं.'

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी ट्रूडो पर आरोप लगाती रही है कि उन्होंने लापरवाह तरीके से सरकारी खर्च बढ़ा दिया है और उनके शासनकाल में लोगों के लिए घर खरीदना बेहद मुश्किल हो गया है.

इस बात को स्वीकारते हुए ट्रूडो ने कहा, 'देश भर में हंगामा हो रहा है...जीवनयापन की लागत ज्यादा है जिससे लोगों को बहुत दिक्कत हो रही है.'

वहीं, ट्रूडो के साथी नेताओं ने स्थानीय मीडिया में बिना नाम बताए कहा है कि ट्रूडो कंजर्वेटिव पार्टी के हमलों का जवाब देने के लिए कोई काम नहीं कर रहे. वो ऐसी कोई योजना नहीं बना रहे जिसके तहत आम लोगों के लिए महंगाई को कम किया जा सके. हालांकि, ट्रूडो ने यह कहा है कि वो उनकी पार्टी के साथ मिलकर सरकार की चुनौतियों से निपटने के सबसे बेहतर तरीकों के बारे में खुलकर बातचीत करेंगे.

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भारत दौरे को लेकर पहले ही ट्रूडो पर आक्रामक है कनाडा की मीडिया

जस्टिन ट्रूडो कनाडा की तमाम घरेलू चुनौतियों के बीच भारत दौरे पर आए थे लेकिन इस दौरे को लेकर भी उनके खाते में सिर्फ आलोचना ही आई. कनाडा के एक अखबार ने लिखा कि भारत और कनाडा के रिश्तों में पहले ही कोई खास गर्मजोशी नहीं थी और ट्रूडो के भारत दौरे के बाद दोनों देशों के रिश्ते आकर्टिक की बर्फ की तरह जम गए हैं. जी20 रिश्तों को सुधारने का बेहतर मौका था लेकिन ऐसा हो नहीं सका.

कनाडाई अखबार ने लिखा कि पीएम मोदी ने जो बाइडेन और बाकी नेताओं से द्विपक्षीय वार्ता की लेकिन ट्रूडो के साथ बस 10 मिनट की बिना मतलब की बातचीत की. कनाडा के लोगों ने देखा कि शिखर सम्मेलन में ट्रूडो मोदी से हाथ मिलाते हुए असहज थे और उन्होंने मोदी से दूरी बना ली. ट्रूडो नेताओं के लिए आयोजित डिनर में भी शामिल नहीं हुए जो एक बड़ी गलती थी. इसे मेजबान भारत के अपमान के रूप में देखा गया. 

ट्रूडो का विमान भी खराब हो गया जिस कारण वो रविवार को वापस कनाडा नहीं जा सके और उन्हें भारत में ही रुकना पड़ा. तीन दिनों बाद आखिरकार वो मंगलवार को कनाडा के लिए रवाना हुए. विमान में खराबी को लेकर कनाडाई मीडिया में ट्रूडो की काफी फजीहत हुई.

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कनाडा के टेलिविजन नेटवर्क CTV न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, 'यह शर्मनाक है, एक देश के तौर पर, हमारे लिए यह शर्म की बात है. एक प्लेन जिस पर हमारे प्रधानमंत्री यात्रा कर रहे हैं, उसमें खराबी आ गई जो दिखाती है कि हम किस तरह से अपने इंफ्रास्ट्रक्चर का ख्याल रख रहे हैं.'

किसान आंदोलन, खालिस्तान के मुद्दे पर भारत-कनाडा रिश्तों में तनाव

कनाडा में बड़ी संख्या में सिख आबादी रहती है और वहां के दर्जनों सांसद सिख समुदाय से आते हैं. कनाडा की राजनीति पर सिख समुदाय की मजबूत पकड़ है.

भारत में जब किसान आंदोलन हुए थे, जिसमें पंजाब के किसानों का बड़ा तबका शामिल था, तब कनाडाई सिखों ने भारत सरकार के रवैये को सिख विरोधी माना था. किसान आंदोलन के समय कनाडा के कई सिख नेताओं ने भारत सरकार की आलोचना की थी. प्रधानमंत्री ट्रूडो ने भी किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अभिव्यक्ति की आजादी पर जोर दिया था. 

कनाडा में खालिस्तान आंदोलन को लेकर भी भारत अपना विरोध जताता रहा है. भारत का कहना रहा है कि कनाडा की धरती पर 'भारत विरोधी गतिविधियां' बढ़ी हैं. हालांकि, ट्रूडो की सरकार ने भारत सरकार की चिंताओं के संबंध में कुछ खास काम नहीं किया जिसे लेकर भारत में नाराजगी रही है. जी20 शिखर सम्मेलन दोनों देशों के रिश्तों में मिठास लाने का एक मौका था लेकिन इस सम्मेलन के बाद से दोनों देशों की दूरियां और बढ़ गई हैं.

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