बांग्लादेश के एक बड़े मौलाना ने अपनी गिरफ्तारी से पहले फेसबुक लाइव आकर ढाका की कथित क्रांति का क्रेडिट लेने वाले नेशनल सिटीजन पार्टी के नेताओं को बेनकाब कर दिया है और उनके टेरर लिंक का पर्दाफाश कर दिया है. इस मौलाना का नाम अताउर रहमान बिक्रमपुरी है. इस मौलाना ने आरोप लगाया है कि नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) के नेता आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं.
अताउर रहमान बिक्रमपुरी बांग्लादेश के जमात नेताओं के आतंकी कनेक्शन का भी खुलासा किया है. बिक्रमपुरी ने कहा है कि एनसीपी और जमात के नेता आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं और इनका हाथ बांग्लादेश में अस्थिरता फैलाने में भी है.
बिक्रमपुरी ने NCP से जुड़े छात्र नेताओं पर देश में हाल की गड़बड़ियों की साज़िश रचने का आरोप लगाया, ये दावे पुलिस कार्रवाई से कुछ घंटे पहले सामने आए था.
बिक्रमपुरी को 23 दिसंबर को हिरासत में लिया गया था. मौलाना अताउर रहमान बिक्रमपुरी का सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल उसे प्रिज़नर्स राइट्स मूवमेंट चलाने वाला बताता है. इस मौलाना को कई मौकों पर "तौहीदी जनता" के बैनर तले विरोध प्रदर्शनों को संगठित करते हुए भी देखा जा सकता है. अताउर एक फेसबुक पेज, "एंटी-शतिम मूवमेंट" भी चलाता है.
इसके बाद अताउर रहमान बिक्रमपुरी को गिरफ्तार कर लिया गया है. बांग्लादेश को गिरफ्तारी के बाद कासिमपुर सेंट्रल जेल भेजा गया है. इस मौलाना पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.
अताउर के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि वह मंगलवार रात नरसिंगदी से भैरब जा रही एक बस में यात्रा कर रहे था, तभी हिरासत में लेने के लिए उसे रोका गया.
मौलाना रहमान नियमित रूप से लोकतांत्रिक तरीकों का समर्थन करने वाले मुसलमानों को "काफिर" कहता है और उस पर नास्तिकों के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप है. इस मौलाना ने इस्लामिक स्टेट (IS) को खारीजी बताया है, लेकिन उसने सार्वजनिक रूप से अल-कायदा और तालिबान को "वैध" समूह बताया है.
2021 में अताउर को बैन आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के सदस्य के तौर पर गिरफ्तार किया गया था.
NCP-जमात के बीच गठबंधन की चर्चा
बता दें कि बांग्लादेश में 12 फरवरी 2026 को आम चुनाव है. इस चुनाव से पहले NCP और जमात के बीच सीट शेयरिंग पर वार्ता चल रही है. एनसीपी के नेताओं ने इस गठबंधन का विरोध किया है. एनसीपी नेता अब्दुल कादेर ने फेसबुक पर दावा किया कि यह गठबंधन "युवा राजनीति की कब्र खोद देगा" और NCP जमात में विलीन हो जाएगी।. कई लोग इसे जुलाई क्रांति की भावना के खिलाफ मान रहे हैं.
सुबोध कुमार