पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर 12 जून को अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी पहुंचने वाले हैं, जहां वे 14 जून को आयोजित अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. यह कार्यक्रम दुनियाभर के सैन्य नेताओं के लिए आमंत्रण का मौका है, लेकिन इस बार यह दौरा रणनीतिक नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है. इस बारे में इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने दावा किया है और उनकी यात्रा के दौरान पार्टी ने विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया है.
पाकिस्तानी दूतावास के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस यात्रा को अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बदलते रिश्तों और वैश्विक शक्ति संतुलन के संदर्भ में बारीकी से देखा जा रहा है. अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि इस यात्रा के दौरान पाकिस्तान पर अफगानिस्तान और भारत के खिलाफ सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का दबाव डाला जा सकता है.
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भारत-पाकिस्तान नें तनाव के बीच मुनीर जाएंगे अमेरिका!
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर करारा प्रहार किया था. हाल ही में यूरोप दौरे पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट कहा, "अगर वे पाकिस्तान में गहराई में हैं, तो हम भी वहां गहराई में जाएंगे." जयशंकर ने पाकिस्तान पर "आतंकवाद को राज्य नीति का हिस्सा" बनाने का आरोप लगाया था और कहा था कि भारत अब ऐसे बर्बर हमलों को नहीं सहेगा.
पाकिस्तान को बताया काउंटर टेररिज्म में सहयोगी
अमेरिका सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) के कमांडर, जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान के बारे में कहा, "वे इस समय सक्रिय आतंकवाद विरोधी लड़ाई में लगे हुए हैं, और काउंटर टेररिज्म में वे एक अभूतपूर्व साझेदार रहे हैं." उन्होंने कहा, "हमें पाकिस्तान और भारत के साथ संबंध बनाने की जरूरत है. मैं नहीं मानता कि यह कोई द्विआधारी बदलाव है कि अगर हम भारत के साथ संबंध रखते हैं तो हम पाकिस्तान के साथ संबंध नहीं रख सकते. " उन्होंने कहा, "हमें संबंधों के गुणों को सकारात्मकता के लिए देखना चाहिए."
चीन के लिए भी चिंता की बात
भले ही यह निमंत्रण औपचारिक समारोह के तहत दिया गया है, लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि, यह अमेरिका की उस रणनीति का हिस्सा भी है जिसमें वह चीन के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को संतुलित करना चाहता है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में पाकिस्तान की गहरी भागीदारी को अमेरिका लंबे समय से चिंता की निगाह से देख रहा है.
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इमरान खान की पार्टी का विरोध का ऐलान
पाकिस्तान इस मौके का इस्तेमाल अमेरिका से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पर उसकी नीति को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कर सकता है, जो अफगान क्षेत्र से संचालित हो रहे हैं. इस बीच, पाकिस्तान चीन पर आर्थिक निर्भरता को लेकर भी चिंतित है और पश्चिमी देशों सहित अन्य वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिश में है. पाकिस्तान के पास लिथियम, तांबा, सोना और दुर्लभ खनिजों का भंडार का दावा है, लेकिन वह चीन के निवेश मॉडल से जुड़े "उपनिवेशवाद" जैसे जोखिमों को लेकर सतर्क हो गया है.
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