प्यार, शादी और जाति की दीवारें. इन तीनों के बीच फंसी एक जिंदगी झांसी में खत्म हो गई. एक्स-रे टेक्नीशियन साहित्य खरे ने पहले तलाक का दर्द झेला, फिर दूसरी मोहब्बत में नई शुरुआत की उम्मीद जगाई. लेकिन जब प्रेमिका के परिवार से मुलाकात के बाद उसे शादी से इनकार मिला, तो उसने जहर निगलकर हमेशा के लिए कहानी खत्म कर दी.
कौन थे साहित्य खरे
करीब 25 साल का साहित्य खरे झांसी के मोंठ थाना क्षेत्र के अखाड़ापुरा मोहल्ले का रहने वाला था. वर्तमान में वह नवाबाद थाना क्षेत्र के करगुवाजी मोहल्ले में रह रहा था. पिता महेंद्र खरे के अनुसार, साहित्य उनका इकलौता बेटा था. वह झांसी की मां भद्रकाली पैथोलॉजी में एक्स-रे टेक्नीशियन के तौर पर काम करता था. 2019 में उसकी शादी नंदनी नाम की युवती से हुई थी. शुरूआत में सबकुछ सामान्य रहा, लेकिन कुछ ही महीनों में पति-पत्नी के बीच मनमुटाव बढ़ने लगा. हालात ऐसे बने कि नंदनी ससुराल छोड़कर मायके चली गई और फिर कभी वापस नहीं लौटी. मामला तलाक तक पहुंच गया.
टूट गया सपना
शादी टूटने के बाद साहित्य की जिंदगी जैसे खाली हो गई थी. इसी दौरान उसकी मुलाकात इटावा में तैनात एक महिला सिपाही से हुई. धीरे-धीरे यह मुलाकात दोस्ती और फिर मोहब्बत में बदल गई. लड़की यादव समाज से थी और साहित्य खरे ब्राह्मण परिवार से. दोनों ने जातिगत भिन्नताओं को नजरअंदाज करते हुए शादी करने का मन बना लिया. परिवार से छुपाकर मुलाकातें जारी रहीं. बताया जाता है कि महिला सिपाही ने भी शादी का वादा किया था. साहित्य को लगा कि उसकी जिंदगी को नई दिशा मिल जाएगी.
अचानक बदल गया फैसला
लेकिन हालात अचानक बदल गए. महिला सिपाही ने शादी से इनकार कर दिया. परिवार का शक है कि जातीय भिन्नता और सामाजिक दबाव इसके पीछे बड़ी वजह रहे. साहित्य इस इनकार को स्वीकार नहीं कर सका. दो दिन पहले वह प्रेमिका से मिलने इटावा गया. वहां मुलाकात के बाद वह झांसी लौटा और बिजौली इलाके में रहने वाले उसके पिता से भी बातचीत की. लेकिन इस मुलाकात का नतीजा क्या रहा, यह साफ नहीं हो सका.
मौत से पहले की आखिरी घड़ियां
पिता महेंद्र खरे बताते हैं कि बेटा घर लौटा तो बेचैन दिख रहा था. थोड़ी देर बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी. जब पूछा गया तो पता चला कि उसने जहर खा लिया है. परिवार घबराया और आनन-फानन में उसे झांसी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. लेकिन इलाज के दौरान साहित्य ने दम तोड़ दिया.
परिजनों का दर्द
साहित्य की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. पिता महेंद्र ने बताया कि मरने वाला हमारा इकलौता बेटा था. पहली शादी टूट गई थी, इसलिए वह दूसरी जगह शादी करना चाहता था. लड़की ने पहले शादी का आश्वासन दिया लेकिन बाद में इनकार कर दिया. वह इटावा से लौटकर लड़की के पिता से भी मिला था. वहीं से आने के बाद उसने जहर खा लिया. परिजनों का मानना है कि जातीय भिन्नता और सामाजिक दबाव ने बेटे की जिंदगी ले ली. उन्होंने जांच की मांग की है ताकि सच्चाई सामने आ सके.
पुलिस की भूमिका
नवाबाद थाना क्षेत्र के विश्व विद्यालय चौकी प्रभारी सुशील कुमार ने बताया कि घटना की सूचना उन्हें मिली थी कि युवक ने विषाक्त खा लिया था. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. अभी तक परिजनों की ओर से किसी पर लिखित शिकायत नहीं मिली है. शिकायत मिलती है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी.
प्रमोद कुमार गौतम