एक तरफ संसद में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा हो रही है तो वहीं खुद पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में लगभग 100 एकड़ में फैले उदय प्रताप कॉलेज की जमीन पर यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के दावे का मामला सामने आया है. हालांकि ये दावा 6 साल पहले ही किया गया था, जिसका जवाब भी कॉलेज की तरफ से उसी वक्त दे दिया गया था. लेकिन वक्फ बिल पर संसद में बहस के दौरान सुन्नी बोर्ड का यह पुराना दावा चर्चा का विषय बन गया है.
वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में चर्चा के बाद उम्मीद है कि यह बिल 2025 बजट सत्र में पेश होगा, लेकिन इससे पहले ही वाराणसी से वक्फ से जुड़ा एक नया मामला सामने आया है. वाराणसी के भोजूबीर इलाके में लगभग 100 एकड़ में फैले यूपी कॉलेज पर यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने छह साल पहले वक्फ प्रॉपर्टी होने का दावा किया था. 115 साल पुराने इस स्वशासी महाविद्यालय को 6 दिसंबर 2018 को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लखनऊ के सहायक सचिव आले अतीक ने वक्फ एक्ट 1995 के तहत नोटिस भेजा था.
वक्फ की संपत्ति का दावा
भोजूबीर तहसील सदर के रहने वाले वसीम अहमद खान ने रजिस्ट्री पत्र भेजकर ये बताया कि यूपी कॉलेज छोटी मस्जिद नवाब टोंक की संपत्ति है जिसे नवाब साहब ने छोटी मस्जिद को वक्फ कर दिया था. लिहाजा ये वक्फ की संपत्ति है और इसे नियंत्रण में लिया जाना चाहिए. अगर 15 दिन के अंदर कॉलेज प्रबंधन की तरफ से अगर कोई जवाब नहीं दिया गया तो आपकी आपत्ति फिर नहीं सुनी जाएगी. इस पर जवाब देते हुए यूपी कॉलेज शिक्षा समिति के तत्कालीन सचिव यूएन सिन्हा ने 21 दिसंबर को कहा था कि उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना 1909 में चैरिटेबल एंडाउमेंट एक्ट के तहत हुआ था.
'यह जमीन एंडाउमेंट ट्रस्ट की है'
इस पूरे मामले पर उदय प्रताप कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. डीके सिंह ने बताया कि यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से यूपी कॉलेज में मौजूद एक मजार की तरफ से एक नोटिस भिजवाई गई थी कि यूपी कॉलेज की जमीन यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की है, जिसपर तत्कालीन सचिव ने जवाब भी भेज दिया था कि यह जमीन एंडाउमेंट ट्रस्ट की है. न तो जमीन खरीदी जा सकती है और न ही बेची जा सकती है और किसी भी प्रकार का मालिकाना हक भी है तो समाप्त हो जाता है. यह किसी अवांछनीय तत्व की हरकत है जो इस जमीन को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जमीन बता रहा है.
उन्होंने बताया कि जवाब दे देने के बाद से ही बोर्ड की तरफ से किसी भी तरह का आगे पत्र व्यवहार नहीं किया गया था. लेकिन इधर बीच वे कुछ निर्माण कार्य मस्जिद में कराना चाहते थे, जिसपर हमने एक्शन लिया और निर्माण सामग्री भी पुलिस के सहयोग से हटवा दी था. उन्होंने बताया कि 2022 में पुलिस को भी सूचित कर दिया था कि कोई भी निर्माण कार्य नहीं हो सकता है. प्रिंसिपल प्रो. डीके सिंह ने बताया कि मजार की बिजली भी कटवा दी क्योंकि मजार पर बिजली कॉलेज से ही अवैध रूप से चोरी करके जलाई जाती थी. उन्होंने बताया कि बोर्ड ने उस वक्त नोटिस भेजकर प्रयास किया था, लेकिन तत्कालीन प्राचार्य और सचिव ने सक्रियता से इसका जवाब दिया था.
पिछले साल वसीम अहमद खान का हो गया था निधन
दावा करने वाले वाराणसी के भोजूबीर के रहने वाले वसीम अहमद खान का पिछले साल 75 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया था. 2022 में वसीम अहमद ने वक्फ बोर्ड को ये भी बता दिया था कि उनकी तबियत ठीक नहीं रहती. लिहाजा वो इस मामले की पैरवी नहीं कर सकते. बताया जाता है कि 1857 के गदर में टोंक के नवाब को अंग्रेजों ने यहां नजरबंद किया था. उनके लोग उनकी वजह से यहां बस गए थे और नवाब साहब ने अपने लोगों के लिए बड़ी मस्जिद और छोटी मस्जिद बनवाई थी. यूपी कॉलेज के परिसर में छोटी मस्जिद है.
रोशन जायसवाल