उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. सभी 84 पक्के घाट पहले ही डूब चुके हैं. यहां घाटों का आपसी संपर्क भी टूट गया है. वहीं सभी घाटों पर होने वाली गंगा आरती का स्थल भी बदलकर ऊंचाई पर कर दिया गया है. सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना तटवर्ती इलाकों में बसे लोगों और नाविकों को करना पड़ रहा है.
नावकों और लोगों को आए दिन अपने साजो समान के साथ ऊपर की ओर विस्थापित होना पड़ रहा है. चाहे बात गंगा आरती की हो या फिर घाट के किनारे अस्थाई दुकानदारों की या चौकियों पर पूजा पाठ कराने वाले पंडों की बात करें, सभी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां गंगा का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि पक्के घाट डूब चुके हैं.
मुख्य पर्यटन का केंद्र नमो घाट जहां पर नमस्ते का विशालकाय स्ट्रक्चर मौजूद है, वहां से कुछ ही फीट पानी नीचे रह गया है. अगर आगे भी गंगा का जलस्तर बढ़ता है तो यहां भी पानी पहुंच जाएगा. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा गंगा घाट को निहारने के लिए आने वाले पर्यटकों और उनको बोटिंग कराने वाले नाविकों को उठाना पड़ रहा है, क्योंकि बाढ़ के चलते पहले से काफी कम संख्या में लोग घाट पर पहुंच रहे हैं.
यह भी पढ़ें: MP में बड़ा हादसा: हरिद्वार से 500 Km पैदल चलकर अपने जिले तक आ गए थे कांवड़िये, लेकिन नहीं चढ़ा पाए गंगाजल
वहीं छोटी चप्पू वाली नाव पर लगे प्रतिबंध के चलते नाविकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. नाविकों की मानें तो अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में नौका संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी और अगले तीन महीने तक बाढ़ की वजह से यह रोक जारी रहेगी. केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट की मानें तो गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु से लगभग 6 मीटर तो खतरे के निशान से 7 मीटर नीचे है.
रोशन जायसवाल