देवरिया जिले में होने वाला एक बड़ा अपहरण, यूपी एसटीएफ की तत्परता से समय रहते टल गया. एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए सलेमपुर इलाके से किडनैपिंग की साजिश रच रहे गैंग लीडर हिमांशु यादव और उसके दो साथियों- मंजीत यादव और नितेश यादव को गिरफ्तार कर लिया. वहीं, गैंग के पांच और सदस्य अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए.
गैंग लीडर हिमांशु यादव के खिलाफ गाजीपुर और देवरिया में पहले से ही 13 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिससे उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि का अंदाजा लगाया जा सकता है.
एसटीएफ की पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह गैंग देवरिया के पड़री तिवारी गांव के रहने वाले राजकमल तिवारी का अपहरण कर 5 करोड़ रुपये की फिरौती वसूलने की तैयारी में था. राजकमल तिवारी उसी दिन डिफेंडर गाड़ी से एक शादी समारोह में जाने वाले थे और गैंग इसी दौरान उनका अपहरण कर उन्हें नेपाल ले जाने वाला था. फिरौती की रकम भी नेपाल में ही ली जानी थी, ताकि पुलिस और स्थानीय एजेंसियों की पकड़ से बचा जा सके.
राजकमल के बाद होटल मालिक को था निशाना
पूछताछ में यह भी सामने आया कि गैंग की अगली टारगेट लिस्ट में अन्नपूर्णा होटल के मालिक अरविंद तिवारी का नाम था. पहली फिरौती की रकम हाथ लगने के बाद अरविंद तिवारी का अपहरण कर दूसरी बड़ी वसूली की योजना बनाई गई थी. यह पूरा गैंग सुनियोजित तरीके से इलाके में सक्रिय था. गैंग को स्थानीय मदद भी मिल रही थी.
प्रदीप यादव नाम का व्यक्ति अपने फार्महाउस पर इन बदमाशों को शरण देता था और वहीं उनके खाने-पीने का इंतजाम भी रहता था. दूसरी ओर, सूरज गौड़ ने एक मुखबिर को राजकमल तिवारी के पीछे लगा रखा था, जो उनकी हर गतिविधि की जानकारी गैंग तक पहुंचा रहा था. इस साजिश में अंकित सर्वेश उर्फ गोलू और पंकज यादव भी शामिल थे.
फिरौती की रकम का बंटवारा तय
पूरी प्लानिंग के तहत अपहरण से मिलने वाली रकम दो हिस्सों में बंटनी थी. 5 करोड़ में से आधी रकम यानी 2.5 करोड़ रुपये मुखबिरी करने वाले के हिस्से में जानी थी, जबकि बाकी आधा हिस्सा अपहरण की पूरी साजिश में शामिल बदमाशों में बांटा जाना था. लेकिन एसटीएफ की तेजी से की गई कार्रवाई ने इस बड़े अपहरण को होने से रोक दिया. फिलहाल एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार तीन बदमाशों से पूछताछ जारी है और फरार पांच अन्य आरोपियों की तलाश में टीमें दबिश दे रही हैं.
संतोष शर्मा