उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में 29 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने वाले बिजली कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है. मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर हड़ताल को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.
वहीं, पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने सभी वितरण कंपनियों को परामर्श जारी कर कहा है कि बिजली आपूर्ति में किसी भी प्रकार की बाधा डालने पर कड़ी विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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कार्मिकों को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और सरकार के निर्णय का पालन करें. परामर्श में कहा गया है कि कार्य बहिष्कार या अन्य विरोध प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों की गतिविधियों को उनकी व्यक्तिगत फाइल में दर्ज किया जाएगा, जिससे उनकी पदोन्नति और अन्य लाभ प्रभावित होंगे.
सरकार ने यह भी निर्देश दिए हैं कि किसी भी सरकारी कार्यालय में कार्य बहिष्कार, धरना या प्रदर्शन न हो और किसी अन्य कर्मचारी को इसके लिए प्रेरित भी न किया जाए. अशांति की कोई भी स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए यह परामर्श कार्रवाई हेतु पर्याप्त नोटिस माना जाएगा.
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पावर कॉरपोरेशन ने यह भी कहा है कि संघर्ष समिति पहले भी अवैध मांगों के लिए कर्मचारियों को भड़का कर हड़ताल करवा चुकी है, जिससे जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. उधर, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने निजीकरण प्रक्रिया पर सवाल उठाते उठाया है और लगातार धरना प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं.
आशीष श्रीवास्तव