उत्तर प्रदेश के लोनी से भारतीय जनता पार्टी के विधायक नंद किशोर गुर्जन ने अफसरशाही को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि कार्यकर्ता की नहीं सुनी जा रही है, जनता का काम नहीं हो रहा है. समाजवादी पार्टी की मानसिकता के अधिकारी जो उस समय मलाईदार पद में रहे, उन्होंने तय कर लिया था कि किसी भी तरह बीजेपी हारनी चाहिए. वोटिंग लिस्ट में भी गड़बड़ी है.
गुर्जर ने आगे कहा,'एक बहुत बड़ा बदलाव होगा. किसी भी अधिकारी के बारे में सभी को मालूम होता है कि वह ईमानदार है कि बेईमान. उसका परसेप्शन उसके आते ही बन जाता है. अगर कोई अधिकारी काम नहीं करता है और विधायक यह बात कह रहा है, उसके पास शिकायतें आई हैं. लोगों ने कहा कि मुझसे इतने पैसे लिए गए. या कोई चिट्टी मिली है और उस आधार पर विधायक ने कोई चिट्ठी लिख दी या कह दिया तो उस अधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए. इसमें कौन सी बड़ी बात है.'
किसी के साथ नहीं है झगड़ा
मान लिया कोई डीजीपी है और उसके पास सिपाही की शिकायत आती है तो हटाने के लिए क्या प्रमाण चाहिए. डीजीपी तुरंत उसे सस्पेंड करके जेल भेज देगा. जब विधायक का प्रोटोकॉल चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी से भी बड़ा है तो विधायक कुछ कह रहा है तो वह अपने इलाके का जिम्मेदार है. अगर प्रतिनिधि कोई बात कहेगा तो बिना सबूत के तो नहीं कह देगा. उसका किसी के साथ कोई झगड़ा थोड़ी है. उस बात को मानना चाहिए. कार्रवाई होनी चाहिए. अगर सबूत के लिए कहा भी गया है तो सबूत कोर्ट के में एक एविडेंस होता है. ऐसे मामलों में तो तुरंत गिरफ्तारी करके एनएसए लगाना चाहिए. 10 से 20 अधिकारियों पर अगर एनएसए लग जाए तो कार्यकर्ताओं की जो भी दिक्कतें हैं.
मेरठ की घटना का जिक्र
जैसे मेरठ की एक घटना हुई. दो घंटे तक सीईओ ने अपने पैरों पर बैठाए रखा. कहा कि माफी मांगों तो छोड़ दूंगा. गाजियाबाद में इसी तरह से कई घटनाएं हुईं. जनप्रतिनिधियों ने इन बातों को ऊपर पहुंचाया. तब अधिकारियों को सिर्फ लाइन हाजिर कर दिया गया. यह पर्याप्त नहीं है. कोई भगवान से गुस्ताखी कर रहा है नौकर. टैक्स से ही तो सैलरी मिलती है.
41 में से जीती सिर्फ 71सीटें
बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों वाला घाव अभी भरा नहीं है. 14 की 71 सीटों के दस साल बाद 24 में अगर मोदी की लहर के बाद भी यूपी में सीटों का आंकडा 33 पर आ टिके तो ये बीजेपी के लिए जाहिर तौर पर चिंता की बात है. और अब जरा इस हलचल को देखिए. सीएम योगी के घर विधायकों की कतार लगी है. लगातार सीएम योगी विधायकों से मुलाकात कर रहे हैं. जोन वाइज ये मुलाकात हो रही है. क्या इन मुलाकातों की नींव डिप्टी सीएम केशव मौर्य के उस बयानों से पडी, जिसमें उन्होंनें कहा था कि मेरे दरवाजे हर वक्त कार्यकर्ताओं के लिए खुले है.
मुलाकात कर सुनी परेशानी
क्या योगी ने ये कहकर पार्टी के भीतर ही विरोधी खड़े कर लिये कि हम यूपी का इस बार का चुनाव अति आत्मविश्वास से हारे लेकिन अब योगी ने ऐसा लगता है कि घर संभालना शुरू कर दिया है. सबसे पहले विधायकों से मुलाकात करके उनकी बात सुनी जा रही है. सीएम योगी 100 से ज्यादा विधायकों से मुलाकात कर चुके है विधायकों से हार की वजह पूछी जा रही है. ऐसा करके योगी विधायकों के मन की बात जानना चाहते हैं आउट इन मुलाकातों में पहली बार विधायक खुलकर नाराजगी जता रहे है.
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