संभल के चंदौसी इलाके में जारी प्राचीन बावड़ी की खुदाई का काम रोक दिया गया है. ASI के अधिकारियों ने खुदाई का काम कर रहे मजदूरों को बावड़ी की गहराई से बाहर निकलने को कहा है. क्योंकि, ASI का अनुमान है कि बावड़ी का हिस्सा कभी भी गिर सकता है और उसकी चपेट में आने से मजदूरों के साथ हादसा हो सकता है.
ASI के अधिकारी राजेश कुमार मीणा ने मजदूरों से कहा है कि बावड़ी के अंदर की दीवारें काफी कमजोर हैं, वो या तो गिर सकती हैं या फिर नीचे धंस सकती हैं. ऐसे में बावड़ी के अंदर खतरा बना हुआ है. इसलिए आज दूसरी मंजिल के अंदर खुदाई के लिए जाने से मजदूरों को मना कर दिया गया है. बावड़ी की खुदाई और साफ-सफाई का 14वां दिन है.
चंदौसी में राजा आत्मा राम की ऐतिहासिक बावड़ी की खुदाई के 13वें दिन यानि कल 25 फीट की गहराई पर दूसरी मंजिल का गेट सामने आया था. इसी के साथ ASI टीम ने सर्वे किया तो कुछ खतरे के संकेत भी नजर आए थे. जिसपर ASI ने इसे खतरनाक बताते हुए मजदूरों को अंदर जाने से रोक दिया है, क्योंकि बावड़ी की दीवारें कमजोर हैं, वे कभी भी धंस या गिर सकती हैं. इसके अलावा बावड़ी के अंदर ऑक्सीजन की कमी के साथ-साथ गर्मी भी महसूस हो रही है. ऐसे में काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है.
बावड़ी की खुदाई का काम रोका गया
गौरतलब हो कि बीते दिन जब ASI की टीम जब सर्वे कर बाहर निकली तो मजदूरों को दूसरी मंजिल में अंदर ना जाने को कहा. इस दौरान मलबा हटा रहे मजदूर ने बताया कि बावड़ी की दूसरी मंजिल में नीचे रेत दिखाई दी है. दीवारें टूट रही हैं. मंजिल धंसने का खतरा बना हुआ है. नीचे ऑक्सीजन की भी कमी है. अंदर जाने से गर्मी लगने लगती है, जो किसी दुर्घटना का कारण बन सकती है.
हालातों को देखते हुए ASI ने साफ कहा है कि बावड़ी के अंदर जाने में अब खतरा है. हालांकि, कल बावड़ी की स्थिति को देखते हुए और अधिक सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन आज बावड़ी में प्रवेश वर्जित कर दिया गया है. अब ASI अपने लोगों से आगे का काम कराएगी.
संभल की प्राचीन बावड़ी
साल 1720 में राजा आत्माराम द्वारा ये बावड़ी बनवाई गई थी. ये बावड़ी लंबे से गुमनाम थी. इसपर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया था. ऊपर मलबे का ढेर जम गया था. अब इसकी खुदाई में नए-नए खुलासे हो रहे हैं. खुदाई में सामने आए लेंटर की हालत क्षतिग्रस्त है. मोहल्ला लक्ष्मणगंज में मिली इस बावड़ी में 25 फीट तक खुदाई हो चुकी है.
वहीं, ASI टीम ने बावड़ी में घुसकर सर्वे का काम किया है. कहा जा रहा है कि बावड़ी का इस्तेमाल पहले पानी स्टोर करने के लिए और सैनिकों के आराम करने के लिए किया जाता था. बावड़ी की दीवारों में अभी भी नमी है. बावड़ी की बनावट पहले के जमाने की है.
अनूप कुमार