प्रोटीन सप्लीमेंट, देसी घी और जड़ी-बूटियों वाला पानी... 8 करोड़ का मुर्रा 'विधायक' बना चैंपियन, 60 लाख रुपए है सालाना इनकम

विशाल कद, चमकदार काली त्वचा और राजसी चाल वाला 8 करोड़ का मुर्रा ‘विधायक’ मेरठ के किसान मेले का सितारा बना. पद्मश्री किसान नरेंद्र सिंह का यह दमदार भैंसा सिर्फ नाम नहीं, काम से भी लाजवाब है. यह सालाना 60 लाख की कमाई वाला है. रोजाना दूध, ड्राई फ्रूट और देसी घी की मालिश से इसकी काया चमकदार बनाई जाती है. मेले में इसका रुतबा सुपरस्टार जैसा दिखा.

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मेरठ में 8 करोड़ के मुर्रा भैंस ने सबको अपनी ओर आकर्षित किया (Photo:ITG) मेरठ में 8 करोड़ के मुर्रा भैंस ने सबको अपनी ओर आकर्षित किया (Photo:ITG)

उस्मान चौधरी

  • मेरठ,
  • 10 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST

विशाल शरीर, काली चमकदार त्वचा और राजसी चाल...नाम है 'विधायक', कीमत पूरी 8 करोड़ रुपये. हरियाणा से आया एक ऐसा भैंसा जो आईआईएमटी विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेले में इस बार आकर्षण का केंद्र बना. मेले में आए हर शख्स की निगाहें उसी पर टिक गईं.

यह मुर्रा नस्ल का भैंसा हरियाणा के मशहूर पशुपालक और पद्मश्री सम्मानित किसान नरेंद्र सिंह का है, जो वर्षों से पशुपालन में कार्य कर रहे हैं. नरेंद्र सिंह का कहना है, विधायक सिर्फ नाम से नहीं, काम से भी भारी है. इसकी पहचान अब देशभर में हो चुकी है.

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मेले में छा गया 'विधायक'

मेले के पहले ही दिन जब नरेंद्र सिंह अपने 'विधायक' को लेकर परिसर में पहुंचे, तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा. कैमरों की फ्लैश लाइटें लगातार चलती रहीं. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, सब उसके साथ फोटो खिंचवाने को बेताब थे. मेले के आयोजकों के मुताबिक, इस बार देश के अलग-अलग राज्यों हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश से किसान अपने-अपने उम्दा नस्ल के पशु लेकर आए थे. मगर जब 'विधायक' मंच पर आया, तो बाकी सभी भैंसे मानो उसके आगे फीके पड़ गए. निर्णायक मंडल ने जब पशुओं की सेहत, आकार, चाल और प्रजनन क्षमता का आकलन किया, तो 'विधायक' ने सभी को पछाड़ते हुए ओवरऑल चैंपियन का खिताब जीत लिया.

भैंसे की कमाई भी किसी बिजनेसमैन से कम नहीं

'विधायक' की लोकप्रियता केवल उसकी कद-काठी या सौंदर्य तक सीमित नहीं है, बल्कि उसकी कमाई भी चौंकाने वाली है. नरेंद्र सिंह बताते हैं कि भैंसे के सीमन (वीर्य) की मांग देश के कई राज्यों में है. इसकी गुणवत्ता इतनी बेहतरीन है कि एक साल में करीब 60 लाख रुपये की आमदनी सिर्फ सीमन सेल से होती है. हरियाणा, पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के कई डेयरी फार्म 'विधायक' की नस्ल को अपने झुंड में शामिल करने के लिए अग्रिम बुकिंग करवाते हैं. यही वजह है कि उसकी कीमत करोड़ों में आंकी जाती है.

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'विधायक' की फिटनेस का राज

8 करोड़ की कीमत और सालाना 60 लाख की कमाई वाला 'विधायक' किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं . नरेंद्र सिंह बताते हैं कि उसके रखरखाव में भी काफी खर्च होता है. भैंसे के लिए रोज़ाना करीब 20 लीटर दूध, किलो भर ड्राई फ्रूट, हरी चारा, मकई, और प्रोटीन सप्लीमेंट का इंतजाम किया जाता है. उसके नहाने के लिए विशेष जड़ी-बूटियों वाला पानी और सर्दी-गर्मी के हिसाब से खास रूम टेंपरेचर बनाए रखने की व्यवस्था है. उसकी मालिश के लिए देसी घी और सरसों के तेल का उपयोग होता है, जिससे उसकी त्वचा की चमक और मांसपेशियों की मजबूती बनी रहती है.

देशभर में जीत चुका है कई प्रतियोगिताएं

'विधायक' अब तक देशभर में दर्जनों प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुका है और ज्यादातर में विजेता रहा है. जयपुर, करनाल, हिसार, लुधियाना और भोपाल के कृषि मेले हों या दिल्ली का राष्ट्रीय पशुधन प्रदर्शन  हर जगह उसने अपने दमखम से लोगों को प्रभावित किया है. उसकी जीत की लिस्ट इतनी लंबी है कि नरेंद्र सिंह ने उसके लिए ट्रॉफी रूम बना रखा है, जहां सैकड़ों अवॉर्ड और मेडल सजे हैं.

कृषि वैज्ञानिक भी हुए प्रभावित

मेले में मौजूद कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि मुर्रा नस्ल के भैंसे वैसे तो हरियाणा और पश्चिमी यूपी में आम हैं, लेकिन 'विधायक' की गुणवत्ता असाधारण है. इसकी नस्ल में उच्च प्रजनन क्षमता, दूध की मात्रा बढ़ाने की क्षमता, और आनुवंशिक श्रेष्ठता पाई जाती है. एक विशेषज्ञ ने कहा, ऐसे पशु सिर्फ गर्व का विषय नहीं, बल्कि देश के डेयरी उद्योग के लिए सोने की खान हैं.

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पशुपालकों के लिए बनी प्रेरणा

'विधायक' की लोकप्रियता ने इस बार किसान मेले की पूरी दिशा ही बदल दी. जो लोग नई खेती तकनीकों के बारे में जानने आए थे, वे भी इस भैंसे को देखने के बाद पशुपालन की ओर आकर्षित हुए. कई युवाओं ने नरेंद्र सिंह से इसके रखरखाव, प्रशिक्षण और सीमन बिजनेस के बारे में विस्तार से जानकारी ली. नरेंद्र सिंह का कहना है, आज पशुपालन केवल खेती का सहायक व्यवसाय नहीं, बल्कि करोड़ों का उद्योग बन चुका है. बस समर्पण और ज्ञान चाहिए.

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