भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर की मदद मांगी है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) टेक्नोलॉजी के जरिए बिना जमीन खोदे ही वस्तुओं की पहचान हो जाएगी. IIT कानपुर की टीम को लीड करने वाले हेड ऑफ अर्थ एंड साइंस डिपार्टमेंट प्रोफेसर जावेद एन मलिक ने आजतक से बातचीत की है. मलिका का कहना था कि कोर्ट के आदेश के बाद एएसआई की टीम के साथ जीपीआर टेक्नोलॉजी के माध्यम से सर्वे करने के लिए टीम जाएगी.
बता दें कि कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में बगैर कोई छेड़छाड़ किए पुरातात्विक महत्व की पड़ताल करने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद एएसआई ने रडार और जीपीआर तकनीक की मदद लेने का फैसला किया है. आर्कियोलॉजिकल खोज अभियानों में शामिल रहे आईआईटी के प्रोफेसर जावेद मलिक ने बताया कि जीपीआर यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार ऐसी तकनीक है, जिससे किसी भी वस्तु या ढांचे को बगैर छेड़े हुए उसके नीचे कंक्रीट धातु,पाइप, केबल या अन्य वस्तुओं की पहचान की जा सकती है.
इस तकनीक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन की मदद से ऐसे सिग्नल सिग्नल मिलते हैं जो यह बताने में कारगर साबित होते हैं कि जमीन के नीचे किस प्रकार और आकार की वस्तु या ढांचा है. प्रोफेसर जावेद का कहना है कि टीम ज्ञानवापी परिसर में जाएगी और जो उपकरण उनके पास मौजूद हैं, उसकी मदद से आसानी से 8 से 10 मीटर तक वस्तु का पता लगाया जा सकता है. 2D और 3D प्रोफाइल्स की जाएंगी, यह टेक्नोलॉजी हमें अंदर मौजूद वस्तु का आकार पता लगाने में मदद करेगी, जिसके हिसाब से इंटरप्रिटेशन की जाएगी और इस सर्वे के लिए 8 दिन का समय चाहिए होगा.
3 अगस्त को फैसला सुनाएगा कोर्ट
बताते चलें कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे से संबंधित मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना ऑर्डर रिजर्व कर लिया है. इस मामले में 3 अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा. तब तक ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर रोक रहेगी. दरअसल, बुधवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सुनवाई खत्म होने तक मस्जिद का सर्वेक्षण शुरू न करने को कहा था. अब हाईकोर्ट के अगले फैसले तक ये आदेश जारी रहेगा.
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गुरुवार को सुनवाई के दौरान एएसजीआई ने कोर्ट में कहा कि एएसआई 100 वर्ष से अधिक पुराना है. एएसआई स्मारकों की सुरक्षा, पुरावशेषों की सुरक्षा और उनके संरक्षण का काम करता है. यह देश के भीतर पुरातात्विक गतिविधियों पर भी नज़र रखता है. एएसआई ने कहा, इसे अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन शब्दकोश का अर्थ खुदाई है. इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि उत्खनन के बिना खुदाई संभव नहीं? जवाब में एएसआई अधिकारी ने कहा कि पुरातात्विक प्रकृति की पुरावशेषों को खोजने का प्रयास उत्खनन है या नहीं.
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जिला कोर्ट ने दिया था ASI सर्वे का आदेश
पिछले दिनों जिला जज एके विश्वेश ने शुक्रवार को मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था. ASI को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत को सौंपनी थी. इसी आदेश के बाद ASI की टीम सोमवार को ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने को कहा था. इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
सिमर चावला