सपा प्रमुख ने दीये पर खर्च नहीं करने की दी सलाह, BJP बोली- वह अखिलेश नहीं एंथनी हैं

अखिलेश यादव ने सपा कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दीपोत्सव में दीये और मोमबत्ती पर होने वाले खर्च को गैरजरूरी बताया था. उन्होंने क्रिसमस से सीखने की सलाह दी थी, जिस दौरान दुनिया भर में शहरों को लाइटिंग से सजाया जाता है.

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 अखिलेश यादव ने दिवाली पर दीयों पर खर्च न करने का सुझाव देकर विवाद खड़ा कर दिया. (Photo: X/@SamajwadiParty) अखिलेश यादव ने दिवाली पर दीयों पर खर्च न करने का सुझाव देकर विवाद खड़ा कर दिया. (Photo: X/@SamajwadiParty)

aajtak.in

  • लखनऊ ,
  • 19 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अयोध्या दीपोत्सव पर अपनी टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया, जिसमें उन्होंने रोशनी के इस त्योहार की तुलना क्रिसमस से की. दरअसल, अखिलेश लखनऊ सपा कार्यालय में शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. इसी दौरान एक मीडियाकर्मी ने उनसे कहा कि अयोध्या दीपोत्सव में इस बार मोमबत्तियां जलाई जा रही हैं, दीये की संख्या कम हो गई है.

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इस पर सपा प्रमुख ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'मैं कोई सुझाव नहीं देना चाहता, लेकिन भगवान राम के नाम पर मैं एक सुझाव दूंगा. ​दुनिया भर में, क्रिसमस के दौरान सभी शहर रोशन हो जाते हैं, और यह महीनों तक चलता है. हमें उनसे सीखना चाहिए. दीयों और मोमबत्तियों पर पैसे क्यों खर्च करना और इतना दिमाग क्यों लगाना? हम इस सरकार से क्या उम्मीद कर सकते हैं? इसे हटा देना चाहिए. हम (सपा की सरकार बनने पर) और सुंदर रोशनी की व्यवस्था (दीपोत्सव पर) कराएंगे.'

दीयों की कतारों ने अखिलेश का दिल जला दिया

उनकी टिप्पणी पर कई भाजपा नेताओं और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा, 'जरा सुनिए, यूपी के ये पूर्व मुख्यमंत्री दिवाली के मौके पर क्रिसमस की तारीफ कर रहे हैं. दीयों की कतारों ने उनका दिल इतना जला दिया है कि वो एक अरब हिंदुओं को उपदेश दे रहे हैं कि दीयों और मोमबत्तियों पर पैसा बर्बाद मत करो, क्रिसमस से सीखो.'

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विहिप प्रवक्ता ने अखिलेश यादव पर भारतीय संस्कृति की बजाय विदेशी परंपराओं का महिमामंडन करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'जिहादियों और धर्मांतरण गिरोहों के तथाकथित मसीहा, जो खुद को यादव कहते हैं, हिंदुओं से ज्यादा ईसाइयों से प्रेम करते हैं. वह देशी त्योहारों से ज्यादा विदेशी त्योहारों का महिमामंडन करते हैं.' 

विनोद बंसल ने आगे कहा, 'जब ईसाई धर्म का अस्तित्व भी नहीं था, दिवाली उसके पहले से रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाई जाती रही है. अब, हिंदू समाज को ईसाइयों से सीखने के लिए कहा जा रहा है. भगवान राम और भगवान कृष्ण की पवित्र भूमि पर, ऐसे नेताओं के संरक्षण में अवैध धर्मांतरण फल-फूल रहा है, जिन्होंने अपने मंत्रिमंडलों को अपराधियों और चरमपंथियों से भर दिया था.'

इसीलिए सपा को असमाजवादी पार्टी कहते हैं

उन्होंने आगे कहा, 'अखिलेश यादव के लिए तो क्रिसमस का विदेशी त्योहार, जो अभी दो महीने दूर है, आ ही गया लगता है. लेकिन दिवाली जो बस दो दिन दूर है- और हमारे कुम्हार भाइयों के बनाए दीये- पीडीए के पाखंडियों को परेशान कर रहे हैं. शर्म करो टीपू! अयोध्या की रौनक और हिंदुओं की खुशी से इतनी जलन ठीक नहीं है. शायद इसीलिए लोग आपकी पार्टी को समाजवादी पार्टी नहीं, असमाजवादी पार्टी (समाज विरोधी पार्टी) कहते हैं!'

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अखिलेश को एंथनी या अकबर कहना चाहिए

मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने भी अखिलेश यादव पर निशाना साधा. सारंग ने कहा, 'अखिलेश नाम का व्यक्ति ऐसी बातें कैसे कह सकता है? मुझे लगता है कि उन्हें एंथनी या अकबर कहना चाहिए. मुझे हैरानी है कि कोई दिवाली की पूजा और दीये जलाने का विरोध कैसे कर सकता है. लगता है अखिलेश यादव और उनके परिवार ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है- इसकी जांच होनी चाहिए.'

कुम्हार समुदाय का अपमान कर रहे अखिलेश

मंत्री विश्वास सारंग ने आगे कहा, 'जिस परिवार ने राम भक्तों पर गोली चलाने का आदेश दिया, उसे राम भक्तों से दिक्कत तो होगी ही. अखिलेश को जवाब देना चाहिए- क्या वो दिवाली पर पूजा नहीं करेंगे? क्या वो गोवर्धन पूजा पर दीये नहीं जलाएंगे?' अखिलेश यादव की टिप्पणी को 'शर्मनाक' बताते हुए सारंग ने कहा, 'चांदी का चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुए अखिलेश, मेहनती प्रजापति समुदाय द्वारा बनाए गए दीयों पर उंगली उठा रहे हैं. यह उन कारीगरों का अपमान है जो दिवाली के दौरान हर घर में रोशनी लाते हैं.'

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