यूपी के देवरिया में एक अनोखी बारात देखने को मिली, जिसमें महंगी गाड़ियों की जगह 30 ई-रिक्शे शामिल थे. दिहाड़ी मजदूर दूल्हे की आर्थिक परेशानी को देखते हुए उसके दोस्तों ने यह जिम्मा उठाया. 100 से अधिक बाराती जब ई-रिक्शा में सवार होकर निकले, तो यह बारात आकर्षण का केंद्र बन गई. यह सादगी और दोस्ती की मिसाल है.
दोस्तों ने उठाया जिम्मा, ऐसे निकली 30 ई-रिक्शा वाली बारात
आज के समाज में जहां लोग शादी में लग्जरी गाड़ियों की लंबी कतार लगाकर लाखों रुपये खर्च करते हैं, वहीं देवरिया में दुर्गेश प्रसाद ने एक अनोखी मिसाल पेश की. स्वर्गीय राम अवतार प्रसाद के बेटे दुर्गेश दिहाड़ी मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं. डुमरिया लाला गांव की शिल्पी से उनकी शादी तय थी. उन्होंने अपनी हैसियत के अनुसार सारी व्यवस्था की, लेकिन बारातियों के लिए गाड़ी का इंतजाम करना मुश्किल हो गया था. इस पर उनके दोस्तों ने आगे आकर 30 ई-रिक्शा का जुगाड़ किया.
आकर्षण का केंद्र बनी सादगी भरी बारात
दुर्गेश के 100 से अधिक बाराती जब 30 ई-रिक्शा में सवार होकर डुमरिया लाला गांव के लिए निकले, तो यह नजारा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया. रास्ते में जिसकी भी नजर इस बारात पर पड़ी, वह एकटक देखता ही रह गया.
यह अनूठा प्रयास सादगी और एक-दूसरे की मदद करने की भावना को दर्शाता है. जब बारात दुल्हन शिल्पी के दरवाजे पर पहुंची, तो लड़की पक्ष ने भी बड़े उत्साह से उनका स्वागत किया. द्वारपूजा, जयमाल और शादी की सभी रस्में पूरी होने के बाद अगली सुबह बारात विदा हुई.
राम प्रताप सिंह