अमरोहा के नेशनल हाईवे-9 पर हुई एक भयानक टक्कर ने चार युवा होनहारों को हमेशा के लिए खो दिया. चारों छात्र डॉक्टर बनने की राह पर थे, इंटर्नशिप कर रहे थे, और देर रात अपनी यूनिवर्सिटी लौट रहे थे. लेकिन रजबपुर थाना क्षेत्र में खड़ी एक डीसीएम से उनकी कार की जोरदार भिड़ंत ने सब कुछ खत्म कर दिया.
वह टक्कर जिसने सपने रोक दिए
घटना रात लगभग 10 बजे की है. हाईवे के सर्विस लेन पर एक डीसीएम ट्रक खड़ा था. सड़क सूनी थी, वाहनों की रफ्तार सामान्य. तभी तेजी से आ रही स्विफ्ट डिज़ायर कार डीसीएम से सीधे जा टकराई. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि आसपास के घरों में रहने वाले लोग घबराकर बाहर निकल आए. कुछ ही सेकंड में लोग मौके की ओर दौड़ पड़े लेकिन दृश्य देखकर किसी के पैरों में हिम्मत नहीं बची. कार का अगला हिस्सा बुरी तरह पिचक चुका था, दरवाजे अंदर धंस गए थे और चारों युवक उसी में फंसे हुए थे. कोई आवाज़ नहीं, कोई हरकत नहीं मंज़र किसी को भी अंदर तक झकझोर देने वाला था.
राहगीरों ने दी सूचना, पुलिस ने शुरू किया रेस्क्यू
हाईवे से गुजर रहे कुछ लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी. थोड़ी ही देर में रजबपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और राहत-बचाव शुरू किया. कट्टर से कार के दरवाजे काटे गए, ग्लास हटाया गया और बमुश्किल चारों युवकों को बाहर निकाला गया. उन्हें तुरंत सीएचसी भेजा गया, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि चारों की मौत मौके पर ही हो चुकी है.
पहचान हुई तो विश्वविद्यालय में पसरा मातम
छात्रों की पहचान दिल्ली निवासी आयुष शर्मा, त्रिपुरा निवासी सप्तऋषि दास, त्रिपुरा के ही अरनब चक्रवर्ती, और गुजरात के श्रेयस पंचोली के रूप में हुई. चारों एक निजी यूनिवर्सिटी में MBBS के 2020 बैच के छात्र थे और इन दिनों इंटर्नशिप कर रहे थे. घटना की जानकारी मिलते ही यूनिवर्सिटी प्रशासन के अधिकारी अस्पताल पहुंचे. कुलपति राजीव त्यागी ने शवों की पहचान कर परिजनों को सूचित किया. उनकी आंखों में स्तब्धता थी, शब्द टूट रहे थे, और माहौल इतना भारी कि किसी को एक-दूसरे की ओर देखने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी. यह चारों छात्र कई महीनों से इंटर्नशिप के दौरान अलग-अलग अस्पतालों में सेवाएं दे रहे थे. मरीजों से व्यवहार, इलाज में मेहनत, और अपनी पढ़ाई को लेकर उनका समर्पण सबकुछ उन्हें एक उज्ज्वल चिकित्सक बनाता दिख रहा था. लेकिन हाईवे के एक हादसे ने यह भविष्य छीन लिया.
डीसीएम कैसे खड़ी थी? जांच में जुटी पुलिस
हादसा जिस जगह हुआ, वह अतरासी चौकी के सामने सर्विस लेन है. शुरुआती जांच में यह बात सामने आई कि डीसीएम सड़क किनारे खड़ी थी, लेकिन उस पर उचित रिफ्लेक्टर या चेतावनी संकेत नहीं लगे थे. डिप्टी एसपी अभिषेक यादव ने बताया कि रात करीब 10 बजे एक डीसीएम के पीछे से कार की टक्कर हुई है. चारों युवकों की मौके पर मौत हो गई. शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. फील्ड यूनिट जांच कर रही है और अग्रिम कार्रवाई की जा रही है.
परिवारों पर टूटा पहाड़
जब चारों परिवारों को सूचना दी गई, उनके दिलों पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा. किसी मां की आंखों के सामने अपने डॉक्टर बेटे का सफेद कोट घूम रहा होगा, कोई पिता शायद आखिरी वीडियो कॉल याद कर रहा होगा, और किसी बहन को भाई की हंसी सुनाई दे रही होगी. चारों घरों में रोने की आवाज़ के अलावा कुछ नहीं. इन छात्रों ने जीवन का वह मोड़ पार कर लिया था, जहां से उनका करियर शुरू होने वाला था. उन्होंने लंबी पढ़ाई पूरी कर ली थी, इंटर्नशिप के आखिरी महीनों में थे, और कुछ ही समय बाद अपने-अपने परिवारों का सहारा बनने वाले थे. लेकिन एक रात की दुर्घटना ने सब खत्म कर दिया.
यूनिवर्सिटी में चुप्पी और साथी छात्रों में शोक
अगले दिन यूनिवर्सिटी परिसर में अजीब-सी शांति छाई रही. हॉस्टल में उनके कमरे बंद पड़े थे. टेबल पर नोट्स, स्टेथोस्कोप, आधे खुले बैग, और दीवारों पर लगे टाइम-टेबल उसी तरह पड़े थे जैसे वे छोड़कर गए थे. किसी की पसंदीदा कॉफी मग वहीं रखा हुआ था, किसी के टेबल पर परीक्षा की तैयारी की किताबें खुली थीं. दोस्तों को आज भी विश्वास नहीं हो रहा कि कल तक हंसते-बोलते दिखने वाले ये चार चेहरे अब कभी वापस नहीं आएंगे.
बी एस आर्य