'तब नेताजी को रोका गया था...', अखिलेश के गेट फांदने पर भाई ने याद दिलाया किस्सा

इतिहास के पन्नों को पलटते हुए आदित्य ने कहा कि मायावती की सरकार में नेताजी मुलायम सिंह यादव को भी एक बार लोहिया जी की मूर्ति पर माल्यार्पण करने से रोका गया था. तब उन्होंने भी गेट फांदकर माल्यार्पण किया था. अब लखनऊ में अखिलेश को रोका गया तो उन्होंने भी गेट फांदकर माल्यार्पण करके नेताजी की याद दिला दी है. 

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अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव. (फाइल फोटो) अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव. (फाइल फोटो)

अमित तिवारी

  • इटावा,
  • 12 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 4:19 PM IST

यूपी के इटावा शहर में डॉ. राम मनोहर लोहिया पार्क में गुरुवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चचेरे भाई आदित्य यादव लोहिया की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंचे. पुण्यतिथि पर उनके विचारों को याद किया. साथ ही कहा कि आजकल की पार्टियां भाई को भाई से लड़ाने का काम कर रही है. वहीं समाजवादी पार्टी आज भी लोहिया जी के विचारों पर चलकर सभी को एक करने का काम कर रही है. 

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इसके बाद उन्होंने लखनऊ में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर के गेट को फांदकर अंदर जाने की घटना पर कहा कि लखनऊ में जो हुआ वो दुखद है. श्रद्धांजलि देने से रोका जाना गलत है.

'तब उन्होंने भी गेट फांदकर माल्यार्पण किया था'

इतिहास के पन्नों को पलटते हुए आदित्य ने कहा कि मायावती की सरकार में नेताजी मुलायम सिंह यादव को भी एक बार लोहिया जी की मूर्ति पर माल्यार्पण करने से रोका गया था. तब उन्होंने भी गेट फांदकर माल्यार्पण किया था. अब लखनऊ में अखिलेश को रोका गया तो उन्होंने भी गेट फांदकर माल्यार्पण करके नेताजी की याद दिला दी है.

'उसी जोश वाले रास्ते पर चल पड़े अखिलेश यादव'

आदित्य ने कहा कि अखिलेश यादव उसी जोश वाले रास्ते पर चल पड़े हैं. समाजवादी पार्टी चुप नहीं रहने वाली है. वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर हमला बोलते हुए कहा कि वो इसलिए आरोप लगाते हैं कि वो लाइमलाइट में रह सकें. वर्तमान सरकार में वो पूरी तरह निष्क्रिय पड़े हुए हैं. सरकार उनको पूछ नहीं रही है. मुख्यमंत्री उनको अपने साथ नहीं रखे हैं. 

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'इस तरह का प्रयास सरकार को भी करना चाहिए'

वहीं, फिलिस्तीन और इजराइल के मसले पर आदित्य ने कहा कि दोनों की लड़ाई सदियों पुरानी है. अंतरराष्ट्रीय स्तर की बात हो तो पूरे देश को एक होना चाहिए. सरकार इजरायल के पक्ष में है तो सबसे पहले यह करना चाहिए कि दोनों पक्षों को किसी तरीके से एकजुट करके एक प्लेटफॉर्म पर लाए. इसकी कवायत करनी चाहिए. यूएन भी लगातार प्रयास कर रहा है. इस तरह का प्रयास भारत सरकार को भी करना चाहिए.

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