प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कफ सिरप तस्करी के किंगपिन शुभम जायसवाल के वाराणसी स्थित प्रह्लाद घाट और सिगरा के दो मकानों पर नोटिस चस्पा कर दिया है. उधर, अमित सिंह टाटा और आलोक सिंह की गिरफ्तारी के बाद अब इस सिंडिकेट की सबसे अहम और फरार कड़ी बन चुके विकास सिंह नर्वे की तलाश में यूपी एसटीएफ जुटी है. शक है कि वह भी शुभम की तरह दुबई भाग गया होगा.
कौन है विकास सिंह नर्वे, जो फरार है?
विकास सिंह नर्वे, आजमगढ़ के बरदह थानाक्षेत्र के नर्वे गांव का रहने वाला है. यह 30 साल का नौजवान है जिसने कुछ सालों में ही बड़ी संपत्ति बनाई है. लखनऊ के चर्चित अजीत सिंह हत्याकांड में सामने आए आजमगढ़ के कई सफेदपोश लोगों का यह बेहद करीबी बताया जाता है. विकास सिंह नर्वे का नाम तब चर्चा में आया जब अमित सिंह टाटा की गिरफ्तारी के बाद उसकी पूछताछ हुई.
विकास नर्वे: सिंडिकेट की अहम कड़ी
यूपी एसटीएफ ने जब गुरुवार को अमित सिंह टाटा को गिरफ्तार किया, तो उसने कुबूला कि विकास नर्वे के जरिए ही उसकी मुलाकात शुभम जायसवाल से हुई थी. शुभम ने उसे देवकृपा मेडिकल एजेंसी (धनबाद) और श्री मेडिकल्स (वाराणसी) के नाम से फर्म बनवाई और बड़ा मुनाफा दिया.
इसी तरह, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह ने भी मंगलवार को गिरफ्तारी के बाद बताया कि विकास नर्वे ने ही पहले अमित टाटा की और फिर अमित टाटा ने आलोक सिंह की मुलाकात शुभम से करवाकर सिंडिकेट से जोड़ा था.
दुबई भागने का शक, गिरफ्तारी से पहले हुआ फरार
इस कफ सिरप तस्करी रैकेट का किंगपिन शुभम जायसवाल पहले ही अपने करीबियों के साथ दुबई भाग चुका है.अमित सिंह टाटा और आलोक सिंह अब गिरफ्तार हैं. बताया जा रहा है कि विकास सिंह नर्वे भी शुभम का नाम सामने आने के बाद से ही फरार हो गया था. विकास इतना शातिर था कि अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में अपनी दादी की तेरहवीं में भी गांव नहीं पहुंचा, क्योंकि उसे डर था कि सिंडिकेट खुलने पर उसका नाम आएगा. अब एसटीएफ को शक है कि वह भी दुबई भाग गया है और उसकी तलाश में टीमें जुट गई हैं.
आगे की कार्रवाई में जुटी एसटीएफ
एसटीएफ की टीमें अब विकास सिंह नर्वे की तलाश में लगी हैं. आलोक सिंह और अमित टाटा से भी जेल में जाकर पूछताछ की जाएगी और बाद में उन्हें पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया जाएगा. इस बीच, शुभम जायसवाल के वाराणसी स्थित दोनों मकानों (प्रह्लाद घाट और सिगरा) पर ईडी ने नोटिस चस्पा किया है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की जांच भी शुरू हो सके.
संतोष शर्मा