CBI की लखनऊ यूनिट से खत्म हुई स्पेशल क्राइम ब्रांच, ACB में किया गया विलय

CBI मुख्यालय ने प्रशासनिक दक्षता और संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के उद्देश्य से लखनऊ यूनिट में बड़ा बदलाव किया है. स्पेशल क्राइम ब्रांच (SCB) को खत्म कर उसे एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) में मर्ज करने का आदेश जारी किया गया है.

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नए साल 2026 से लखनऊ CBI में सिर्फ ACB ब्रांच काम करेगी. (File Photo) नए साल 2026 से लखनऊ CBI में सिर्फ ACB ब्रांच काम करेगी. (File Photo)

संतोष शर्मा

  • लखनऊ,
  • 28 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की लखनऊ यूनिट में स्पेशल क्राइम ब्रांच (SCB) को खत्म कर दिया गया है. CBI मुख्यालय से जारी आदेश के तहत SCB लखनऊ का एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) में विलय कर दिया गया है. नए साल 2026 से लखनऊ में CBI की गतिविधियां सिर्फ ACB ब्रांच के जरिए संचालित होंगी.

आदेश में साफ किया गया है कि ‘CBI SCB Lucknow’ ब्रांच को ‘CBI ACB Lucknow’ में मर्ज कर दिया गया है और अब यह यूनिट ‘CBI ACB Lucknow’ के नाम से ही जानी जाएगी.

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CBI मुख्यालय से जारी इस आदेश के बाद लखनऊ CBI यूनिट में अब अलग से स्पेशल क्राइम ब्रांच मौजूद नहीं रहेगी. SCB में तैनात सभी CBI अधिकारी और कर्मचारी अब ACB यूनिट का हिस्सा होंगे.

आदेश के मुताबिक, विलय के बाद लखनऊ CBI यूनिट में संयुक्त निदेशक (Joint Director) रैंक के अधिकारी समेत कुल 155 कर्मियों की स्वीकृत क्षमता (Sanctioned Strength) होगी. यह पूरी यूनिट अब भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच के साथ-साथ अन्य जिम्मेदारियों को भी संभालेगी.

गौरतलब है कि स्पेशल क्राइम ब्रांच लखनऊ का गठन बाबरी मस्जिद विध्वंस प्रकरण की CBI जांच लखनऊ यूनिट को सौंपे जाने के बाद किया गया था. इसके बाद SCB ने कई हाई प्रोफाइल मामलों की जांच की.

SCB लखनऊ ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) सरकार के दौरान विधायक पुरुषोत्तम द्विवेदी से जुड़े रेप कांड की जांच की थी. इसके बाद समाजवादी पार्टी (SP) सरकार के समय बदायूं कांड की जांच भी SCB के जिम्मे रही. वहीं, भारतीय जनता पार्टी सरकार के दौरान उन्नाव रेप केस की जांच भी स्पेशल क्राइम ब्रांच ने की थी.

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हालांकि, 2025 में SCB लखनऊ को कोई नया मामला नहीं सौंपा गया. इसी के चलते अब प्रशासनिक पुनर्गठन के तहत SCB को ACB में मर्ज करने का फैसला लिया गया है.

CBI मुख्यालय के इस फैसले को लखनऊ यूनिट के प्रशासनिक ढांचे में एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे जांच एजेंसी के कामकाज को अधिक सुव्यवस्थित और प्रभावी बनाने की कोशिश की जा रही है.

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