Varanasi: BHU के अस्पताल में डॉक्टरों की जगह 12वीं पास कर रहे थे इलाज, पकड़े गए 3 फर्जी इंटर्न

शिक्षा विभाग की जांच के दौरान अक्सर स्कूलों में फर्जी टीचर रखे जाने के मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन जानकर हैरानी होगी कि वाराणसी में इसी पैटर्न को MBBS डॉक्टरों ने अपनाया है. सर सुंदरलाल अस्पताल में फर्जी इंटर्नशिप करने वाले 3 लोगों को पकड़ लिया गया है. इससे भी हैरानी वाली बात तो ये है कि इनमें इंटर पास डॉक्टरी कर रहे थे.

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पकड़े गए 3 फर्जी इंटर्न पकड़े गए 3 फर्जी इंटर्न

रोशन जायसवाल

  • वाराणसी ,
  • 22 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:33 AM IST

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में BHU के सर सुंदरलाल अस्पताल में फर्जीवाड़े का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. अस्पताल में MBBS डॉक्टर की जगह फर्जी इंटर्नशिप करने वाले 3 लोगों को पकड़ लिया गया है. पूछताछ में पता चला है कि कई महीनों से ये अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रहे थे. इस फर्जीवाड़े में 2017 बैच के MBBS पासआउट 5 डॉक्टरों का नाम सामने आ आया है. इसमें एक महिला डॉक्टर भी है. पकड़े गए फर्जी डॉक्टरों के पास मेडिकल की कोई डिग्री तो दूर, उसमें से कुछ तो इंटर ही पास हैं. 

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बता दें कि वाराणसी में BHU अस्पताल को सर सुंदरलाल अस्पताल के नाम से भी जाना जाता है. यहां 2017 बैच के पासआउट MBBS डॉक्टरों की जगह 3 लोगों को ड्यूटी करते पकड़ा गया. फर्जी इंटर्न की पहचान वाराणसी के विशेश्वरगंज की प्रीती चौहान, मिर्जापुर अदलहाट के मोहित सिंह और सोनभद्र के अनपरा के अभिषेख सिंह के रूप में हुई है. ये  पांच MBBS पास आउट डॉ. नितिन, डॉ. शुभम, डॉ. सौमिक डे और डॉ. कृति की जगह डॉक्टरी कर रहे थे. 

डॉक्टरों और पकड़े गए फर्जी इंटर्न को लंका थाने के सुपुर्द शिकायत के साथ सौंप दिया गया है. BHU सुरक्षा निरीक्षक अरुण कुमार की तहरीर पर इन पर केस भी दर्ज कर लिया गया है. 

वाराणसी के पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने बताया कि डॉक्टर की जगह इंटर्न काम कर रहे थे. ये बात BHU ने अपनी जांच में पाई और हमको सौंपा, जिस पर FIR दर्ज कर ली गई है और आगे जांच जारी है. ये सभी कब से वहां फर्जी ड्यूटी कर रहे थे, ये विवेचना में पता चलेगा.

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उधर, BHU अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. के. के. गुप्ता ने बताया कि 2017 बैच के पांच MBBS के डॉक्टरों ने अपनी जगह इनको रखा था. यह क्रिमिनल ऑफेंस है. MBBS की पढ़ाई के बाद एक साल की ट्रेनिंग की जाती है, जिसे इंटर्नशिप कहा जाता है. इसके लिए 25 हजार स्टाइपेंड भी मिलता है. उन्होंने आगे बताया कि उनकी टीम ने ही फर्जी इंटर्न को अस्पताल से पकड़ा है. पकड़े गए सभी लोग नॉन मेडिकल हैं. उसमें से कुछ तो इंटर ही पास हैं. 

 

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