उत्तर प्रदेश के बांदा में रेलवे की अदालत ने 2007 के गैंगेस्टर भागने के मामले में दो पुलिसकर्मियों को दोषी करार देते हुए एक-एक साल की जेल और एक-एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.
हैरानी की बात यह है कि जिस गैंगेस्टर के भागने के मामले में यह कार्रवाई हुई, उसकी मौत भी हो चुकी है. अब पुलिस ने अपने ही कर्मियों को जेल भेजकर कार्रवाई शुरू कर दी है.
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गैंगेस्टर ने ट्रेन से हथकड़ी छुड़ाकर भागा
जीआरपी थाना के थाना प्रभारी शिव बाबू ने बताया कि 2007 में वसीम नाम का गैंगेस्टर झांसी से हमीरपुर ले जाया जा रहा था. इसी दौरान चित्रकूट एक्सप्रेस के इचौली स्टेशन के पास उसने दोनों सिपाहियों सुरेश तिवारी और विजय पाल को चकमा देकर हथकड़ी छुड़ाकर ट्रेन से कूदकर भाग गया. इसके बाद दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ जीआरपी थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी और उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था.
ट्रायल लंबा और जटिल, अंत में सजा
गैंगेस्टर के सरेंडर और जेल भेजे जाने के बावजूद मामला लंबित रहा. विवेचना के दौरान 11 गवाह पेश किए गए, सात जज बदले गए और डेढ़ सौ से ज्यादा सुनवाई की तारीखें पड़ीं. आरोपी सिपाही विजय पाल फरार था, जिसे बारह साल बाद दबाव डालने पर कोर्ट में हाजिर किया गया.
अदालत का फैसला और आगे की कार्रवाई
18 बाद साक्ष्यों के आधार पर रेलवे कोर्ट ने दोनों दोषियों को दोषी करार दिया और उन्हें जेल भेजा. थाना प्रभारी शिव बाबू ने बताया कि अब दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इस फैसले से पुलिस में जिम्मेदारी और लापरवाही पर कड़ी चेतावनी मिली है.
सिद्धार्थ गुप्ता