यूपी के बांदा में साइबर अटैक और डिजिटल अरेस्ट जैसे बढ़ते खतरों से लोगों को बचाने के लिए पुलिस ने विशेष साइबर जागरूकता पाठशाला का आयोजन किया. इस पहल का मकसद लोगों को यह समझाना था कि नए तरह के साइबर अपराध कैसे होते हैं और उनसे बचाव के लिए क्या सावधानियां जरूरी हैं. पुलिस अधिकारियों ने साफ कहा कि इस तरह के अपराधों से बचने का सबसे बड़ा तरीका जागरूकता है.
अधिकारियों ने बताया कि साइबर अपराधों का शिकार सबसे ज्यादा बच्चे, युवा और रिटायर्ड कर्मचारी हो रहे हैं. कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों ने कहा कि साइबर ठग नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को फंसाते हैं, इसलिए हर व्यक्ति को सतर्क रहना बेहद जरूरी है.
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चार कारणों से होते हैं साइबर अपराध
पाठशाला में डीजीपी ने साइबर अपराध के चार मुख्य कारण बताए हैं- लालच, लापरवाही, लत और भय. इन चारों कारणों का फायदा उठाकर साइबर अपराधी लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं. अधिकारियों ने कहा कि अगर लोग इन बातों को समझ लें और सतर्क रहें, तो काफी हद तक साइबर ठगी से बचा जा सकता है.
एक्सपर्ट्स ने यह भी सलाह दी कि किसी भी ऐसी वेबसाइट को न खोलें, जिसकी सही जानकारी न हो. अनजान लिंक, कॉल या मैसेज पर भरोसा करना नुकसानदेह साबित हो सकता है. इस मौके पर चारों जिलों के एसपी, डीआईजी रेंज और एडीजी जोन प्रयागराज भी मौजूद रहे.
डिजिटल अरेस्ट और APK फाइल का खतरा
साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि जागरूकता के बावजूद डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं रुक नहीं पा रही हैं. साइबर अपराधी खुद को पुलिस या किसी एजेंसी का अधिकारी बताकर फर्जी कॉल करते हैं और आपराधिक गतिविधियों या आतंकवादी कनेक्शन का डर दिखाकर लोगों को डराते हैं. अधिकतर ऐसे मामले सीनियर सिटीजन के साथ सामने आते हैं, जिसके बाद उनके बैंक खाते खाली कर दिए जाते हैं.
उन्होंने APK फाइल के बढ़ते खतरे की ओर भी ध्यान दिलाया. शादी के निमंत्रण, पेंशन, ट्रैफिक चालान जैसे नामों से आने वाली APK फाइल को खोलते ही मोबाइल में वायरस आ जाता है और पूरा फोन हैक हो जाता है. एंड्रॉयड पैकेज किट के जरिए हैकर मोबाइल की पूरी जानकारी हासिल कर लेते हैं. इसके अलावा AI के जरिए भी पैसे को दोगुना-चौगुना करने के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है.
क्या करें, क्या न करें- पुलिस की सलाह
एक्सपर्ट्स ने सलाह दी कि पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें, कोई भी अनजान ऐप इंस्टॉल न करें और बैंक से जुड़े कॉल सावधानी से अटेंड करें. बच्चों को ऐसा फोन न दें, जिसमें नेट बैंकिंग या बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारी हो, क्योंकि कई मामलों में बच्चे गेम या अन्य गतिविधियों में पैसे गंवा देते हैं, जिससे गंभीर घटनाएं हो जाती हैं.
एडीजी जोन प्रयागराज संजीव गुप्ता ने बताया कि बांदा में पूरे रेंज के लिए साइबर जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें स्कूली बच्चे, पेंशनर्स, अभिभावक और पुलिस टीम शामिल रही. उन्होंने कहा कि लोगों को न सिर्फ खुद जागरूक होना है, बल्कि अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और साथियों को भी सतर्क करना है. किसी भी साइबर अपराध की शिकायत के लिए cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.
सिद्धार्थ गुप्ता