ब्राह्मणों के बाद अखिलेश यादव की निगाहें अब क्षत्रिय वोट बैंक पर, महाराणा प्रताप जयंती पर कही ये बात

अखिलेश यादव ने 9 मई को महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्षत्रिय समाज को साधने की रणनीति अपनाई. कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सबसे पहले महाराणा प्रताप की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनके बलिदान को याद किया. अखिलेश ने इससे पहले पार्टी के ब्राह्मण नेताओं के साथ बैठक कर बड़ा संदेश देने की कोशिश की थी. 

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सपा कार्यालय में अखिलेश यादव सपा कार्यालय में अखिलेश यादव

समर्थ श्रीवास्तव

  • लखनऊ ,
  • 09 मई 2025,
  • अपडेटेड 2:27 PM IST

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने 9 मई को महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्षत्रिय समाज को साधने की रणनीति अपनाई. कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सबसे पहले महाराणा प्रताप की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनके बलिदान को याद किया. अखिलेश ने इससे पहले पार्टी के ब्राह्मण नेताओं के साथ बैठक कर बड़ा संदेश देने की कोशिश की थी. 

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अखिलेश यादव के इस कदम को लेकर कहा जा रहा है कि सपा की पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति में ब्राह्मणों को शामिल करने के बाद अब पार्टी क्षत्रिय वोट बैंक पर नजर गड़ा रही है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश के साथ क्षत्रिय समाज के प्रमुख नेता जैसे अरविंद सिंह गोप, आनंद भदौरिया, उदयवीर सिंह, आईपी सिंह और जूही सिंह मौजूद रहे. सियासी जानकारों का कहना है कि सपा यह रणनीति 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर बना रही है, जिसमें पार्टी अगड़ा और पिछड़ा वर्गों को एकजुट कर बीजेपी को चुनौती देना चाहती है. 

कॉन्फ्रेंस में अखिलेश ने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी की नीतियां समाज को बांटने वाली हैं, जबकि सपा एकता और समानता के सिद्धांत पर चलती है. उन्होंने यह भी कहा कि महाराणा प्रताप की जयंती के शुभ अवसर पर हमारी सरकार ने छुट्टी दी थी. हमारी मांग है कि भविष्य में दो दिन की छुट्टी दी जाए, जिससे एक दिन तैयारी हो सके और दूसरे दिन मनाया जा सके. 

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बकौल अखिलेश- आने वाले समय में सपाई महाराणा प्रताप की भव्य प्रतिमा रिवर फ्रंट पर स्थापित कराएंगे. उनके हाथ में जो तलवार होगी वह सोने की तरह चमकती होगी. 

वहीं, करणी सेना पर अखिलेश यादव ने कहा कि ये सेना टेम्परेरी है, भारतीय सेना परमानेंट है. महाराणा प्रताप किसी एक समाज के हैं, ये बात गलत है. वह सर्व समाज के हैं. राजनीति में महापुरुषों को नहीं लाना चाहिए. 

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