Varanasi: 84 सेकंड के सूक्ष्य मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा, सुनील दीक्षित ने बताया- अब कैसे होगी रामलला का नित्य पूजन?

पंडित सुनील दीक्षित ने बताया कि सबसे पहले प्रधानमंत्री जी ने परिसर में प्रवेश किया और जटायु मंदिर में भगवान शंकर जी का सबसे पहले पूजन किया. वहां पर मेरे जेष्ठ भ्राता अरुण जी ने उनका पूजन करवाया. इसके पश्चात प्रधानमंत्री धीरे-धीरे गुड मंडप की तरफ आए. गुड मंडप में आकर आसन पर बैठे इसके पश्चात आचमन और प्राणायाम किया.

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ऐसे होगी रामलला का नित्य पूजन. ऐसे होगी रामलला का नित्य पूजन.

रोशन जायसवाल

  • वाराणसी,
  • 23 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:32 PM IST

अखिरकार 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद प्रभु रामलला का इंतजार प्राण-प्रतिष्ठा के साथ खत्म हुआ. प्राण प्रतिष्ठा खुद पीएम मोदी ने अयोध्या पहुंचकर 84 सेकंड के सूक्ष्म मुहूर्त में की. लेकिन उस दौरान गर्भगृह में क्या-क्या हुआ? इसको लेकर सभी की जिज्ञासा बनी हुई है. इन्ही सवालों का जवाब प्राण-प्रतिष्ठा का पूजन बतौर आचार्यत्व कराने वाले पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के बेटे पंडित सुनील दीक्षित ने खास बातचीत में दी है. 

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पंडित सुनील दीक्षित ने बताया कि सबसे पहले प्रधानमंत्री जी ने परिसर में प्रवेश किया और जटायु मंदिर में भगवान शंकर जी का सबसे पहले पूजन किया. वहां पर मेरे जेष्ठ भ्राता अरुण जी ने उनका पूजन करवाया. इसके पश्चात प्रधानमंत्री धीरे-धीरे गुड मंडप की तरफ आए. गुड मंडप में आकर आसन पर बैठे इसके पश्चात आचमन और प्राणायाम किया.

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10 प्रकार के द्रव्यों से स्नान कर शरीर की शुद्धि

प्रधानमंत्री ने अपनी देह की शुद्धि के लिए और कर्म की अधिकार की प्राप्ति के लिए उन्होंने पंचगव्य का प्रासन और 10 प्रकार के द्रव्यों से स्नान करके शरीर की शुद्धि की. उसके बाद गो, तिल, भू, आज्य, हिरण्य, वासो, गुड लवण इत्यादि द्रव्यों का स्वर्ण के सहित दान किया. इसके पश्चात लगभग ठीक 12:10 और 15 मिनट के बीच में मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया.

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प्राण प्रतिष्ठा के मंत्रों के द्वारा किया गया न्यास

गर्भगृह में प्रवेश करने के बाद पुनः आचमन प्राणायाम विधि संपन्न हुई. उन्होंने आगे बताया कि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के यजमान डॉ अनिल मिश्रा भी मौजूद थे. संकल्प करने के बाद प्राण प्रतिष्ठा के मंत्रों के द्वारा न्यास किया गया. सभी भक्तों के कल्याण के लिए अपने इस गर्भगृह में पधारे और सब भक्तों का कल्याण करें. ऐसा कहकर ठीक मुहूर्त के समय 12:30 और 32 सेकंड के खत्म होने पर परमेश्वर प्रतितिष्ठति. इतना बोलते ही भगवान रामचंद्र वहां हम लोगों के समक्ष मूर्त रूप में प्रतिष्ठित हो गए. 

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा में एक अद्भुत अनुभूति का एहसास

पंडित दीक्षित से पूछने पर कि अन्य जगहों पर प्राण प्रतिष्ठा करने और अयोध्या में क्या फर्क था. इसपर उन्होंने बताया कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा में एक अद्भुत अनुभूति का एहसास हुआ. क्योंकि आज के परिवेश में जिन मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा में हो रही हैं वहां एक साथ 10-10 मूर्तियां होती है. लेकिन अयोध्या में इतने भव्य तरीके से केवल एक मूर्ति की प्रतिष्ठा हुई. 

प्राण प्रतिष्ठा के बाद ऐसे होंगे नित्य पूजन

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद नित्य पूजन के बारे में उन्होंने आगे बताया कि इसका सामान्य प्रक्रिया है. प्रात: काल 4 बजे भगवान की मंगला आरती, मंगला आरती करने के पश्चात भगवान को भोग लगाया जाएगा है. पुनः 7 बजे प्रातः कालीन आरती, 11 बजे करीब भोग आरती. फिर पट बंद कर दिया जाएगा. अभी संभव है कि दोपहर का पट बंद नहीं किया जाएगा. 

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भक्त जल्दी से जल्दी करना चाहते हैं दर्शन

इसके पिछे का कारण है कि अभी भक्तों की भीड़ उमड़ी है और वो जल्दी से जल्दी दर्शन करना चाहते हैं. सब लोग रामलला को देखना चाहते हैं. वो भी प्रत्यक्ष जाकर. टीवी और मोबाइल पर तो सब ने देख लिया. परंतु प्रत्यक्ष जाकर आंख से उनका दर्शन नहीं कर लेंगे, तब तक उन्हें तृप्ति नहीं होगी. फिर सायंकाल की आरती 5 बजे, रात्रि में आरती होगी 11 बजे. इसके बाद भगवान को सैया पर सुलाया जाएगा.

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