इंग्लैंड की एक महिला और उसके पति की जिंदगी उस वक्त पूरी तरह से बदल गई, जब वे साधारण खांसी का इलाज कराने एक डॉक्टर के पास पहुंचे. महिला के पति ने बताया कि मेरी पत्नी एक साधारण खांसी के लिए डॉक्टर के पास गई, लेकिन उसे बताया गया कि उसके पास जीने के लिए सिर्फ 18 महीने बचे हैं.
यह कहानी है लिंकनशायर के रहने वाले टिम डेविस और उनकी पत्नी जेन की, जिनकी जिंदगी मार्च 2024 में अचानक बदल गई. टिम ने बताया कि मेरी पत्नी कैंसर के एक दुर्लभ और लाइलाज रूप से पीड़ित है - और हमें नहीं पता कि उसे यह कैसे हुआ.
जांच में निकला फेंफड़े का दुर्लभ कैंसर
टिम और जेन पिछले साल तक मेसोथेलियोमा (Mesothelioma) नामक दुर्लभ और लाइलाज कैंसर के बारे में नहीं जानते थे. लेकिन जब जेन को इस बीमारी का पता चला और डॉक्टरों ने बताया कि उनके पास जीने के लिए सिर्फ 18 महीने हैं, तब उनकी दुनिया ही बदल गई.
अस्बेस्टस के संपर्क में आने का संदेह
66 वर्षीय जेन, जो बेहद फिट और स्वस्थ थीं, नियमित व्यायाम करती थीं और कभी धूम्रपान नहीं किया. उनके लिए यह समझना मुश्किल था कि उन्हें इतना आक्रामक फेफड़ों का कैंसर कैसे हो गया. जेन और टिम को बाद में पता चला कि मेसोथेलियोमा मुख्य रूप से अस्बेस्टस (Asbestos) के संपर्क में आने के कारण होता है.
अस्बेस्टस एक प्राकृतिक खनिज है, जिसका उपयोग 1990 के दशक तक भवन निर्माण में किया गया था. इसके महीन कण फेफड़ों में पहुंचने पर घातक कैंसर का कारण बन सकते हैं. हालांकि जेन को यह बीमारी कैसे हुई और कहां वह अस्बेस्टस के संपर्क में आईं, इसका जवाब अब भी अज्ञात है.
प्रारंभिक लक्षण से नहीं चला कुछ पता
जेन को शुरुआत में सूखी खांसी और थकान महसूस हो रही थी. उनके पति टिम ने उनकी जांच के लिए डॉक्टर से संपर्क किया, जहां ईसीजी और एक्स-रे के बाद पता चला कि जेन को संभवतः फेफड़ों का कैंसर है. इसके बाद बायोप्सी के जरिए पुष्टि हुई कि जेन को मेसोथेलियोमा है. हालांकि कैंसर को शुरुआती स्टेज पर पकड़ा गया, लेकिन यह लाइलाज था.
जीवन के साथ जंग
डॉक्टरों की राय के बावजूद, जेन ने हार नहीं मानी. उन्होंने परिवार के साथ समय बिताना जारी रखा और अपने बेटे हैरी की शादी में भी हिस्सा लिया. टिम बताते हैं कि जेन हर महीने नई प्रेरक टी-शर्ट पहनती हैं और कहती हैं कि मैं इस बीमारी से लड़ने के लिए मजबूत हूं.
अस्बेस्टस को लेकर सवाल
टिम का कहना है कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि जेन ने अनजाने में कहां और कैसे अस्बेस्टस के संपर्क में आई. वह यह भी मानते हैं कि मेसोथेलियोमा के मामलों का राष्ट्रीय डेटाबेस होना चाहिए, ताकि यह समझा जा सके कि कहां-कहां यह जोखिम ज्यादा है.
जिंदगी के लिए कुछ और समय लेने का संघर्ष
जेन फिलहाल Addenbrooke's अस्पताल में एक क्लीनिकल ट्रायल में हिस्सा लेने की तैयारी कर रही हैं. इस ट्रायल के जरिए उनके जीवन को कुछ समय के लिए बढ़ाया जा सकता है.टिम कहते हैं कि हमें पता है कि हर गुजरते दिन के साथ जेन की हालत बिगड़ रही है. हमारे लिए भविष्य अंधकारमय है. लेकिन हम नहीं जानते कि यह सफर कितना लंबा होगा.
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