टाइटैनिक दुर्भाग्यशाली रहा तो क्या? इतने लाख में बिका जहाज का मेनू, Shock तो देता ही है!

टाइटैनिक के खास मेन्यू में 11 अप्रैल, 1912 को परोसी गई स्वादिष्ट डिशेज की लिस्ट है. इसमें सीप, सैल्मन, बीफ, स्क्वैब, बत्तख और चिकन है, जो हादसे के तीन दिन पहले फॉर्मल डिनर पर आलू, चावल और पार्सनिप प्यूरी के साथ परोसे गए थे.

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टाइटैनिक दुनिया का सबसे खूबसूरत और बड़ा जहाज था  टाइटैनिक दुनिया का सबसे खूबसूरत और बड़ा जहाज था

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 15 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:59 PM IST

अटलांटिक महासागर में साल 1912 में डूबे टाइटैनिक जहाज वाला हादसा इतिहास में दर्ज है. जहाज का पूरा मलबा आज भी पानी के अंदर है और इसे निकाला नहीं जा सका है. चूंकि, जहाज को डूबे कुल 111 साल हो चुके हैं तो इससे जुड़ी छोटी से छोटी चीज विंटेज और खास है. इसी तरह यहां के फर्स्ट क्लास का मेन्यू कार्ड है जो संभवत: दुनिया में एक ही है.

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हादसे से तीन दिन पहले का खास डिनर

इस मेन्यू कार्ड को अब हाल में कुल 84.5 लाख रुपये में नीलाम किया गया है. मेन्यू में 11 अप्रैल, 1912 को परोसी गई स्वादिष्ट डिशेज की लिस्ट है. इसमें सीप, सैल्मन, बीफ, स्क्वैब, बत्तख और चिकन है, जो हादसे के तीन दिन पहले फॉर्मल डिनर पर आलू, चावल और पार्सनिप प्यूरी के साथ परोसे गए थे. इसमें एक डिश विक्टोरिया पुडिंग थी, जो आटे, अंडे, जैम, ब्रांडी, सेब, चेरी, छिलके, चीनी और मसालों से बना डेजर्ट था. इसे खुबानी और फ्रेंच आइसक्रीम के साथ परोसा जाता था. ये मेनू विल्टशायर के हेनरी एल्ड्रिज एंड सन द्वारा नीलाम किए गए कलैक्शन का हिस्सा था, जिसमें टार्टन डेक कंबल जैसे टाइटैनिक के अन्य रिमेंस भी शामिल थे.

कहां मिला टाइटैनिक का मेन्यू कार्ड

 इस मेन्यू को डोमिनियन, नोवा स्कोटिया के एक स्थानीय इतिहासकार, लेन स्टीफेंसन के 1960 के दशक के एक फोटो एलबम के भीतर खोजा गया था.  ऑक्शन हाउस के मैनेजर एंड्रयू एल्ड्रिज ने कहा कि टायटैनिक का ये मेन्यू दुनिया में इकलौता और खास है. उन्होंने बताया कि इसके मिलने के बाद मैंने कई टाइटैनिक संग्राहकों से बात की लेकिन मुझे कहीं भी दूसरा नहीं मिला. टाइटैनिक की यादगार वस्तुओं की नीलामी में अक्सर मलबे से बचाए गए सामान से लेकर जीवित बचे लोगों की पर्सनल चीजें शामिल होती हैं. लेकिन ये मेन्यू जहाज का स्मृति चिन्ह है.  

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आज भी वहीं पड़ा है टाइटैनिक का मलबा

बता दें कि टाइटैनिक एक विशालकाय समुद्री जहाज था जिसे लेकर कहा गया था कि इसे ईश्वर भी नहीं डुबा सकता. इसकी लंबाई 269 मीटर थी और ये स्टील से बना था. इस पर करीब 3300 लोगों के ठहरने की सुविधा थी, जिसमें चालक दल और यात्री शामिल हैं. हालांकि जब ये ब्रिटेन से अमेरिका की तरफ जा रहा था, तभी अटलांटिक महासागर में रात के वक्त एक हादसे का शिकार हो गया, जिसने जहाज को कुछ घंटों में ही डुबा दिया. आज भी इसका मलबा वहीं पड़ा है और इसे निकाला नहीं जा सका. बस समय- समय पर इससे जुड़ी कई नई जानकारियां सामने आती रहती है.

हाल में ये तब चर्चा में आया था जब पांच लोगों को इसका मलबा दिखाने ले गई एक पनडुब्बी लापता हो गई. कंपनी OceanGate ने पनडुब्बी में सवार सभी पांच लोगों की मौत की पुष्टि की थी. ऐसी खबरें हैं कि मर चुके यात्रियों ने 2 करोड़ रुपये में टिकट खरीदे थे.

कैसे डूबा था टाइटैनिक?

दरअसल, टाइटैनिक जहाज हादसे से कुछ महीने पहले ग्रीनलैंड के एक हिस्से में ग्लेशियर का 500 मीटर का बड़ा टुकड़ा उससे अलग हो गया था. ये हवा और समुद्र के जरिए दक्षिण की तरफ जाने लगा. फिर 14 अप्रैल तक 125 मीटर का हो गया था. साल 1912 की 14 अप्रैल की उसी रात को इसकी टाइटैनिक से टक्कर हो गई. फिर चार घंटे के भीतर ही जहाज डूब गया. तब जहाज की रफ्तार 41 किलोमीटर प्रति घंटा थी. वो इंग्लैंड के साउथम्पैटन से अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर की तरफ तेजी से बढ़ रहा था.

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