'होनहार बिरवान के होत चिकने पात' इस प्रसिद्ध कहावत को सच करके दिखाया है हुगली जिले के सिंगूर के रहने वाले चौथी कक्षा के एक नन्हें छात्र ने. सिर्फ 9 वर्ष की छोटी उम्र में अपने संगीत की जादूगरी के बूते उसने पूरे एशिया के बेस्ट माउथ ऑर्गन कलाकार का गौरव प्राप्त करने के साथ-साथ 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में अपना नाम दर्ज करा लिया है.
इस अनोखे नन्हें कलाकार का नाम है संतम दास जिसने लगातार 1 घंटे तक माउथ ऑर्गन बजाकर एक साथ 45 हिंदी, बांग्ला और अंग्रेजी गानों को अपने मधुर सुर में पिरोने का कारनामा करके दिखलाया है.
जब पिछले वर्ष मार्च महीने से पूरे देश में महामारी कोरोना से तबाही मची हुई थी और लगातार 21 महीनों तक पूरे देश भर के स्कूल कॉलेज बंद थे. घर से बाहर निकलकर खेलकूद के मैदान तक जाने के लिए बच्चों में महामारी कोरोना की डर समाया जा रहा था.
माउथ ऑर्गन बजाने की अपनी कला को ऊंचाई तक ले गया संतम
तब संतम ने अपनी प्रतिभा को निखारते हुए माउथ ऑर्गन बजाने की अपनी कला को इस ऊंचाई तक ले गया कि देश के रिकॉर्ड दर्ज कराने वाली प्रतिष्ठित संस्था 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' ने इस नन्हें कलाकार का नाम स्वर्णाक्षरों में लिख दिया.
संतम के पिता ने बताया कि उसके बेटे की अगली इच्छा गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने की है और जिसके लिए वह अपनी संगीत की साधना को और ऊंचाई तक ले जाने की कोशिश कर रहा है.
बचपन से ही माउथ ऑर्गन बजाने का शौकीन था संतम
संतम को माउथ ऑर्गन बजाने की प्रेरणा अपने पिता से मिली वह बचपन से ही माउथ ऑर्गन बजाने का शौकीन था लेकिन महामारी कोरोना काल के 21 महीने में उसने कड़ी मेहनत के बूते अपनी इस प्रतिभा को चार चांद लगा दिए. संतम के 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में एशिया के पहले माउथ ऑर्गन कलाकार के रूप में नाम दर्ज कराने पर पूरे परिवार में खुशी का माहौल है.
उसके पिता संजय दास ने बताया कि माउथ ऑर्गन बजाने के अलावा उनका बेटा पढ़ाई-लिखाई में भी काफी लगन और निष्ठा के साथ समय देता है. उन्होंने बताया कि संगीत के माध्यम से वह चाहते हैं कि उनका बेटा बंगाल और पूरे देश में प्रेम और सौहार्द का संदेश दे.
इनपुट-हुगली से भोला नाथ साहा की रिपोर्ट
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