स्कूली लड़के ने बनाया अनोखा ड्रोन, इंसान भी बैठकर भर सकता है उड़ान, VIDEO

भारत में हुनर और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, और इसका  सबूत अक्सर सोशल मीडिया पर देखने को मिलता है. ऐसा ही एक  उदाहरण पेश किया है ग्वालियर के प्रतिष्ठित सिंधिया स्कूल के छात्र मेधांश त्रिवेदी ने. मेधांश ने एक अनोखा ड्रोन बनाया है, जो इंसान को लेकर उड़ सकता है.

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सिंधिया स्कूल के छात्र ने बनाया इंसान को उड़ाने वाला ड्रोन सिंधिया स्कूल के छात्र ने बनाया इंसान को उड़ाने वाला ड्रोन

सर्वेश पुरोहित

  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

भारत में हुनर और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, और इसका  सबूत अक्सर सोशल मीडिया पर देखने को मिलता है. ऐसा ही एक  उदाहरण पेश किया है ग्वालियर के प्रतिष्ठित सिंधिया स्कूल के छात्र मेधांश त्रिवेदी ने. मेधांश ने एक अनोखा ड्रोन बनाया है, जो इंसान को लेकर उड़ सकता है.

मेधांश ने इस ड्रोन को 'एमएलडीटी 01' नाम दिया है. इसे तैयार करने में तीन महीने का वक्त और करीब 3.5 लाख रुपये खर्च हुए. खास बात यह है कि यह ड्रोन 80 किलो वजन वाले व्यक्ति को छह मिनट तक हवा में ले जा सकता है.

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ड्रोन की खासियतें
यह ड्रोन 80 किलो वजन वाले व्यक्ति को छह मिनट तक हवा में ले जा सकता है. ड्रोन में 45 हॉर्स पावर की ताकत है और यह 4 किमी तक की ऊंचाई पर 60 किमी/घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. इसका आकार 1.8 मीटर चौड़ा और लंबा है. बिना किसी को बैठाए, यह चार किमी तक उड़ सकता है.

देखें वीडियो

 

 

ड्रोन के पीछे की मेहनत
मेधांश ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में कई चुनौतियां आईं, लेकिन उनके शिक्षक मनोज मिश्रा और परिवार की मदद से वह इसे पूरा कर पाए. इस ड्रोन में चार मोटर्स लगाई गई हैं, जो आमतौर पर एग्रीकल्चर ड्रोन में इस्तेमाल होती हैं. मेधांश का सपना एयर टैक्सी सेवा शुरू करने और सस्ते हेलीकॉप्टर विकसित करने का है.

स्कूल और विशेषज्ञों की सराहना
सिंधिया स्कूल के स्थापना दिवस पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और इसरो के प्रमुख एस. सोमनाथ ने मेधांश की प्रतिभा की सराहना की. उन्होंने मेधांश के इनोवेशन को भविष्य के लिए प्रेरणादायक बताया.

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आने वाले प्रोजेक्ट्स
मेधांश अब इस ड्रोन को हाइब्रिड मोड पर लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं. उनका उद्देश्य ड्रोन को एग्रीकल्चर, ट्रांसपोर्ट और अन्य क्षेत्रों में उपयोगी बनाना है। उन्होंने कहा कि फंडिंग मिलने पर इसे और उन्नत किया जाएगा.यह उपलब्धि मेधांश की मेहनत और इनोवेशन के प्रति उनके जुनून को दिखाती है, जो भारत के युवा वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा है.

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