बेंगलुरु में रहने वाली एक रूसी महिला याना ने सोशल मीडिया पर अपनी जिंदगी की कहानी शेयर की है, जिसमें उसने बताया कि कैसे भारत ने पिछले चार सालों में उसकी सोच और जीवन दोनों बदल दिए. उसकी यह पोस्ट इंटरनेट पर खूब पसंद की जा रही है. याना ने लिखा कि जब वह पहली बार भारत आई थी, तो सब कुछ उसके लिए बिल्कुल नया और मुश्किल था. शोर से भरी सड़कें, तेज रंग, मसालों की खुशबू और बिल्कुल अलग संस्कृति. इन सबको अपनाना आसान नहीं था. उसने साफ कहा कि भारत शुरू में उसे समझ नहीं आया और यहां ढलने में समय लगा.
बालकनी में बैठकर मसाला चाय पीना पसंद
लेकिन याना ने यह भी बताया कि भारत ने उसे खुद को पहचानने का मौका दिया. याना कहती है 'भारत आपको आराम नहीं देता, बल्कि यह दिखाता है कि आप असल में कौन हैं. कभी सख्ती से और कभी जादू की तरह.' धीरे-धीरे यह कठिनाई प्यार में बदल गई. याना ने लिखा कि उसे भारत से प्यार हो गया. यहां के लोगों से, परंपराओं से, रोजमरा की जिंदगी से और उस बदलाव से जो उसने खुद में महसूस किया.
आज वह भारत को अपना घर मानती है. उसकी डेली रुटीन में अब बालकनी में बैठकर मसाला चाय पीना, संस्कृत मंत्र सुनना, मानसून की बारिश में भीगना और अपने पालतू कुत्ते के साथ सड़कों पर घूमना शामिल है. याना का कहना है कि उसका ब्लॉग दिखावा नहीं, बल्कि उसकी असली जिंदगी की सच्ची झलक है.
'आम लोगों की तरह जीवन का आनंद ले रहे'
याना ने अपनी पोस्ट में लिखा-हम एक रूसी परिवार हैं और हमने भारत में रहने का फैसला सिर्फ घूमने के लिए नहीं, बल्कि यहां सच में अपना घर बसाने के लिए किया है. हम यहां की रोजमर्रा की जिंदगी जीते हैं—बाजार जाते हैं, बच्चों को स्कूल भेजते हैं और आम लोगों की तरह जीवन का आनंद लेते हैं. भारत ने हमें धीरे चलना सिखाया है. यहां जिंदगी में हर काम की जल्दी नहीं होती. समय अलग अंदाज में चलता है और इंसान बाहर की भागदौड़ से ज़्यादा अपने दिल की आवाज सुनने लगता है.
'अलग-अलग संस्कृतियों और भाषाओं को समझ रहे'
हमें यहां के लोग बहुत अच्छे लगते हैं. लोग खुले दिल के होते हैं, बिना किसी स्वार्थ के मदद करते हैं. पड़ोसी एक-दूसरे को जानते हैं, दुकानदार नाम से बुलाते हैं और एक छोटी सी मुस्कान बहुत कुछ कह देती है. हमारे बच्चों के लिए भी भारत बहुत खास है. यहां रहकर वे अलग-अलग संस्कृतियों और भाषाओं को समझते हैं. इससे वे ज्यादा समझदार, खुले विचारों वाले और हर तरह के लोगों का सम्मान करना सीखते हैं. हमें भारत की सादगी बहुत पसंद है. यहां दिखावे से ज्यादा सच्चाई है. साल भर ताजे फल मिलते हैं, मौसम गर्म रहता है, प्रकृति करीब है और परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिलता है.
'भारत सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि हमारा घर बन चुका'
यह सच है कि भारत हमेशा आसान नहीं होता. कभी-कभी यहां शोर होता है, अव्यवस्था लगती है और सब कुछ नया-सा महसूस होता है. लेकिन इसी जगह हमें महसूस हुआ कि हम सच में ज़िंदगी जी रहे हैं, न कि बस रोज की तय दिनचर्या निभा रहे हैं. आज हमारे रूसी परिवार के लिए भारत सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि हमारा घर बन चुका है.
सोशल मीडिया पर लोगों ने उसकी ईमानदारी और भारत के प्रति सम्मान की जमकर तारीफ की है. कई यूजर्स ने कहा कि याना की कहानी यह याद दिलाती है कि घर वही नहीं होता जहां हम पैदा होते हैं, बल्कि वह जगह भी हो सकती है जहां हमें अपनापन और सुकून मिलता है. याना की यह कहानी बताती है कि भारत सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो लोगों को भीतर से बदल देता है.
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