इंसानी बच्चे को जन्म देगा रोबोट! प्रोटोटाइप 2026 में होगा लॉन्च, जानें क्यों खास है ये तकनीक

चीनी वैज्ञानिक दुनिया के पहले जेस्टेशन रोबोट (Gestation Robot) पर काम कर रहे हैं, जो जीवित बच्चे को जन्म दे सकता है. विशेषज्ञों का दावा है कि यह तकनीक प्रेगनेंसी से लेकर डिलीवरी तक की नकल करेगी.

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सांइटिस्ट के मुताबिक, इस तकनीक की मदद से उन कपल को फायदा होगा जो किसी कारण से पेरेंट नहीं बन पा रहे हैं. (Photo: AI Generated) सांइटिस्ट के मुताबिक, इस तकनीक की मदद से उन कपल को फायदा होगा जो किसी कारण से पेरेंट नहीं बन पा रहे हैं. (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:59 PM IST

चीन के वैज्ञानिक एक ऐसे "जेस्टेशन रोबोट" (गर्भधारण करने वाला रोबोट) पर काम कर रहे हैं, जो इंसानी बच्चे को जन्म दे सकेगा. इसका पहला प्रोटोटाइप 2026 में लॉन्च किया जाएगा. भ्रूण को कृत्रिम गर्भ (Artificial Womb) में रखा जाएगा. वह एक नली से पोषक तत्व लेगा और मां के गर्भ जैसा माहौल मिलेगा. यह प्रक्रिया गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म तक होगी. अभी तक यह साफ नहीं है कि एग और स्पर्म का फर्टिलाइजेशन कैसे होगा.

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किसे मिलेगा फायदा?
सांइटिस्ट के मुताबिक, इस तकनीक की मदद से उन कपल को फायदा होगा जो किसी कारण से पैरेंट नहीं बन पा रहे हैं या इस तकनीक की मदद से वे महिला मां बन पाएंगी जो नेचुरल तरीके से प्रेग्नेंट नहीं होना चाहती.

गुआंगज़ौ की काइवा टेक्नोलॉजी कर रही काम
इस प्रोजेक्ट पर ग्वांगजू ( Guangzhou) की काइवा टेक्नोलॉजी काम कर रही है. इस टीम का नेतृत्व डॉ. झांग क्यूफेंग (सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक) कर रहे हैं. उनका कहना है कि तकनीक अब काफी मैच्योर स्टेज में है. अब इसे रोबोट के पेट में प्रत्यारोपित ( Implant) करने की ज़रूरत है ताकि एक वास्तविक व्यक्ति और रोबोट आपस में मिलकर गर्भधारण कर सकें और भ्रूण को अंदर विकसित होने दें."

कितना आएगा खर्च
प्रोटोटाइप की अनुमानित लागत 100,000 युआन (लगभग ₹11.5 लाख) होगी. इस तकनीक पर नैतिक और सामाजिक  सवाल उठ रहे हैं. इस टेक्नोलॉजी ने नैतिक निहितार्थों (Ethical implications)के बारे में बहस छेड़ दी है, जिसमें भ्रूण-माता संबंध, अण्डाणु और शुक्राणु के स्रोत और बच्चे पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव संबंधी चिंताएं शामिल हैं.

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क्यों खास है यह तकनीक?
दुनिया में करीब 15% दंपती बांझपन की समस्या से जूझते हैं. यह तकनीक उन्हें नई उम्मीद और विकल्प दे सकती है. 2017 में हुए एक प्रयोग में समय से पहले जन्मे मेमनों को कृत्रिम गर्भ (Artificial womb) में विकसित किया गया था, उसी से यह प्रोजेक्ट प्रेरित है.

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