‘चाहे ऑफिस में जान चली जाए, लेकिन जॉब नहीं छोड़ेंगे’, शख्स ने बताया EMI में फंसे मिडिल क्लास का दर्द

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर जैसे बड़े शहरों में मिडिल क्लास फैमिली की जिंदगी की असली सच्चाई सामने आई है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे लोग ईएमआई के जाल में फंसकर जिंदगी गुजारते हैं.

Advertisement
हर महीने बैंक को 60–70 हज़ार रुपये देने ही पड़ते हैं। (सांकेतिक तस्वीर- Pexels) हर महीने बैंक को 60–70 हज़ार रुपये देने ही पड़ते हैं। (सांकेतिक तस्वीर- Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:06 AM IST

दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु की ऊंची-ऊंची इमारतों को देखकर लगता है कि यहां की जिंदगी बेहद शानदार होगी. एक अच्छी नौकरी, सोसाइटी का फ्लैट और बड़े शहरों में रहने का गर्व, सब कुछ सपनों जैसा दिखता है. लेकिन क्या सच में इन बिल्डिगों में रहने वालों की जिंदगी उतनी ही परफेक्ट होती है, जितनी बाहर से दिखाई देती है?

एक वायरल वीडियो ने इस भ्रम को तोड़ते हुए वो सच्चाई सामने रख दी है, जिसे मिडिल क्लास हर दिन जीता है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे भारत के युवा अपने सपनों को पूरा करने के लिए ईएमआई के ऐसे जाल में फंस जाते हैं, जिससे बाहर निकल पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है.

Advertisement

सपनों की सोसाइटी, लेकिन बस नजरों तक

वीडियो में एक शख्स सोसाइटी के स्विमिंग पूल के पास खड़ा दिखाई देता है. पीछे गगनचुंबी इमारतें हैं. शांत आवाज में वह कहता है कि मैं बस कभी-कभी इस पूल को देखने आ जाता हूं, क्योंकि मेरे पास स्विम करने का एक मिनट भी नहीं है.

वह बताता है कि यहां रहने वाले ज्यादातर लोग भारी ईएमआई चुका रहे हैं, और सोसाइटी की पार्किंग में खड़ी चमचमाती गाड़ियां भी ज़्यादातर लोन पर ही ली गई हैं.

'ऑफिस में जान चली जाए, लेकिन लोग नौकरी नहीं छोड़ेंगे'

शख्स आगे कहता है कि महंगी ईएमआई के बोझ तले लोग नौकरी छोड़ने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाते. चाहे काम पसंद न हो, फिर भी हर महीने बैंक को 60–70 हज़ार रुपये देने का डर उन्हें मजबूर करता है. उसकी कड़वी बात और भी गहरी चुभती है कि चाहे ऑफिस में जान चली जाए, लेकिन लोग नौकरी नहीं छोड़ेंगे. वह बताता है कि सोसाइटी की जिम और पूल जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल वही लोग करते हैं जिनके ऊपर आर्थिक बोझ नहीं है. असल जिम्मेदारी उठाने वाले लोग तो बस ईएमआई चुकाने की दौड़ में उलझे रहते हैं.

Advertisement

इस वीडियो को सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म पर शेयर किया गया.

 

 

 

 

सबसे अमीर वही है जिसके ऊपर कर्ज न हो.

यह वीडियो सोशल मीडिया पर बहस का बड़ा मुद्दा बन गया है. एक यूजर ने लिखा कि महाभारत में कहा गया है.सबसे अमीर वही है जिसके ऊपर कर्ज न हो. दूसरे ने कमेंट किया कि बेहतर है जब तक कैश में घर न खरीद सको, तब तक किराए पर रहो.

वहीं एक और ने भावुक होकर लिखा कि ये मुद्दा अफॉर्ड करने का नहीं है, बल्कि जिंदगी जीने और परिवार को वक्त देने का है. पैसा दोबारा आ जाएगा, लेकिन वक्त और उम्र कभी वापस नहीं आएंगे.

वीडियो के अंत में शख्स कहता है कि यह कहानी सिर्फ दिल्ली-एनसीआर की नहीं, बल्कि बेंगलुरु और बाकी बड़े शहरों में भी वही हाल है. भारत में सिस्टम ही ऐसा बना दिया गया है कि मिडिल क्लास हमेशा ईएमआई के जाल में फंसा रहे. प्रॉपर्टी के दाम जानबूझकर इतने ऊंचे रख दिए गए हैं कि बिना कर्ज लिए घर खरीदना नामुमकिन हो गया है. एक बार ईएमआई का चक्कर शुरू कर लो तो फिर जिंदगीभर कोल्हू का बैल बनकर बस किस्तें भरनी पड़ती हैं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement