माघ मेले से एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली लड़की की चर्चा तेज हो गई है. इससे पहले कुंभ मेले में मोनालिसा नाम की लड़की का वीडियो खूब वायरल हुआ था, जिसके बाद उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. आज मोनालिसा अच्छी कमाई कर रही हैं और उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका भी मिला है. अब ठीक उसी तरह, माघ मेले से एक और लड़की का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस लड़की का नाम बासमती बताया जा रहा है, जो माघ मेले में दातुन (नीम की लकड़ी) बेचने आई है. उसकी सादगी, मासूमियत और सुंदरता ने लोगों का ध्यान खींच लिया और देखते ही देखते उसके चारों ओर कैमरों की भीड़ लग गई.
'मेरा नाम सपना नहीं है'
वायरल वीडियो में एक व्यक्ति लड़की से बात करता नजर आता है. वह उसे 'सपना' नाम से बुलाता है, जिस पर लड़की साफ शब्दों में कहती है, 'मेरा नाम सपना नहीं है.'इसके बावजूद वीडियो बनाने वाला व्यक्ति कहता है कि उसने उसे 'सपना' नाम से ही वायरल किया है और अब वही नाम चलेगा. इस बातचीत ने सोशल मीडिया पर लोगों को और भी भावुक कर दिया.
बिक्री से ज्यादा कैमरे, बोहनी तक नहीं
जब लड़की से पूछा जाता है कि वह रोज कितने का माला बेच लेती हैं, तो वह बेहद सादगी से जवाब देती है कि 'अभी तो बोहनी भी नहीं हुई.' लड़की बताती है कि लोग माला खरीदने के बजाय सिर्फ वीडियो बनाने आ रहे हैं. चारों तरफ से लोग उसे घेर लेते हैं, भीड़ लग जाती है और वह माला तक ठीक से बेच नहीं पाती.
वायरल होना वरदान या परेशानी?
जहां एक तरफ लोग उसकी तुलना मोनालिसा से कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह लड़की उनसे भी ज्यादा सुंदर है, वहीं दूसरी ओर कई यूजर्स यह सवाल भी उठा रहे हैं कि गरीब लोगों का इस तरह वीडियो बनाना और उन्हें जबरदस्ती वायरल करना कितना सही है? सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस लड़की के भविष्य को लेकर उम्मीद जता रहे हैं, तो कई लोग कह रहे हैं कि फिलहाल वायरल होने से उसकी रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा है.
सादगी ने जीता दिल
बासमती की सादगी, ईमानदार जवाब और मेहनत ने लोगों का दिल जरूर जीत लिया है. लेकिन यह देखना बाकी है कि यह वायरल वीडियो उसकी जिंदगी में बदलाव लाएगा या सिर्फ कुछ दिनों की चर्चा बनकर रह जाएगा. फिलहाल, माघ मेले की यह लड़की सोशल मीडिया की नई वायरल कहानी बन चुकी है.
कहां लगता है माघ मेला
यह मेला गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम (त्रिवेणी संगम) के तट पर हर साल माघ महीने (जनवरी–फरवरी) में आयोजित होता है. इसमें स्नान, कल्पवास, साधु-संतों के शिविर और बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं.
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