क्या है किराना हिल्स, क्या वो है पाकिस्तान का न्यूक्लियर ठिकाना? गूगल पर लोग खोज रहे जवाब

किराना हिल्स में अंडरग्राउंड फैसिलिटी सरगोधा एयरबेस से लगभग 8 किमी दूर स्थित है. करीब 70 वर्ग किमी के दायरे में फैली इस अतिसुरक्षित फैसिलिटी के पूरे इलाके को पाकिस्तान सरकार ने कब्जा कर रखा है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद से लोग इंटरनेट पर इस किराना हिल्स को काफी सर्च कर रहे हैं. जानते हैं क्या है इसकी वजह?

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पाकिस्तान का सरगोधा स्थित मुशफ एयरबेस पाकिस्तान का सरगोधा स्थित मुशफ एयरबेस

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:20 PM IST

ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के किराना हिल्स पर हमले की चर्चा खूब हो रही थी, लेकिन सेना ने सोमवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हमने पाकिस्तान के न्यूक्लियर ठिकाने किराना हिल्स पर हमला नहीं किया है. इसके बाद से गूगल पर लोग किराना हिल्स खोज रहे हैं और ये जानकारी लेना चाहते हैं कि क्या ये पाकिस्तान का परमाणु  हथियारों का अड्डा है?

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सैटेलाइट इमेजरी में सरगोधा में मुशफ एयरबेस के रनवे पर हमला दिखाया गया था, जो कथित तौर पर किराना हिल्स के नीचे अंडरग्राउंड न्यूक्लियर स्टोरेज से जुड़ा हुआ था. इसके बाद यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि पाकिस्तान के इस परमाणु ठिकाने पर भी हमला किया गया है. इसके बाद से लोग गूगल पर किराना हिल्स के बारे में जानकारी चाहते हैं, इसलिए ये काफी सर्च किया जा रहा है. चलिए जानते हैं क्या है किराना हिल्स और क्यों है ये इतना अहम?

क्या है किराना हिल्स?
माना जाता है कि पाकिस्तान का एक परमाणु ठिकाना सरगोधा के किराना हिल्स पर स्थित है. किराना हिल्स में अंडरग्राउंड फैसिलिटी सरगोधा एयरबेस से लगभग 8 किमी दूर स्थित है.करीब 70 वर्ग किमी के दायरे में फैली इस फैसिलिटी के पूरे इलाके को पाकिस्तान सरकार ने कब्जा कर रखा है. यह इलाके किसी भी तरह से संकट से पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता था. इस ठिकाने से सड़क, रेल और एयर ट्रांसपोर्ट सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है.

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किराना हिल्स इसलिए है अहम
दुनिया ने इस जगह के बारे में तब जाना जब अमेरिकी सैटेलाइट ने 1990 के आसपास पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे न्यूक्लियर टेस्ट की तैयारियों को पकड़ा. हालांकि अमेरिका के ऐतराज के बाद ये टेस्ट रद्द कर दिए गए थे. लेकिन फिर भी ऐसी आशंका है कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियार यहां छिपाकर रखे हैं. 

सरगोधा एयरबेस के पास परमाणु हथियार के भंडारण की आशंका
वहीं सरगोधा गैरिसन में बड़े युद्ध सामग्री भंडारण डिपो में लंबे समय से TEL (ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लांचर) गैरेज होने की अफवाह है. ये सुविधाएं 1990 के दशक के मध्य से हैं, जब पाकिस्तान ने पहली बार चीन से M-11 मिसाइलें (DF-11 या CSS-7) हासिल की थीं, जिनका इस्तेमाल अब पाकिस्तान की गजनवी और शाहीन-1 शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों के रूप में जाना जाता है.

यहां कई अंडरग्राउंड स्ट्रक्चर और 
FAS (फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट ) की रिपोर्ट के अनुसार सरगोधा में गैरेज का आकार काफी बड़ा है, जो कि शॉर्ट-रेंज गजनवी और शाहीन-1 लॉन्चर के लिए आवश्यक होगा और मध्यम-रेंज गौरी या शाहीन-2 लॉन्चर के लिए बेहतर आकार का प्रतीत होता है. ऐसा प्रतीत होता है कि 10 TEL गैरेज हैं और दो अलग-अलग आयामों वाले गैरेज हैं जिनका उपयोग रखरखाव के लिए किया जा सकता है.

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यह भी पढ़ें: पाकिस्तान ने कहां-कहां छुपा रखे हैं अपने परमाणु बम? सीक्रेट रिपोर्ट्स से हुआ खुलासा

सरगोधा में बड़े गैरेज का उपयोग जिस भी काम के लिए किया जाता है, उन्हें वर्तमान में अपग्रेड किया जा रहा है और अतिरिक्त बुनियादी ढांचे को जोड़ा जा रहा है. सरगोधा परिसर में कई भूमिगत सुविधाएं भी शामिल हैं, जिसमें दो बड़ी इमारतों वाला एक खंड भी शामिल है जो संभावित रूप से मिसाइल हैंडलिंग हॉल हो सकते हैं. यहां अतिरिक्त सुरंगों का निर्माण कार्य चल रहा है. ये सब किराना हिल्स के आसपास हैं.

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